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Friday 22 April 2022

हैप्पी बर्थडे ध्रुव

 ध्रुव के जन्मदिन पर विशेष

सुपर कमांडो ध्रुव हमेशा से एक ऐसा किरदार रहा है जो लोगों को प्रेरित करता है। एक ऐसा किरदार जिसमें न कोई दैवीय शक्तियाँ हैं न विज्ञान प्रदत क्षमताएं। वह हमेशा से अपनी सूझबूझ, साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति से आने वाले खतरों का मुक़ाबला करता है। एक ऐसा हीरो जो अपने पास किसी तरह का हथियार नहीं रखता। जो आसपास की उपलब्ध चीजों को ही हथियार की तरह इस्तेमाल कर लेता है। इसके बावजूद भी वह कभी किसी अपराधी की जान नहीं लेता।

ध्रुव की यही विशेषताएँ एक आम पाठक को उसकी ओर आकर्षित करता है। पाठक उससे जुड़ाव महसूस करता है और सोचता है कि अगर ध्रुव ये कर सकता है तो वो भी कर सकता है। ध्रुव की इन्हीं विशेषताओं ने मुझे भी उसकी ओर आकर्षित किया है।

वैसे तो ध्रुव की हर गाथा उसका हर कारनामा प्रेरणा का स्त्रोत ही है। परंतु मुझे जो ध्रुव की कहानियों में सबसे ज्यादा आकर्षित करता है वह है उसकी कमांडो फोर्स का गठन।

आमतौर पर एक सुपरहीरो या क्राइम फाइटर अपनी लड़ाई अकेला लड़ना पसंद करता है। या फिर उसके कुछ खास दोस्त या सहयोगी होते हैं जो अपराध के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनका साथ देते हैं। पर ध्रुव इस मामले में उन सबसे अलग है।

हर हीरो की तरह ध्रुव के अपराध उन्मूलन अभियान में उसके कुछ खास दोस्त और सहयोगी भी होते हैं पर ध्रुव की असली ताकत है आम नागरिकों को अपने अभियान का हिस्सा बनाना। और ये वो करता है अपनी कमांडो फोर्स की मदद से। जिसके दरवाजे हर उस नागरिक के लिए खुले हैं जिसके अंदर अपने शहर अपने समाज की सुरक्षा करने का जज्बा है।

हीरो सिर्फ वही नहीं होता है जो अपराधियों को रोके। हीरो वह भी होता है जो अपने समाज को अपराधियों के सामने डट कर खड़ा रहना सिखा दे। और यही ये चीज ध्रुव को बाकी हीरो से अलग करती है।

आप सबकी इस बारे में क्या राय है ये जरूर बताएं। और हाँ

हैप्पी बर्थडे ध्रुव

Friday 8 April 2022

जितेश तलवानी की कलम से

 #Controversies_of_the_week

समय बिताने के लिए करना है कुछ काम, आओ शुरू करें गिनना, हुआ इस हफ्ते जो कॉमिक्स की दुनिया में भसड़े-आम!


आधा हफ्ता लगभग गुजर चुका था और ऐसा कुछ हो ही नहीं रहा था जिसको बवाल का नाम दिया जा सके....अब मैं कोई भारतीय मीडिया भी नहीं जो बिना बात का बवाल पैदा करवा सकूँ! मैं सोच सोच कर हलकान हो रहा था कि इस हफ्ते लिखूंगा क्या इस पोस्ट पर? 

लेकिन फिर आया भगवान की दुनिया में शैतान का आदमी और फिर जो हुआ, आइए देखते हैं:


1. घोषणा करे एक तो रीप्रिंट दूसरा करता है.. भाई भाई में अक्सर ये होता है! जी हाँ, इस बार ये कांड किया गया RCSG द्वारा जब उन्होंने RCMCG द्वारा पहले से ही अनाउंस की हुई डोगा की "हे राम" सीरीज सीधे ऑर्डर करने के लिए जारी कर दी एकदम चुपके से.. बिल्कुल नो घोषणा, नो प्री-ऑर्डर, खरीदो ऑन दि स्पॉट वाला मामला! 

इस "तेजी" को देखते हुए कई तरसते ग्राहकों ने नाम ना लेने की शर्त पर ये तक कह दिया कि इस लिहाज से तो RCMCG को नागपर्व और प्रलय का देवता भी लाने की घोषणा कर ही देनी चाहिए!


2. RCMG ने इस हफ्ते फिर से काठ की हांडी चढ़ाने की कोशिश की और अपने बचे हुए फाइटर टोड्स के कॉमिक्स गत्ता लगाकर बेचने के लिए CE की घोषणा की, लेकिन दाम देखते ही कॉमिक्स जनता की रीढ़ की हड्डी कंपकंपा गयी(spine chilling) ...हालांकि जो उद्घोषणा का पोस्टर जारी हुआ, उसमें Jumbooo surprise भी लिखा हुआ था, जिसके चलते कुछ भोले-भाले मगर गजब के जनूनी पंखों को लगा कि इस CE में जम्बू और फाइटर टोड्स का क्रॉसओवर भी होगा, लेकिन जल्दी ही ये साफ हो गया कि ये निरी कपोल कल्पना है, जस्ट लाइक ऑल कॉमिक्स!


3. अमरीकी प्रिंटर के आ जाने से जनूनी समाज में एक नया जोश आ चुका था.. सूत्रों की मानें तो कई लोगों ने अमरीकी प्रिंटर की फोटू प्रिंट करवाकर अपने बटुऐ में अपने बसपन के प्यार की फोटू के साथ रख ली है कि जैसे उसपर किया हुआ भरोसा काम आया, वैसे ही बसपन का प्यार भी वापसी आएगा ..रही सही कसर RCMCG की धड़ाधड़ आती अपडेट्स ने पूरी कर दी थी! माहौल ऐसा गर्म हो गया था कि लोगों को लगने लगा अमरीकी प्रिंटर एक दिन उनके लिए नोट भी प्रिंट करेगा और इस चक्कर में दूसरे खेमों में डर का माहौल है.. लेकिन पिछले एक हफ्ते से काफी ठंडा है मामला.. अटकलों का बाजार गर्म है.. कौनसी आएगी अगली कॉमिक्स? घोषणा क्यूँ नहीं हो रही? कहीं अमरीकी प्रिंटर भारत आकर आलसी और कामचोर तो नहीं हो गया? सवाल कई हैं, जवाब एक भी नहीं... देखते हैं कि आने वाला हफ्ता क्या नया गुल खिलाता है!


4. सस्ती कॉमिक्स अभियान को इस हफ्ते एक ex-बड़े कॉमिक्स सेलर के FB ग्रुप का समर्थन मिला.. जी हां, मैं बात कर रहा हूं उस कॉमिक्स सेलर के FB ग्रुप की, जिसके पास कोई कॉमिक्स बेचने को है ही नहीं! पढ़ने में बड़ा विरोधाभासी लग रहा होगा लेकिन जानने वाले जानते हैं कि यहां हैलो किताब खान की बात हो रही है! हालांकि जब वहाँ के मेंबरान से पूछा गया कि जब तुमने और कहीं से किताब खरीदनी ही नहीं है तो सस्ती आए या महँगी, तुमको क्या ही लेना देना तो कइयों ने दबी आवाज में बोला कि भैया इनकी हाँ में हाँ नहीं मिलाएंगे तो कहीं हमारे वॉलेट का पैसा ना जब्त हो जाए.. ये बोलकर वो लोग हैलो किताब खान से खरीदना है मेरा जनून का नारा लगाकर आगे चले गए!


5. जैसे फिल्मी दुनिया में एक मुकाम हासिल कर लेने का पैमाना है कि कलाकार को कॉफी विद करन में जाने का मौका मिल जाए उसी तरह कॉमिक्स जगत में एक मुकाम हासिल करने का पैमाना है जब भारतीय कॉमिक्स जगत का सबसे चर्चित जू-ट्यूबर किसी पर वीडियो बनाये! इस हफ्ते ये सौभाग्य प्राप्त हुआ मैं हूँ डोगा गाने के वीडियो को( यू मेड इट Rajat Mishra).. जब से वो वीडियो आया है तब से रजत मिश्रा 4 चाचा ढूंढ रहे हैं जो उनको सारी युद्धकला सिखाएँ जिसके बाद वो जू-ट्यूबर को मार सकें! वैसे तो जिसने भी उस जू-ट्यूबर का कोई भी वीडियो देखा है, उसको पता है कि वो कुछ भी बोल सकता है और आप उसके लॉजिक से बहस नहीं कर सकते क्यूंकि लॉजिक होता ही नहीं है, लेकिन इस बार उसने एक ऐसा ब्रह्मज्ञान दिया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नज़ीर बनेगा क्यूंकि बकौल जू-ट्यूबर वीडियो पहले बनाना फिर डालना बेवकूफी है और लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए! मुझे नहीं लगता कि मैं जिंदगी में ये मुकाम कभी हासिल कर पाउंगा जहां मैं कुछ लिखने से पहले पोस्ट कर पाऊँ.. 

और वीडियो के अंत में उसने गाने की चंद लाइन "गाकर" भी सुनाई हैं हालांकि मेंढक के गले में कांच का टुकड़ा फंस जाए और जो आवाज निकले, उसे गाना गाना कहा जाएगा, इस बात को मानने के लिए कोई राजी नहीं हो रहा, लेकिन जब जू-ट्यूबर "गाता" है: गन्दगी में हूं पला मैं, गन्दगी से मैं नहीं डरता... तो लगा ये पंक्तियाँ किसी और के लिए हो ही नहीं सकती थीं! खैर, अब देखने वाली बात ये है कि अब जू-ट्यूबर की कृपादृष्टि किस पर पड़ेगी!


6. इस हफ्ते "बड़े वाले" कॉमिक्स ग्रुप पर एक कॉमिक्स की घटिया प्रिंटिंग क्वालिटी की निंदा करती हुई एक पोस्ट आयी, जो वैसे तो कोई बड़ी बात नहीं थी और ऐसी पोस्ट ना आए तो वहां कई लोगों का हाजमा खराब हो जाए लेकिन इस हफ्ते इतिहास कुछ ऐसे दोहराया गया कि इतिहास ही बदल दिया गया! एक मुगल आक्रान्ता ने उस पोस्ट पर वस्तुपरकता का ऐसा धावा बोला कि पहले तो वो पोस्ट डिलीट की गयी क्यूंकि वो पोस्ट एक ऐसी कॉमिक्स के संदर्भ में की गयी थी जो अभी रिलीज ही नहीं हुई थी.. हालांकि अपुष्ट सूत्रों से ये भी पता चला है कि पोस्ट करने वाले एड्मिन के पास पहले से ही फ्री कॉपी पहुँच जाती है जिसका वो बाद में "वो कहते हैं" लिखकर रिव्यू कर देते हैं लेकिन इस बार टाइमिंग थोड़ी गड़बड़ा गयी। मामला थोड़ा शांत होता उससे पहले ही एक और ऐसी पोस्ट हुई लेकिन वो मुगल आक्रान्ता तो जैसे घात लगाकर आघात करने के लिए तैयार बैठा था और उसने फटाफट उस ग्रुप के बाबा आदम के जमाने के Rull का हवाला देकर ही उस पोस्ट का भी भाजी पाला कर डाला! फिर उस ग्रुप के एक परम विशारद सर्वज्ञानी विद्वान ने ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होने से रोकने के लिए ग्रुप के rull कुछ इस तरह जल्दबाजी में बदल डाले जैसे क्रिकेट में बॉल विकेटकीपर और दूसरी स्लिप के बीच में से निकल जाने के बाद फटाफट फर्स्ट स्लिप लगा ली जाती है! लेकिन इतने से भी मुग़ल आक्रान्ता के कलेजे को ठंडक नहीं पड़ी और उसने उस Rull चेंज वाली पोस्ट का भी तिया-पांचा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और ये कहना अतिश्योक्ति ना होगी कि इस पूरे प्रकरण में "बड़े वाले" ग्रुप को चलाने वाले कुछ लोग वाकई में "बड़े वाले" सिद्ध हुए!


7. मुगल आक्रान्ता के आक्रमण का प्रभाव कुछ ऐसा हुआ कि काफी अर्से के बाद, जो लोग काफी समय से कॉमिक्स के कागजों पर रखकर दाल-मोठ खाते दिखते रहे हैं, वो तक इस हफ्ते "मैं भी पाठक" की तख्ती लगाए देखे गए.. देखते हैं ये नया रूप कब तक दिखेगा!


8. भारत एक चूनामयी सॉरी चुनावमयी देश है और इसी तरह यहां का कॉमिक्स जगत भी चुनावमयी है..  कॉमिक्स जनता को मज़ा आता है चुनाव में और इस हफ्ते उसको चुनने का मौका मिला अपनी पहचान कि वो आखिर किस धड़े के हैं! चूंकि पोल "बड़े वाले" कॉमिक्स ग्रुप में हो रहा था इसलिए वहाँ के एड्मिनाती को लगा कि आज वो दिखा देंगे कि आखिर क्यूँ हैं वो सबसे बड़े वाले जब कॉमिक्स जनता के बाशिंदे निर्विवाद रूप से अपनी पहचान उनसे बताएंगे और उनको ही जितवाएंगे.. लेकिन जैसे जैसे वोटिंग होती गयी वैसे वैसे दिल के अरमां आंसुओं में बहने लगे.. पोल में कॉमिक्स जनता ने बिल्कुल एकतरफ़ा फैसला सुनाया कि उनकी पहचान किसी कॉमिक्स ग्रुप की मोहताज नहीं है और कॉमिक्स ग्रुप उनसे है ना कि वो कॉमिक्स ग्रुप से.. कुछ कुछ मैं हूँ तो तू है वाला मामला! ये नतीजे आते ही एक विद्वान आगबबूला हो उठा और अपुष्ट सूत्रों के अनुसार कॉमिक्स जनता को गद्दार और खाते इधर का, गाते खुद का जैसे अलंकरणों से नवाजते सुना गया! हद तो तब हुई जब बाकायदा पोस्ट करके मेंबरान पर गाज गिराने जैसी बातें कही गयीं.. खैर, उस पोस्ट पर काफी "हाहा" रिएक्ट आए तो मतलब ये तो पक्का है कॉमिक्स जनता ने बात सुनी तो है, लेकिन क्या उस दर्दीली भावना को समझा, जिसके तहत वो पोस्ट की गयी? मुझे तो ऐसा नहीं लगा, बाकी ज्ञानी जन कमेन्ट सेक्शन में बताएं। 


सदस्यगण कृपया बताएं कि वो इन मुद्दों के बारे में क्या सोचते हैं और अगर कोई मुद्दा रह गया हो तो उसकी जानकारी भी दें...

मिलते हैं अगले हफ्ते कुछ नई मौजों के साथ!