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Saturday, 3 May 2025

आकाश अक्की की कलम से

 शीर्षक – बच गया नागराज

 

ब्रम्हांड रक्षको की जुत्तम जूता कुटाई करने के कुछ समय पश्चात सभी जंगल के एक टीले पर बैठकर कंदमूल खा रहे थे... तभी भेड़िया खिलखिला उठा...

 

भेड़िया (हँसते हुए) – हि...हु...हा...हा...हा... मैं ही हु भेड़िया|

 

भेड़िया को यु ठहाके लगाता देख रक्षक मण्डली गुस्से से सुलग रही थी|

 

ध्रुव (गुस्से में) – साले ने कूट दिया, उसके बाद ठहाके लगा रहा|

फुजो बाबा (चिढ़ाते उए) – वैसे बेटा तुम तो दिमाग के दही हो मेरा मतलब धनी हो... कैसे कूट गये तुम वन रक्षक से?

ध्रुव – कुत्ते ने गला दबोच लिया मेरा बाबा... जानवर, पक्षी, डॉलफिन कही जाने वाली मच्छी, किसी को भी पुकार ही नहीं पाया सहायता के लिए| वरना तो इस आधे इन्सान की पूछ नहीं उखाड़ देता मैं|

 

डोगा (ताना देते हुए) – ओये फेक मत| रोबो की कमांडर बेटी तो सम्भालती नहीं तुझसे, बड़ा आया है भिडू भेड़िया की पूछ उखाड़ने|

फुजो – बात तो तुमने सही कही ओले.. ले.. ले.. ले.. डॉगी बेटा... मेरा मतलब डोगा बेटा| पर तुम्हें क्या हुआ था, जो डोगा, देव शिरोमणि योद्धा के टांगों के बीच में लात मार कर उसकी आह निकाल देता है, वो भेड़िया से कैसे मार खा गया?   

डोगा – अब क्या बताये फुजो बाबा... मेरे तो ऊपर ससुरे ने अपनी गदा रख दी थी| जिस गदा को खुद भेड़िया बगैर कड़े की शक्ति से उठा नहीं पाता है, उसे मैं कैसे अपने ऊपर से हटाता| बस गदा रखी मेरे ऊपर उसने...

परमाणु (चिढ़ाते हुए) – उसके बाद दे लात दे लात उसने तुझे सुजा दिया| हीहीही|

 

फुजो – क्यों डोगु को चिढ़ा रहे हो पररररर... माणु बेटा... सुताई तो तुम्हारी भे भेड़िया ने कर दी| वैसे अब तो तुम पंचतत्व परमाणु हो... फिर भी भेड़िया से लात जूते खा बैठे? कैसे भला?

परमाणु – ये शक्ति नई नई मिली है ना बाबा... और भेड़िया ठहरा खुद प्रकति की शक्ति का धारक... उसके सामने भला मेरे पंचतत्व की शक्ति कहाँ ठहरती|

नागराज (ताना देते हुए) – सीधे सीधे कह ना, भेड़िया ने तेरी बेल्ट तुझसे अलग कर दी थी| बिना बेल्ट के तुझसे एक मक्खी तक नहीं मारी जाती, फिर तू भेड़िया से भला कैसे बचता|

 

फुजो – ऐसे किसी की पोल नहीं खोलते सपोले... मेरा मतलब नागराज बेटा| वैसे तुम तो नागों के राजा हो... असंख्य सर्प रहते है तुम्हारे बदन... उनकी सम्मिलित शक्ति भी भेड़िया की पिटाई से तुम्हें बचाने के काम ना आई? भला क्यों?

नागराज – क्योंकि नागराज कभी भेड़िया से पिटा ही नहीं...

 

ध्रुव, डोगा, परमाणु (सभी हैरान) – काहे बकैती कर रहे| हम सब साथ में सूते गये थे|

नागराज – हां सूते तो हम सब साथ में गये, लेकिन नागराज नहीं...

फुजो (हैरान-परेशान) – क्या मतलब...

नागराज – मतलब ये कि मैं नागराज नहीं...

 

नागराज की बात खत्म होते ही हैरान परेशान ब्रम्हांड रक्षकों और बुढाऊ फुजो बाबा के सामने कणों में परिवर्तित होकर नागु आ खड़ा हुआ|

 

ध्रुव (हैरान) – नागु...

परमाणु (चिढ़ते हुए) – अबे यार...  

डोगा (गुस्से में) – ये नागों के नाम ऐसे क्यों होते है, एक ने नाग में राज जोड़ दिया बन गया नागराज... दूसरे ने नाग में उ लगा लिया... बन बैठा नागु... आक्थू...

 

फुजो – अगर तुम नागु हो तो नागराज कहाँ हैं?

नागू – नागरानी से मिलने.. सॉरी अपने बेटे नागिश से मिलने नागरानी के आयाम गया हुआ है| हीहीही|

 

मन ही मन

 

नागु – मेरी इज्जत का भजिया तल दिया तूने नागराज... मैं तुझे छोडूंगा नहीं|

नागराज – शांत हो जा नागु| शहर पहुचते ही तुझे imax थिएटर में फिल्म दिखलाऊंगा|

नागु – सच में...

नागराज – मुच में...

नागु – फिर ठीक है... इतनी बेईज्जती से अपना  कुछ न बिगड़ने वाला.. हीहीही... imax मूवी जिंदाबाद...   

 

नागराज (मन ही मन खुद से) – दिमाग सच में बड़े काम की चीज है| सही समय पर इक्षाधारी शक्ति का प्रयोग कर मुझे नागु के रूप में आने का आईडिया आया| वरना मेरे नाम की मिटटी पलीद होने ही वाली थी| चलो अब जल्दी से यहाँ से कल्टी हो लू, अगर ध्रुव के मन में मेरे कणों में बदलने बात उमड़ आई, तो मेरी पोल पट्टी खुल जायेगी| अभी तो नागु के रूप में यहाँ से निकल लेता हूँ|

   

समाप्त|