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Thursday, 15 September 2022

#मूंछें हों तो मुच्छड़ मनहूस जैसी हों, वर्ना न हों!

 #मूंछें हों तो मुच्छड़ मनहूस जैसी हों, वर्ना न हों! 


बाँके भैया सबके प्यारे, सबके दुलारे हैं, नो डाउट! मेरे भी रोल मॉडल हैं (मक्कारी में 😁) ! पर क्या कभी उनकी कॉमिक्स के एक अन्य बेहद महत्वपूर्ण लेकिन प्रायः थोड़े उपेक्षित से पात्र पर आपने ज़रा ध्यान दिया है? बाँके के लिए उसके सात जन्मों का दुश्मन, मोटी सूरत, मनहूसियत की मूरत, मुच्छड़ मरजाणा, छाती का अजगर....जी हाँ, वही विशालगढ़ का मोटा मनहूस राजा विक्रमसिंह!


लेकिन ज़रा थोड़ा सा बाँके का चिपकाया हुआ चश्मा उतारकर मेरी नज़र से देखिए एक बार! एक भोला-भाला, सीधा-सादा, नेक दिल, दयालु, प्रजा-पालक, सबका हितैषी, शूरवीर, संकटों के मुँह में निडर प्रवेश कर जाने वाला, और सबसे बड़ा गुण अपने प्यारे बाँकेलाल पर जान छिड़कने वाला बहुत ही आदर्श राजा। इससे ज़्यादा क्या लोगे भाई? ऐसे नालायक सलाहकार पर आँख मूँदकर भरोसा करता है, जो हर कहानी में उसकी अर्थी उठवाने की ताज़ातरीन तिकड़म लेकर ही आता है। गौर कीजियेगा कि कई कॉमिक्स में उन्हें बाँके की करतूतों पर संदेह भी हुआ है, पर ऐसा कोमल दिल की ज़रा सी झूठी कहानी बनाते ही मोम(बत्ती) की भाँति फ़िर पिघल जाए! और फ़िर वही....'ओह्ह! मेरा प्यारा बांकेलाल! हम जानते थे तुम कभी गलत हो ही नहीं सकते। दे पुच्ची!' 😄😄 बस हो गयी कहानी पट! 😣 भला इतना भी भोला होता है कोई! 🙄🙄


और फ़िर उनके शानदार व्यक्तित्व की और झलकियाँ भी देखिए...राज्य पर किसी नए संकट (राक्षस, चुड़ैल, डायन, डाकू, आक्रमणकारी राजा) के आ धमकने की सूचना पाते ही बिजली की तरह सिंहासन से उठकर ललकार लगाते हैं....दुष्ट, तेरा ये दुस्साहस! हमारी निर्दोष प्रजा को कष्ट देता है। हम अभी तुझे यमलोक पठाते हैं! हम महावीर हैं! (कॉनफिडेंस देखिए) 😆😆😂


और स्वभाव से ऐसे मदमस्त(हाथी😋) और खुशमिजाज़ के छोटी-छोटी बातों पर जश्न मना लेते हैं। सैकड़ों तरह के पकवान, पूड़ी, छोले, अचार, शाही मिष्ठान्न खुद भी छक कर खाते हैं, बाकियों को भी खिलाते हैं! देखा है ऐसा उदार और प्रसन्नचित्त राजा कहीं? और तो और कभी उदास भी नहीं दिखते, चहरे पर हमेशा एक क्यूट सी मुस्कान सुहाती रहती है, माने जो दीदार कर ले उसका भी दिल गार्डन-गार्डन हो जाये!(मेरा तो होता ही है 😍) रानी स्वर्णलता से जलन होती है!☹️ (वो कुरूपलता ही ठीक थी!😠🙄😔) 


और फ़िर सदके तो जांवाँ उनकी वीरता पर। 😍💕💕 मतलब बाँके बोल दे कि महाराज ये रहा वो आततायी राक्षस, इसका शीघ्र वध कर दीजिए। तो बिन एक पल भी सोचे समझे एकदम टूट पड़ते हैं तलवार म्यान से खींचकर! अपनी (सख़्त😀)जान की ज़रा परवाह नहीं कर्तव्य के आगे! ऐसी कर्तव्यपरायणता पर क्यों न नतमस्तक हों हम! 😄😄🙏 बड़े खुशकिस्मत हैं विशालगढ़वासी। बाँके ने तो अबतक सब को बेच खाया होता! 😁😁 😆


खैर, कँह लगि करौं बखान प्रभो! 😂😂 

गुणों का सागर हैं, खुशियाँ छलकाती गागर हैं, प्रेमरत्न की खान हैं, धीर-वीर बलवान हैं, स्वभाव से एकदम गैया हैं, बाँके की किस्मत पर बैठी ढैय्या हैं, प्रजापाल-व्रतधारी हैं, हँसमुख हीहीकारी हैं, हृष्ट-पुष्ट बलवान हैं, सबके दयानिधान हैं, दानवीर उदार हैं, बाँके की छाती का भार हैं, मन से रंग-रंगीले हैं, अद्भुत छैल-छबीले हैं! (हीहीही) 😀😀😀🙏🙏💕 ऐसे हैं अपने प्यारे राजा विक्रमसिंह! 😊😊


मित्रो, ये क़िरदार हमारे हास्य-सम्राट बांकेलाल की कॉमिक्स का बेहद अहम पात्र हैं, जिसके बिना बांकेलाल की कॉमिक्स में हास्य और मनोरंजन का वो पिटारा नहीं हो सकता था जो केवल उनकी मौजूदगी से है! सही मायने में अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि इन दोनों में कौन नायक है और कौन खलनायक! बस इतना तय मानिए की ये दोनों किरदार एक दूसरे के पूरक हैं, और दोनों की जोड़ी से ही राज कॉमिक्स का हास्य जगत इतना लोटपोट है! 😊😊💐




आदरणीय बेदी जी द्वारा चित्रित बांकेलाल मेरा सर्वाधिक प्रिय है। और उन्होंने जो रूपरंग राजा विक्रमसिंह के किरदार को प्रदान किया है, वो भी उतना ही लाज़वाब है। एकदम राजसी शान झलकती है। मैंने एक कॉमिक(नाम याद नहीं) के पीछे शायद ग्रीन पेज पर देखा और पढ़ा था कि राजा विक्रमसिंह का रूपरंग काफ़ी कुछ बेदी जी ने अपने सुपुत्र से मिलता-जुलता बनाया था। उनकी वास्तविक तस्वीर भी कॉमिक्स में दी हुई थी, जिसे देखकर मुझे हैरानी हुई थी कि ये तो सचमुच वैसे ही दिखते हैं। बस मुच्छड़ मनहूस का टाइटल देने के लिए उन्हें मूंछें चिपका दी गईं। अब सच है या इत्तेफ़ाक़ ये तो बेदी जी जानें! 🤣🤣

किसी मित्र के पास उस कॉमिक का वह ग्रीन पेज और तस्वीर हो तो कृपया कॉमेंट्स में साझा करें। बड़ी कृपा होगी! 😊😊🙏


हंसते रहिये, और दूसरों को रुलाते रहिये! टेंशन न लीजिये क्योंकि कर बुरा, हो भला! जय भोले शंकर! 😊🙏💕

बांकेलाल VS नागराज

 बांकेलाल vs नागराज



1. बांकेलाल का जन्म देवों के देव महादेव के आशीर्वाद से हुआ। नागराज का जन्म एक छूटभैये देवता कालजयी के आशीर्वाद से हुआ। 

2. दोनों की मां ईष्ट देव की बड़ी भक्तन थी।

3. दोनों को ईष्ट देव के क्रोध का भाजन बनना पड़ा जिसका प्रभाव बाद में कम कर दिया गया।




4. नागराज को स्वर्ग में कोई नहीं जानता था, नागराज तो  छोड़ो कालजयी को भी देवता ठीक से नहीं जानते, न ही  उन्हें कोई विभाग मिला है। बांकेलाल की मदद लेने के लिए देवऋषि खुद इन्द्र को सलाह देते हैं। 

5. नागराज को राजा का पुत्र होने की वजह से खजाना मिला है, बांकेलाल पुरुषार्थ में यकीन करता है, कितनी ही बार खजाना मिला और दान कर दिया।

6. नागराज की लाइफ सेट है फिर भी गंभीर रहता है, बांकेलाल की किस्मत फूटी है फिर भी ही ही करता है।

7. दोनों के गैर परंपरागत विधि से पुत्र हुए हैं, जो अपनी मां के साथ ही रहते हैं।

8. थोड़ी सी अतिरिक्त शक्ति धारण करने के लिए नागराज 4 फ्रेम का ड्रामा करता है। बांकेलाल भगवान विष्णु की शक्तियां तक धारण कर चुका है।

मेरी जर्नी का शुरुआती चरण-3

अपनी पिछली पोस्ट मे मैने बताया था कि कामिक्सो से मेरा परिचय कैसे हुआ। इस पोस्ट मे बात करेंगे कामिक्सो के साथ मेरे सफर के शुरुआती दौर की।

Manoj Comics, Hindi Comics, Old Hindi Comicsजब मुझे कामिक्से अच्छी लगने लगी तो मैं उसी दुकान से कामिक्से किराये पर लेकर पढने लग गया। और कुछ ही समय मे मैंने वहाँ की सारी कामिक्से पढ डाली। उस दुकान पर ज्यादातर Raj Comics ही थी। कुछ एक ही Manoj Comics थी। वही मैने अपनी पहली Manoj Comics “तूफान की मौत भी पढी। ये कामिक्स मुझे बहुत पसंद आई और अभी भी मेरे पास है। उस दुकान पर सारी पुरानी कामिक्से ही थी। नई कामिक्से वो नही लाता था। ना ही मुझे नई कामिक्सो और नए सैट के बारे मे कुछ मालूम था

Raj Comics
जब उस दुकान पर पढने के लिए कोई कामिक नही बची तो मैंने अपने पापा से कामिक लाने के लिए कहा। और लोगो के parents की तरह मेरे पापा कामिक को बुरी चीज नही मानते थे। लेकिन वो काफी दिनो तक मुझे गोली ही देते रहे। कल ला दूँगा, भूल गया, स्टेशन पर थी नही, इत्यादि। लेकिन एक रोज मैंने बहुत जिद्द करी तो उन्होने मुझे दो कामिक्से ला कर दी । उनमे से एक थी बौना राक्षस 
और दूसरी थी… Guess it again Guys. 
दूसरी कामिक थी नागराज। मेरी पहली नागराज की कामिक शायद नागराज ही थी। इस बारे मे ठीक से याद नही है कि मैने पहले Nagraj aur Bem Bem Bigalow पढी या Nagrajअगर बेम बेम बिगेलो मेरी पहली Nagraj की कामिक थी तो भी नागराज मेरीNagraj की पहली खरीदी हुई कामिक थी।

अब मेरा कामिक पढने का शौक तेजी से परवान पर चढ रहा था। ये बात 1995 की है तब मैं 5th class मे चला गया था। मेरे प्राइमरी स्कूल के पास ही एक दुकान थी जो जो नए सैट लाता था लेकिन मुझे मालूम नही था कि कामिक्से सैट के हिसाब से आती है। उस के पास से मैने Super Commando Dhruva की सर्कस, हत्यारी राशिया पढी थी। उस समय तक भी विशेषांक का किराया 1रुपया ही था। इसके अलावा मैंने वहाँ से Bhokal की शुरुआत की कुछ कामिक्से भी पढी।

How Super Commando Dhruva became my Favorite:
Indian Comics, Raj Comics

एक बार मैंने कहा कि राज कामिक्स मे सबसे तगडा हीरो डोगा है। तो इस पर मेरे भाई ने कहा कि सबसे जबरदस्त हीरो है SuperCommando Dhruvaडोगा तो अपने पास इतने सारे हथियार रखता है लेकिन ध्रुव तो खाली हाथ रहता है। नागराज के पास भी नाग है लेकिन ध्रुव के पास कोई हथियार नही है फिर भी वो गुंडो को पीट देता है। इसलिए ध्रुव सबसे अच्छा है। मेरे भाई ने तो मेरी आँखें खोल दी। तभी से ध्रुव मेरा फेवरिट है। कभी-कभी हम दोस्त आपस मे ये बाते भी करते थे कि नागराज और ध्रुव की लडाई मे कौन जीतेगा। मेरा एक दोस्त कहता था कि नागराज ध्रुव के मुँह मे सांप डाल देगा और सांप उसके पेट की आंते खा जाएगा। मैं कहता कि ध्रुव फुर्ती से बच जाएगा और नागराज को पेल देगा। हा हा हा।

अब तक मेरे मोहल्ले मे और मेरे सभी दोस्तो को पता लग गया थी कि मैं comics का शौकीन हूँ। ऐसे ही एक बार एक बडे लडके ने मुझ से कहा कि तूने ध्रुव की वोcomics पढी है जिसमे ध्रुव मर जाता है। मैं ये सुनकर एकदम से सदमे मे आ गया। मुझे लगा कि इसके बाद तो ध्रुव की कामिक्से ही नही आई होगी। मैने उस से कामिक का नाम पूछा तो उसने बतायामैंने मारा ध्रुव को। फिर तो इस कामिक की खोज बीन शुरु हो गई। काफी ढूंढने के बाद एक दुकान का पता चला जो मेरे घर से काफी दूर थी। रेलवे लाईन क्रास कर के। और वो इलाका गुंडो बदमाशो से भरा हुआ था। घरवाले उस तरफ कभी भी नही जाने देते थे। लेकिन मैं चला ही गया वहाँ कामिक की खातिर। वहाँ मैने मेरे मारा ध्रुव को के अलावा Nagraj की भी कुछ कामिक्से पढी। नागराज और कांजा, नागराज का अंत, शाकूरा का चक्रव्यूह्। मैने मारा ध्रुव को पढने के बाद थोडे समय बाद मैने हत्यारा कौन भी पढ डाली और जब सच्चाई का पता चला तो जान मे जान आई कि चलो अभी और कामिक्से भी पढने को मिलेगी।

ध्रुव की कुछ और कामिक्से भी थी जिनके लिए मैं काफी उत्साहित रहा। डाक्टर वायरस और वैम्पायर। डाक्टर वायरस का तो नाम ही काफी थी मुझे excited करने के लिए। और वैम्पायर के बारे मे मुझे एक लडके ने बताया था कि इसमे ध्रुव का मुकाबला बगैर खोपडी वाले इंसानो से होता है। वो तो कामिक पढ कर पता चला कि वो बगैर खोपडी नही बगैर दिमाग वाले आतंकवादी थे।
                                      
वैसे मैं आप लोगो को एक बहुत ही मजेदार बात बताता हूँ। शुरुआत मे मुझे ये लगता था कि ये नागराज, ध्रुव, बांकेलाल असली मे थे। पुराने समय मे। और अब Raj Comics वाले इनके ऊपर कामिक्से निकाल रहे है। ही ही ही।
Raj Comics, Dhruva Comics

पिछले पोस्ट के बारे मे एक दोस्त ने कहा था कि पोस्ट छोटी थी और जब मजा आने लगा तो वो खत्म हो गई। इस बार काफी बडी पोस्ट लिखी है उम्मीद है आप लोगो को पसंद आएगी। अगली पोस्ट मे बात करेंगे late 1995 से लेकर 2000 तक की। Raj Comics के सबसे सुनहारे दौर की। (मेरे और मेरे हमउम्र लोगो के लिए)। पोस्ट पर आपके comments का इंतजार रहेगा। इस ब्लाग को दूसरे सोशल नेटवर्क पर भी फैलाए। facebook, twitter and google+ पर शेयर करिए।