भविष्य में ---- भाग - 3
डोगा की चुगलखोरी के कारण तिरंगा की नागराज द्वारा जबरदस्त ठुकाई और फिर से डोगु की चुगलई के कारण शक्ति के हाथों हुई तिरंगा की सर्वोत्तम ठुकाई के कारण तिरंगा कई जगह से सूजा हुआ नजर आ रहा था ।
अपने दर्द को बर्दास्त कर वो बाथरूम में गया और पानी का नल तेज कर शावर ऑन कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा । बेचारे ने देखा नही की बाथरूम में भेड़िया कमोड पे बैठा हुआ है ।
भेड़िया – क्या हुआ तिरंगा भाई ?
तिरंगा – मत पूछों .....
भेड़िया – ठीक है नहीं पूछता ।
तिरंगा – अबे पूरी बात तो सुन ले । मै कह रहा था की मत पूछों ... दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है ....
भेड़िया – जिंदगी भर का दर्द तुम्हे इनाम दिया है ।
तिरंगा – अबे मुझे बोलने दे न ।
भेड़िया - कैसे बोलने दू । मैंने सब पहले ही सुन लिया था । बाहर डोगा की होशियारी तुझ पे भारी पड़ गयी, है ना !
तिरंगा – होशियारी करके शक्ति को पटा लिया है उसने । अब अगर बदला लेने के लिए मैंने कुछ किया तो शक्ति मार-मार के मेरी कढ़ाई सुलगा देगी ।
भेड़िया – पर बदला तो लेना पड़ेगा । तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नही जा रहा । जैसा मै कहता हू वैसा करो ।
तभी आवाज आती है पुईई ....
तिरंगा (घिनाते हुए) – नहीं मै ये नही कर सकता ।
भेड़िया – अरे कमोड पे बैठा हू पू-पुई तो होती रहेगी । मै कुछ और करने को कह रहा था ।
तिरंगा – ओ, फिर ठीक है । बताओ क्या करू ?
भेड़िया – भाई डोगा ने शक्ति को पटा लिया है ये बात मोनिका को बता दो । बाकी सब वो सम्भाल लेंगी ।
तिरंगा – अगर तू कमोड पे नही होता तो अभी तुझे अपने कंधे पे उठा के डांस करने लगता मै ।
भेड़िया – ये तमन्ना किसी और दिन पूरी कर लेना वरना तू थोरा गिला और पिला हो जायेगा हीहीही ।
इधर डोगा शक्ति को अपने हाथो से समोसे खिला रहा था और नागराज ने चटनी वाली प्लेट पकड़ रखी थी ।
नागराज – ये समोसा खाने में कैसा लगता है ?
डोगा – विशर्पी तुझे समोसा नही खिलाती ?
नागराज – नहीं हम दोनों तो बस दूध पीते है ।
शक्ति (हसते हुए) – ये बताओ शादी के बात तुम हनीमून मनाने के लिए कहा गये थे ?
नागराज – वही नाग्दविप में एक बिल था । दोनों ने सर्प रूप धारण किया और बिल में चले गये ।
डोगा (बहुत जोर से हसते हुए) – अबे बिल में जाके मशरूम उगा रहे थे क्या ? कैसे किलो मशरूम दिए ? यहा ले आते मै खरीद लेता तुझसे और पका के विशर्पी को खिलाता ।
नागराज – विशर्पी को मशरूम बाद में खिलाना पहले पीछे देख !
डोगा पीछे देखता है और शक्ति के मुह के पास ले जाता समोसा खुद खा जाता है ।
डोगा – मेरी बीवी से कोई मुझे बचाओ ।
मोनिका (शक्ति को समोसा खिलाता देख गुस्से में लोमड़ी बन जाती है) – मै समोसा लाने को कहू तो मुझे आलू ला के दे देते हो की खुद से पका लो और यहा इस नील की खेत में समोसा ठूस रहे हो ।
शक्ति – जबान सम्भाल के मोनिका ।
मोनिका (शक्ति को बाल से घसिटते हुए तीन-चार चपेट मार) – चुप कर ! मेरे और मेरे पति के बीच आई तो दोबारा किसी के बीच में आने के लायक नही छोडूंगी तुझे ।
डोगा – अरे जानू .... !
मोनिका (आग-बबूला होते हुए) – जानू ! क्या बात है । शक्ति के लिए बहुत प्यार परवान चढ़ रहा तुम्हारा ।
डोगा – अरे नही मोनिये मै मै तो तुम्हे जानू कह रहा था ।
तिरंगा – थोरी देर पहले तो शक्ति से कह रहे थे की .... जानू समोसा खा लो ।
डोगा – मे ... मैंने ऐसा कुछ नही कहा था मोनिए ।
पर मोनिए (मोनिका) कहा कुछ सुनने वाली थी । अब तो बस तांडव करना बाकि था । डोगा की धुनाई ऐसे शुरु हुई जैसे पूरे ब्रम्हांड में भूकंप आ गया हो ।
मोनिका की मार से डोगा की सारी मर्दानगी बहार निकलने लगी और जिन्दगी में पहली बार वो चिल्लाया ।
डोगा – अरे माफ कर दे पत्नी कही की । कसम खाता हू आज के बाद समोसा क्या चटनी को भी हाथ नही लगाऊंगा । ना खुद खाऊंगा न किसी को खिलाऊंगा ।
मोनिका – तू कुत्ते की दुम है । जानती हू सुधरेगा नही । ब्रम्हांड को बचा के घर पे आ । रही सही कसर वहा पूरी करुँगी । गुरर्र ।
और डोगा का मुरब्बा बना के मोनिका वहा से चली गयी ।
शक्ति – काली माँ का एक रूप तो मै हू पर मोनिका तो आज साक्षात् काली माँ लग रही थी । डोगु मुझसे दूर रहियो आज के बाद नही तो तेरे साथ साथ मेरी भी धुनाई कर जाएगी ये ।
डोगा – कोई बाम लाओ रे ! बहुत दुःख रहा । कैसे बताऊ की कहा कहा दुःख रहा ।
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आगे की कहानी फिर कभी ! हीहीही .....
डोगा की चुगलखोरी के कारण तिरंगा की नागराज द्वारा जबरदस्त ठुकाई और फिर से डोगु की चुगलई के कारण शक्ति के हाथों हुई तिरंगा की सर्वोत्तम ठुकाई के कारण तिरंगा कई जगह से सूजा हुआ नजर आ रहा था ।
अपने दर्द को बर्दास्त कर वो बाथरूम में गया और पानी का नल तेज कर शावर ऑन कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा । बेचारे ने देखा नही की बाथरूम में भेड़िया कमोड पे बैठा हुआ है ।
भेड़िया – क्या हुआ तिरंगा भाई ?
तिरंगा – मत पूछों .....
भेड़िया – ठीक है नहीं पूछता ।
तिरंगा – अबे पूरी बात तो सुन ले । मै कह रहा था की मत पूछों ... दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है ....
भेड़िया – जिंदगी भर का दर्द तुम्हे इनाम दिया है ।
तिरंगा – अबे मुझे बोलने दे न ।
भेड़िया - कैसे बोलने दू । मैंने सब पहले ही सुन लिया था । बाहर डोगा की होशियारी तुझ पे भारी पड़ गयी, है ना !
तिरंगा – होशियारी करके शक्ति को पटा लिया है उसने । अब अगर बदला लेने के लिए मैंने कुछ किया तो शक्ति मार-मार के मेरी कढ़ाई सुलगा देगी ।
भेड़िया – पर बदला तो लेना पड़ेगा । तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नही जा रहा । जैसा मै कहता हू वैसा करो ।
तभी आवाज आती है पुईई ....
तिरंगा (घिनाते हुए) – नहीं मै ये नही कर सकता ।
भेड़िया – अरे कमोड पे बैठा हू पू-पुई तो होती रहेगी । मै कुछ और करने को कह रहा था ।
तिरंगा – ओ, फिर ठीक है । बताओ क्या करू ?
भेड़िया – भाई डोगा ने शक्ति को पटा लिया है ये बात मोनिका को बता दो । बाकी सब वो सम्भाल लेंगी ।
तिरंगा – अगर तू कमोड पे नही होता तो अभी तुझे अपने कंधे पे उठा के डांस करने लगता मै ।
भेड़िया – ये तमन्ना किसी और दिन पूरी कर लेना वरना तू थोरा गिला और पिला हो जायेगा हीहीही ।
इधर डोगा शक्ति को अपने हाथो से समोसे खिला रहा था और नागराज ने चटनी वाली प्लेट पकड़ रखी थी ।
नागराज – ये समोसा खाने में कैसा लगता है ?
डोगा – विशर्पी तुझे समोसा नही खिलाती ?
नागराज – नहीं हम दोनों तो बस दूध पीते है ।
शक्ति (हसते हुए) – ये बताओ शादी के बात तुम हनीमून मनाने के लिए कहा गये थे ?
नागराज – वही नाग्दविप में एक बिल था । दोनों ने सर्प रूप धारण किया और बिल में चले गये ।
डोगा (बहुत जोर से हसते हुए) – अबे बिल में जाके मशरूम उगा रहे थे क्या ? कैसे किलो मशरूम दिए ? यहा ले आते मै खरीद लेता तुझसे और पका के विशर्पी को खिलाता ।
नागराज – विशर्पी को मशरूम बाद में खिलाना पहले पीछे देख !
डोगा पीछे देखता है और शक्ति के मुह के पास ले जाता समोसा खुद खा जाता है ।
डोगा – मेरी बीवी से कोई मुझे बचाओ ।
मोनिका (शक्ति को समोसा खिलाता देख गुस्से में लोमड़ी बन जाती है) – मै समोसा लाने को कहू तो मुझे आलू ला के दे देते हो की खुद से पका लो और यहा इस नील की खेत में समोसा ठूस रहे हो ।
शक्ति – जबान सम्भाल के मोनिका ।
मोनिका (शक्ति को बाल से घसिटते हुए तीन-चार चपेट मार) – चुप कर ! मेरे और मेरे पति के बीच आई तो दोबारा किसी के बीच में आने के लायक नही छोडूंगी तुझे ।
डोगा – अरे जानू .... !
मोनिका (आग-बबूला होते हुए) – जानू ! क्या बात है । शक्ति के लिए बहुत प्यार परवान चढ़ रहा तुम्हारा ।
डोगा – अरे नही मोनिये मै मै तो तुम्हे जानू कह रहा था ।
तिरंगा – थोरी देर पहले तो शक्ति से कह रहे थे की .... जानू समोसा खा लो ।
डोगा – मे ... मैंने ऐसा कुछ नही कहा था मोनिए ।
पर मोनिए (मोनिका) कहा कुछ सुनने वाली थी । अब तो बस तांडव करना बाकि था । डोगा की धुनाई ऐसे शुरु हुई जैसे पूरे ब्रम्हांड में भूकंप आ गया हो ।
मोनिका की मार से डोगा की सारी मर्दानगी बहार निकलने लगी और जिन्दगी में पहली बार वो चिल्लाया ।
डोगा – अरे माफ कर दे पत्नी कही की । कसम खाता हू आज के बाद समोसा क्या चटनी को भी हाथ नही लगाऊंगा । ना खुद खाऊंगा न किसी को खिलाऊंगा ।
मोनिका – तू कुत्ते की दुम है । जानती हू सुधरेगा नही । ब्रम्हांड को बचा के घर पे आ । रही सही कसर वहा पूरी करुँगी । गुरर्र ।
और डोगा का मुरब्बा बना के मोनिका वहा से चली गयी ।
शक्ति – काली माँ का एक रूप तो मै हू पर मोनिका तो आज साक्षात् काली माँ लग रही थी । डोगु मुझसे दूर रहियो आज के बाद नही तो तेरे साथ साथ मेरी भी धुनाई कर जाएगी ये ।
डोगा – कोई बाम लाओ रे ! बहुत दुःख रहा । कैसे बताऊ की कहा कहा दुःख रहा ।
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आगे की कहानी फिर कभी ! हीहीही .....