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Saturday 12 January 2019

वह कॉमिक है! मैं इसे जानता हूं-2

आज इस ब्लाग पर मेरी ये पोस्ट आपको बताएगी कामिक्सो के साथ मेरे सफर की शुरुआत की कहानी। मैने राज कामिक्स फारम और दूसरी सोशल नेटवर्किंग साइटस पर दूसरे पाठको का अनुभव पढा है। ज्यादातर लोगो ने कामिक्से summer vacation मे टाईम पास करने के लिए पढ़ना शुरु किया। और फिर वो उनका शौक बन गई। लेकिन मेरी कहानी कुछ और ही है।



मैं दिल्ली के एक दूर-दराज इलाके का रहने वाला हूँ। अभी पिछले ढाई साल से अपने नए घर मे रह रहा हूँ। इस से पहले जहाँ रहता था वहाँ 18 साल रहा। वो एक बहुत ही पिछडा हुआ इलाका था। बुनियादी जरुरतो रहित। सडक नही, पानी नही, बिजली नही। वहाँ ज्यादातर मजदूर लोग ही रहते है। Totally labor class. उस समय traditional games खेल कर ही टाईम पास होता था। लटटू, कंचे, इत्यादि। या फिर त्योहारों के मौके पर खूब मस्ती करते थे। तो ऐसे ही एक बार दशहरे का time चल रहा था और हम रोज बम फोडते थे। ये बात 1994 की है। एक दिन मैने कहा आज मैं बम खरीदता हूँ किसी नई दुकान पर चलो। हमारे वहाँ परचून की दुकानें भी बहुत कम थी। मेरा एक दोस्त मेरे को घर से दूर एक दुकान पर ले गया। वहाँ जब हम बम खरीद रहे थे तो एकदम से मेरी नजर एक चीज पर पढी और मैं चिल्लाया कामिक्स। वहाँ एक तरफ काफी सारी कामिक्से रखी हुई थी।



दुकान पर एक बूढी अम्मा बैठती थी। मैने अपने दोस्त से कहा कि मैं कामिक्से पहले भी देख चुका हूँ। मैने उसे बताया कि साईकल की तरह ये भी किराए पर मिलती है। मैने अम्मा से किराया पूछा तो उसने बताया एक कामिक्स का किराया 50 पैसे है। मैने एक कामिक्स निकाल ली और वही बैठ कर पढने लग गया। and Guess मेरी पहली कामिक कौन सी थी?

प्रतिशोध की ज्वाला

ये वाली प्रतिशोध की ज्वाला ओरिजनल 4 रु वाला प्रिंट था। तब मै ओरिजनल प्रिंट का शिकारी नही था और  एक बार मैने इसे खरीदने की कोशिश भी की थी लेकिन खरीद नही पाया। क्योंकि दुकानदार इसके 3 रुपये मांग रहा था और मेरे पास सिर्फ 2 ही रुपये थे।

मेरी दूसरी कामिक थी रोमन हत्यारा। फिर तो मेरे मनोरंजन के माध्यम मे एक चीज और जुड गई। मेरे दोस्तो और भाई-बहन को भी कामिक्स पसंद आई और वो भी पढने लगे।

कामिक्स का सफर शुरु तो हो गया लेकिन ये सफर इतने लम्बे समय तक जारी कैसे रह सका। इसका खुलासा करुंगा अगले पोस्ट मे। आप लोगो का सफर कैसे शुरु हुआ? इच्छुक है तो यहाँ बताईए J