सुबह-सुबह चंदा का शरीर कामने लगा और वो
शक्ति बनकर पहुंच गई बगल वाले गुप्ता जी के घर ।
गुप्ता जी और उनकी पत्नी की लड़ाई चल रही थी ।
शक्ति ने आव देखा ना ताव, दिया घुमा कर गुप्ता जी के
। गुप्ता जी बेहोश हो गए । मिसेज
गुप्ता को गुस्सा आ
गया।
मिसेन गुप्ता - ये क्या किया... अयन... तेरै बाल नोच
लू ?
गुप्ता जी की बेटी - मम्गी ! ये आप उसे बता रही हो या पूछ रही हो... खीच लो इसके बाल ।
मिसेज गुप्ता
और उनकी बेटी शक्ति के बाल खीचकर उसे पीटने लगी।
शक्ति - अरे.. स्को.... पर मे तो आपको बचा रही थी गुप्ता आंटी... आप मुझे ही क्यो मार
रही है ?
गिसेन गुप्ता - अभी मेरे इतने भी बुरे दिन नहीं आये है कि में गुप्ता जी से ही मिट जाऊ... वो
तो में पड़ोसियो को सुनाने के लिए और इनकी आवाज दबाने के लिए चिल्लाती हूँ। ये तो अब
मेरी रोज की थ्रिल बन गई है ।
शक्ति - अच्छा... अच्छा जा रही ह... हेयर क्लिप का क्या करोगी आंटी वो तो लोटा दो !
चंदा के दिन की बोहनी (शुरुआत) ही खराब हुई थी। पर एकदम तभी उसे कही से शक्ति
बनने की फिर पुकार आई। युवती समुन्द्र में डूब रही थी, शक्ति की गति इतनी तेज थी कि वो सगुन्द्र तल के अंदर ड्रिलिंग करती चली गई । जब उपर पहुंची तब तक कॉस्ट गार्स ने उस युवती को बचा लिया था । शक्ति के शरीर पर समुन्द्र के अंदर का गाढ़ा तेल चिपक चुका था।
शक्ति - शाबास... आप लोगो ने बहुत अच्छा काम किया जो इस युवती को बचा लिया ।
कॉस्ट गार्ड केडिट - पर तेरा सत्यानाश जाये काली माई...
शक्ति
पर मैने क्या किया ?
कोस्ट गार्ड केडिट वहा बार्डर के उस तरफ पकिस्तान के समुन्द्र क्षेत्र मे तुम कच्चे तेल की
खोज कर आई हों और उन्हें सब रेडीमेड मिल जायेगा! खुदाई भी नहीं करनी पड़ेगी ।
शक्ति वहा कैसे रुकती पर रास्ते मे ही उसे कहीं और से किसी नारी की पुकार आई... सहमी
हुई शक्ति एक मंदिर में पहुंची जहा एक मंडित जी अपनी पत्नी को बुरी तरह झंट रहे थे।
शक्ति - आंटी... ये क्या ये मंडित जी आपको पीड़ा पहुंचा रहे है ?
पंडिताईन जी - हा... जाउन रहे के मंदिर के चढ़ावे मे से दुई रुपिया लेय रहे... ई देख लेस
आउर डांट दिये रहें तबही तुम आयं गई रही ।
शक्ति - क्या आप चाहती है कि इन्हें सजा मिलें?
पंडिताईन जी - जबसे शॉदी हुई रही तबही से इनको मारने की सोचत रहिन ।
भीड़ जमा हो गई, मंडित जी ने मोंके की नजाकत को संभालते हुम दाँव बदला ।
पंडित जी - अरे... देख्यो... बलविंदर.. हुकुम... चप्पल पहिन के मंदिर में घुस आई रही (चंदा
आज जल्दीबाजी मे चप्पल उतारना भूल गई थी) और कारा-कारा कुछ रिसत है... हमका तो ई
चुडैल लागत है । मारो... मारो... हपक के दई दो ई का.... बाल नोच लो... पंडिताईन तुग का
ताइत हो तुहाऊ दो ईक घुमाय के...
शक्ति का आज दिन ही खराब चल रहा था... और उपर पक गुप्त स्थान पर वंडखूमेन प्रिंसपल
के साथ मिलकर शक्ति को निपटाने का प्लान बना रही थी।
प्रिंसपल
प्लॉन क्या है ?
वंडरखूमेन - देखो ... अपना टकला मत खुलाओ मे बता रही हूँ ... मेरी गुडियो की ब्रिगेड तैयार
है... प्लॉन सिंम्पल हैं ... देखते जाओ।
वंडखूमैन के एक इशारे पर उसकी "गुंडी ब्रिगेड की हजारो सदस्य आपस में लड़ने लगी और
इतनी सारी नारियो की चीख-पुकार सुनकर शक्ति के कई प्रतिस्प उन्हे मैनेज करने के लिंग
शक्ति से अलग हो गये।
प्रिंसपल - इससे क्या होगा ?
वंडखूमन - तुम्हे विलेन बनाया किसने ? ... टकले से हाथ दूर रखो । देखों शक्तिं हजारो
प्रतिस्पों में बट चुकी हैं अब मेरी गुडिया आपस में लड़ाई छोड़कर शक्ति के कमजोर प्रतिस्पों पर
टूट पड़ेंगी और इतने कमजोर स्पों को सुना देंगी । रुको मे सबको ईयरफोन पर गाइड कर लू
थोड़ी देर ।
प्रिंसपल - लेकिन ....
वंडरखूमैन - तुम्हे अपना टकला प्यारा नहीं है क्या ? ..
अच्छा अच्छा ने प्रेटिकल डेमोट्रेशन से समझाती हूँ।
वंडरखूमैन - जरा ... मुझे हलके से मारना
मेरे चीखने पर शक्ति का प्रतिस्प जरूर आयेंगा।
अपने टकले पर वंडखूमैन की टिप्पड़ियो से नाराज प्रिंसपल ने बड़ी जोर से पक गुक्का मारा
वंडखून के सर पर और वंडखूमेंन का विंग उतर गया ।
प्रिंसपल - ओह ... तो ये है सच्चाई...
आययय
वंडखूमन - इसपर हम बाद में बात करेंगे ... देखो शक्ति का प्रतिस्प आ गया
फूउउउह
...
शक्ति का प्रतिस्प बंडखूमैन की फूंक से ही उड़ गया ।
वंडखूमेन - देखा... टक... ओह... मारती रहो मेरी गुडियो... बाल खीच-खीच कर इसे भी
टकला बना दो।
प्रिंसमल - जानती हो वंडरवूगन ... गै आज तक कुबारा क्यों हूँ ?
वंडखूगन - क्यो... हो ?
प्रिंसमल - वयोकि कोई गंजी गिली ही नही.. और गिली भी तो गेरे विचारों से उसके विचार
বहीं गिले... आई लव यू... वंडरवूमैन ।
वंडरवूमन - ये बात तो मैं भी तुमसे कहना चाहती हूं.. आई लब यू 2 प्रिंसमल ।
शक्ति के प्रतिरूपों का पिटना जारी था ।
शक्ति बनकर पहुंच गई बगल वाले गुप्ता जी के घर ।
गुप्ता जी और उनकी पत्नी की लड़ाई चल रही थी ।
शक्ति ने आव देखा ना ताव, दिया घुमा कर गुप्ता जी के
। गुप्ता जी बेहोश हो गए । मिसेज
गुप्ता को गुस्सा आ
गया।
मिसेन गुप्ता - ये क्या किया... अयन... तेरै बाल नोच
लू ?
गुप्ता जी की बेटी - मम्गी ! ये आप उसे बता रही हो या पूछ रही हो... खीच लो इसके बाल ।
मिसेज गुप्ता
और उनकी बेटी शक्ति के बाल खीचकर उसे पीटने लगी।
शक्ति - अरे.. स्को.... पर मे तो आपको बचा रही थी गुप्ता आंटी... आप मुझे ही क्यो मार
रही है ?
गिसेन गुप्ता - अभी मेरे इतने भी बुरे दिन नहीं आये है कि में गुप्ता जी से ही मिट जाऊ... वो
तो में पड़ोसियो को सुनाने के लिए और इनकी आवाज दबाने के लिए चिल्लाती हूँ। ये तो अब
मेरी रोज की थ्रिल बन गई है ।
शक्ति - अच्छा... अच्छा जा रही ह... हेयर क्लिप का क्या करोगी आंटी वो तो लोटा दो !
चंदा के दिन की बोहनी (शुरुआत) ही खराब हुई थी। पर एकदम तभी उसे कही से शक्ति
बनने की फिर पुकार आई। युवती समुन्द्र में डूब रही थी, शक्ति की गति इतनी तेज थी कि वो सगुन्द्र तल के अंदर ड्रिलिंग करती चली गई । जब उपर पहुंची तब तक कॉस्ट गार्स ने उस युवती को बचा लिया था । शक्ति के शरीर पर समुन्द्र के अंदर का गाढ़ा तेल चिपक चुका था।
शक्ति - शाबास... आप लोगो ने बहुत अच्छा काम किया जो इस युवती को बचा लिया ।
कॉस्ट गार्ड केडिट - पर तेरा सत्यानाश जाये काली माई...
शक्ति
पर मैने क्या किया ?
कोस्ट गार्ड केडिट वहा बार्डर के उस तरफ पकिस्तान के समुन्द्र क्षेत्र मे तुम कच्चे तेल की
खोज कर आई हों और उन्हें सब रेडीमेड मिल जायेगा! खुदाई भी नहीं करनी पड़ेगी ।
शक्ति वहा कैसे रुकती पर रास्ते मे ही उसे कहीं और से किसी नारी की पुकार आई... सहमी
हुई शक्ति एक मंदिर में पहुंची जहा एक मंडित जी अपनी पत्नी को बुरी तरह झंट रहे थे।
शक्ति - आंटी... ये क्या ये मंडित जी आपको पीड़ा पहुंचा रहे है ?
पंडिताईन जी - हा... जाउन रहे के मंदिर के चढ़ावे मे से दुई रुपिया लेय रहे... ई देख लेस
आउर डांट दिये रहें तबही तुम आयं गई रही ।
शक्ति - क्या आप चाहती है कि इन्हें सजा मिलें?
पंडिताईन जी - जबसे शॉदी हुई रही तबही से इनको मारने की सोचत रहिन ।
भीड़ जमा हो गई, मंडित जी ने मोंके की नजाकत को संभालते हुम दाँव बदला ।
पंडित जी - अरे... देख्यो... बलविंदर.. हुकुम... चप्पल पहिन के मंदिर में घुस आई रही (चंदा
आज जल्दीबाजी मे चप्पल उतारना भूल गई थी) और कारा-कारा कुछ रिसत है... हमका तो ई
चुडैल लागत है । मारो... मारो... हपक के दई दो ई का.... बाल नोच लो... पंडिताईन तुग का
ताइत हो तुहाऊ दो ईक घुमाय के...
शक्ति का आज दिन ही खराब चल रहा था... और उपर पक गुप्त स्थान पर वंडखूमेन प्रिंसपल
के साथ मिलकर शक्ति को निपटाने का प्लान बना रही थी।
प्रिंसपल
प्लॉन क्या है ?
वंडरखूमेन - देखो ... अपना टकला मत खुलाओ मे बता रही हूँ ... मेरी गुडियो की ब्रिगेड तैयार
है... प्लॉन सिंम्पल हैं ... देखते जाओ।
वंडखूमैन के एक इशारे पर उसकी "गुंडी ब्रिगेड की हजारो सदस्य आपस में लड़ने लगी और
इतनी सारी नारियो की चीख-पुकार सुनकर शक्ति के कई प्रतिस्प उन्हे मैनेज करने के लिंग
शक्ति से अलग हो गये।
प्रिंसपल - इससे क्या होगा ?
वंडखूमन - तुम्हे विलेन बनाया किसने ? ... टकले से हाथ दूर रखो । देखों शक्तिं हजारो
प्रतिस्पों में बट चुकी हैं अब मेरी गुडिया आपस में लड़ाई छोड़कर शक्ति के कमजोर प्रतिस्पों पर
टूट पड़ेंगी और इतने कमजोर स्पों को सुना देंगी । रुको मे सबको ईयरफोन पर गाइड कर लू
थोड़ी देर ।
प्रिंसपल - लेकिन ....
वंडरखूमैन - तुम्हे अपना टकला प्यारा नहीं है क्या ? ..
अच्छा अच्छा ने प्रेटिकल डेमोट्रेशन से समझाती हूँ।
वंडरखूमैन - जरा ... मुझे हलके से मारना
मेरे चीखने पर शक्ति का प्रतिस्प जरूर आयेंगा।
अपने टकले पर वंडखूमैन की टिप्पड़ियो से नाराज प्रिंसपल ने बड़ी जोर से पक गुक्का मारा
वंडखून के सर पर और वंडखूमेंन का विंग उतर गया ।
प्रिंसपल - ओह ... तो ये है सच्चाई...
आययय
वंडखूमन - इसपर हम बाद में बात करेंगे ... देखो शक्ति का प्रतिस्प आ गया
फूउउउह
...
शक्ति का प्रतिस्प बंडखूमैन की फूंक से ही उड़ गया ।
वंडखूमेन - देखा... टक... ओह... मारती रहो मेरी गुडियो... बाल खीच-खीच कर इसे भी
टकला बना दो।
प्रिंसमल - जानती हो वंडरवूगन ... गै आज तक कुबारा क्यों हूँ ?
वंडखूगन - क्यो... हो ?
प्रिंसमल - वयोकि कोई गंजी गिली ही नही.. और गिली भी तो गेरे विचारों से उसके विचार
বहीं गिले... आई लव यू... वंडरवूमैन ।
वंडरवूमन - ये बात तो मैं भी तुमसे कहना चाहती हूं.. आई लब यू 2 प्रिंसमल ।
शक्ति के प्रतिरूपों का पिटना जारी था ।
1 comment:
Very funny😆😀
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