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Friday 16 April 2021

जय किशोर की कलम से

 मित्रों,(मोदीजी वाला नहीं ही ही ही)


अभी किसी ग्रुप में जा घुसा था। वहां कुछ जबरदस्ती के इंटलेक्चुअल्स  बंदे बोल रहे थे कि कॉमिक्स किसी केरेक्टर के साथ भेदभाव नहीं करती। दरअसल वो ध्रुव और नागराज की बात कर रहे थे। उनका कहना था कि नागराज के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ। जो कुछ भी हुआ बिल्कुल निष्पक्षता के साथ हुआ। कॉमिक्स बनाने कालों के लिए तो सभी कैरेक्टर समान होते है। वो क्यों किसी के साथ भेदभाव करेंगे। जो स्टोरी की डिमांड होती है उसी हिसाब से कैरेक्टर के रोल सेट किये जाते हैं। इस पूरी बकवास का मतलब था कि वो ध्रुव को नागराज पर तरजीह दिए जाने को जस्टिफाई कर रहे थे। उनके मुताबिक जो कुछ भी नागराज के साथ हुआ और ध्रुव को जो हाइप मिली वो ध्रुव डिजर्व करता था। लेखक ने कोई भेदभाव नहीं किया। उन बंदों के मुताबिक ये सब हालात अपनाए जाने लायक है। तो अब पूरी डिटेल के साथ ये बताना जरूरी है कि नागराज क्या था और उसके साथ क्या किया गया!?

कैसे पक्षपात करके नागराज जैसे नम्बर वन सुपर हीरो को दोयम दर्जे का साइड हीरो बनाया गया।??


तो उन लोगों को बता दिया जाए कि नागराज को जानने के लिए पहले ' नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव', तथा ' नागराज और बुगाकु' का ध्यान से अध्ययन करें। 

जो नागराज ध्रुव के बड़े भाई की भूमिका में था उसे हर बार पिटवा कर ध्रुव के पीछे खड़ा करने का भरपूर प्रयास किया गया।

अब आती है बात पक्षपात की तो इसके लिए प्रलय, विनाश, राजनगर की तबाही, संहार, विध्वंस, परकाले पढ़े। 

जी न भरे तो ' नागाधीश' , 'वर्तमान', 'सम्राट' और 'सौडांगी' जैसे हृदय विदारक विशेषांक पढ़े। (ये सलाह नागराज के हार्ड कोर फेन्स के लिए नहीं है!!कहीं वो कॉमिक्स फाड़ न डालें!!)

पक्षपात की हदें पार करते ये पक्षपात पूर्ण कॉमिक्स पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि किस तरह नागराज को पीछे धकेला गया और अपने मानस पुत्र को जी भर के तरजीह दी गयी।

कुछ उदाहरण देखिए....

1. नागराज के सारे राज़ ध्रुव जानता है।


2. नागराज के अलावा नागद्वीप के बारे में सिर्फ ध्रुव जनता है लेकिन स्वर्ण नगरी की भनक नागराज को कभी नहीं लगने दी गयी।(बाद में किसी नई कॉमिक दी गयी हो तो पता नहीं।) 🙄


3. कालदूत- जिसे हराने में नागराज के पसीने छूट गए उसे ध्रुव आसानी से परास्त कर देता है। लेकिन धनन्जय, किरिगी, ज़िंगालु को नागराज के हाथों कभी नहीं पिटवाया।


4. हर कॉमिक्स में अंत में नागराज गलत साबित किया जाता है और ध्रुव की नैतिक जीत बताई गई।


5. नागराज के दोस्त ध्रुव और ध्रुव के दोस्तों द्वारा परास्त होते रहते है या पोपट बनाये जाते हैं।


6. हर 2-in-1 या मल्टीस्टारर में पूरा नेतृत्व ध्रुव को दे दिया जाता है और बाकी हीरोज (नागराज सहित) मुंह ताकते रहते है।


7. वो नागराज जिसकी अपनी खुद की स्ट्रेटेजी होती थी... खुद का अपना तरीका होता था, वो अब ध्रुव के इशारों पर नाचने लगा।


8. नागराज को दोयम दर्जा देने के लिए उसे कमांडो फोर्स के बच्चों द्वारा बचाया गया, एक साइड हीरो बनाने के लिए सम्राट' और 'सौडांगी' जैसे कई कॉमिक्स बनाये गए। जिसमे नागराज सिर्फ के ताकतवर हेल्पर के अलावा कुछ नहीं होता।


अब इन सब बातों को वही समझ सकता है जिसने RC शुरू से पढ़ना शुरू की। जिन्होंने क्लासिक नागराज का वो aura देखा है। जिन लोगों ने शुरुआत ही कोहराम, प्रलय, विनाश जैसे कॉमिक्स से की वो ही उस घोर पक्षपात को उचित ठहरा सकते हैं। 


(यहाँ ये भी बता दूं कि मैं कोई ध्रुव विरोधी नहीं हूं, क्लासिक नागराज की तरह क्लासिक ध्रुव को भी उतना ही पसंद करता हूँ। लेकिन नागराज के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं। क्योंकि वो नम्बर 1 है और रहेगा।)


बस अंत में उन इंटलेक्चुअल्स के लिए एक ही पंक्ति लिखना चाहूंगा...


"कौन हैं ये लोग, कहाँ से आते हैं...."

MAHABALI SHAKA STICKER

 

 

Thursday 15 April 2021

हिमांशु भाई की कलम से

 एक बात गौर किजिएगा! 


वो तो राज कॉमिक्स निरंतर बिकती रही, और लगातार नागराज और ध्रुव की कॉमिक्सो को प्रकाशित करती रही! तो Company इतने सालों तक Running में रही!हां वक्त के साथ किमतों में बदलाव होना लाजिमी है! ...... ये जो हम दुसरे कॉमिक्स के किरदारों को 300/400 रूपये एक कॉमिक्स के दे देते हैं!


 जैसे:-.हवलदार बहादुर/राम रहीम/क्रुकबाण्ड अन्य पब्लिकेशन के किरदारों के! ........ वजह ये हैं की वो कॉमिक्सो कंपनियां अब रनिंग में हैं नहीं! ...... और संख्या में कम हैं इसलिए किमत़ ज्यादा हैं! उनकी कहानियां भी राज कॉमिक्स के मुकाबले औसत ही रही हैं! (ऐसा मेरा मानना हैं) 


    जैसे चाचा चौधरी को बच्चा-बच्चा तक पहचानता हैं! वैसे ही नागराज और ध्रुव का क्रेज भी भारतीय कॉमिक्स जगत में, उतना ही रहा हैं... और हैं भी! 


    ध्रुव-नागराज की कहानियां इतनी बार प्रकाशित हुई इसलिए इतने लोगों की जुंबा पर वो नाम आ पाया! ...... मैं खुद कॉमिक्स के स्वर्णकाल मैं पैदा नहीं हुआ उम्र की बात अगर की जाए तो कोहराम कॉमिक्स जितनी उम्र हैं मेरी! (April 2000) 😊

    मेरा कॉमिक्स क्रेज़ आप सब भली भांति जानते होंगे, 2000 के बाद मनोरंजन के कईं साधन विकसित हुए कागज़ पर आने वाले किरदार 30-32 इंच के डब्बे(T.v.) पर स्वचालित होने लगें, तो पढने की ज़हमत कौन करें? रही सही कसर इस 5-7 इंच के डब्बे (मोबाइल) ने पुरी कर दी! खैर इसी डब्बे की वजह से हम सब यहां हैं और ये ग्रुप हैं और कॉमिक्स का मार्केट भी तभी हैं|     

    2000 के बाद मैं भी कॉमिक्स फैन/लवर/ सेलर/बायर/कलेक्टर/ जुनुनी जो समझो वो बना ही हूँ.......

 अरे सॉरी ब्लेक मार्केटिया लिखना तो भूल ही गया 😊! 

    वजह ये थी कि तब तक ये किरदार कॉमिक्स की दुनिया में बने रहे! उनकी पापुलैरिटी ने मुझे भी कॉमिक्स से जोड़ दिया! ..... इसलिए डायमंड कॉमिक्स का स्लोगन " 5 साल के बच्चों से लेकर 80 साल तक लोकप्रिय" ये फिट बैठता है! Rc भी हर उम्र के पाठकों को बांधे रखती हैं! 

    दुसरी कॉमिक्स के जो दाम आप 300-400 देते आ रहे, मैनें भी कईं कॉमिक्से इतने में ही बेची हैं! ..... इसलिए की वो गुमनाम किरदार हैं! ..... कॉमिक्स की दुनिया में सेलर और कलेक्टर के लिए "Rare" शब्द का मतलब हैं की गुमनाम किरदारों की कॉमिक्स जो प्रचलन में नहीं वो रेयर हैं! 

   एक बार खुद सोचिए, नागराज और ध्रुव इतनी बार प्रिंट नहीं होती तो उन कॉमिक्स का रेट आज़ क्या होता? ब्लेक मार्केट में वो कितने की बिकती? ........ उदाहरण के लिए "किरीगी का कहर" आज़ कितने में बिकती? 

  आज़ की तारिख में Comics की किमतों का आकलन उसका अप्रचलन और गुमनामी तय करती हैं, ना की अच्छी कहानी और अच्छे चित्र से परिपूर्ण होना! 

   किमत़ निर्धारित करना कंपनी की अपनी मर्जी हैं! जरूरी नहीं आप हर कॉमिक्स लें, कॉमिक्स अब मुलभत आवश्यकता की चीज़ तो हैं नहीं कि लेना जरुरी हैं! इस देश में कुछ लोगो को दो वक्त के लिए रोटी-पानी नसीब नहीं हैं! कॉमिक्स मनोरंजन का एक साधन हैं, अपर-मीडिल क्लास वाले लोगों का थपका हैं एक! (किराए का दौर समाप्त होने के बाद)

   जिन कंपनियों ने मेरा बचपन बनाया, में कोशिश करूंगा की उन कंपनियों या उनके किरदारों कि मैं किसी प्रकार की आलोचना ना करुं, और नकारात्मकता फैलाकर पाठको को दुर ना करुं, या कॉमिक्स प्रेमी को नागराज-ध्रुव के प्रंशसको में विभाजित ना करूँ! सबसे यही दरख्वास्त करता हूँ जिन्हें जो पसंद हो उनकी कॉमिक्स ले! 💐 बस नकारात्मकता से दूर रहें! 

नयी कॉमिक्स कंपनी "फिक्शन" के रेट पता होंगे आपको की क्या थें, उसे कभी कहानी से तोल कर देखा हैं? खैर! सबकी पसंद को नमन!💐

    Bargain अथार्त मौल भाव करना भारतीयों का धर्म हैं जरूऱ करें! आप कॉमिक्स को उसकी कहानी या उसके परिपूर्ण चित्र से उस कॉमिक्स को तोलें, ना की गुमनामी से! 💐 

    कॉमिक्स के कलेक्शन के इस शौक मैं मैनें बेकार कॉमिक्स की जो किमत़ अदा की हैं, तो नयी राज कॉमिक्स की किमतें सही है उस हिसाब से! बाके सबके अपने विचार हैं साहब!💐🙏 सबके विचारों का आदर अपनी जगह! 

   बस नकारात्मकता ना फैलाएं जो सही लगें वो कॉमिक्स लें! 

     आपका कॉमिक्स वाला दोस्त "हिमांशु" 😊🙏