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Thursday, 30 July 2020

अमित कुमार की कलम से हास्य लेख (आधारित राज कॉमिक्स)

ऐसे ही कुछ भी

नागराज सुबह ही भागता हुआ ध्रुव के घर पहुँचा और ध्रुव से कहता है -जल्दी चलो महामानव ने महानगर पर हमला कर दिया है अब तुम ही कुछ कर सकते हो
ध्रुव-ठीक है चलो।
(मन ही मन सोचता है अभी तो काढा भी नहीं पिया है और काढा भी खत्म हो गया,लगता है आज इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी) 
घर से थोडी़ दूर चलके हकीमजी का घर के पास ध्रुव जमीन पर गिर पडा।
नागराज-क्या हुआ ध्रुव
ध्रुव-पता नहीं क्यों पेट में बहुत दर्द हो रहा है पर तुम मेरी चिंता मत करो महानगर वालों को हमारी जरूरत है जल्दी चलो
नागराज-पर तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, एेसा करते है ये पास ही हकीम जी रहते है,इनको दिखा लेते है।
हकीम जी के घर
नागराज-देखिये हकीम जी ध्रुव को क्या हुआ

हकीम जी ध्रुव को देखते ही सब समझ जाते है कि शायद इसका काढा खत्म हो गया है कल ये ले जाना भूल गया था
हकीमजी-इसे बराबर के कमरे में लिटा दो,देखता हूँ।

कमरे के अंदर
ध्रुव फुसफुसाते हुये-हकीमजी काढा खत्म हो गया
हकीमजी धीरे से-मै भी समझ गया था काढा तैयार है जल्दी से पी लो
ध्रुव ने जल्दी से काढा पिया और हकीमजी के पैर छुये-आज आपने मेरी इज्जत बचा ली
हकीमजी-बस कर पगले अब रूलायेगा क्या?

दोनो कमरे से बाहर आते है

नागराज-इतनी जल्दी ठीक हो गये ध्रुव,क्या जादू कर दिया हकीमजी ने?

हकीमजी मक्कारी वाली हँसी हँसते हुये-हीहीही,कुछ नहीं पेट में गैस इकट्ठी हो गयी थी,दवा दे दी है अब कुछ ही देर में हवा घूम जाएगी पर थोड़ा दूर रहना ध्रुव से।
ध्रुव भी खीखीखी करके हँसने लगता है

नागराज गुस्से में- ओ काढा़ पुरूष ज्यादा खीखीखी मत कर सर्प वाले कान है मेरे,सब फुसफुसाहट सुन ली मैनें,अब जल्दी चल महानगर भी पहुँचना है।

ये कह कर नागराज ने ध्रुव को खींचा, ध्रुव का बैलेंस बिगड़ा और ध्रुव गिर पड़ा,हड़बड़ा कर ध्रुव बेड पर से गिर पड़ा वो पसीना पसीना हो चुका था उसे अहसास हुआ वो सपना देख रहा था,उसने भगवान का शुक्रिया किया चलो शुक्र है कि चलो किसी को इस राज के बारे में किसी को पता नहीं चला।

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