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Thursday, 6 February 2020

फिर, अब और हमेशा के लिए -1

नमस्कार दोस्तो।
आखिरकार आज मैने कामिक्स को लेकर बनाए गए अपने इस ब्लाग पर काम करने का फैसला कर ही लिया। आज जब ये ब्लाग लिख रहा हूँ तो मै इसमे आगे जुडने वाली पोस्टो के बारे मे भी काफी हद तक निश्चित हूँ कि उनमे मे आप लोगो के साथ क्या शेयर करूंगा।

ब्लाग के लिए मैने हिंदी भाषा को चुना है। अंग्रेजी मे भी लिख सकता था लेकिन फिर कामिक्स के प्रति मेरे ह्र्दय मे जो भवनाए है वो प्रभावशाली माध्यम से व्यक्त नही कर पाता। दूसरे, मै ये ब्लाग सिर्फ भारतीय और  हिंदी कामिक्सो के लिए ही लिख रहा हूँ क्योकि मैने सिर्फ ये ही कामिक्से पढी है।

काफी लोग मुझे पहले से ही जानते है।
और हिंदी कामिक्स विशेषकर राज कामिक्स (raj comics) के प्रति मेरे लगाव से वाकिफ है। लेकिन कुछ बाते ऐसी है जिन्हे मैने कभी शेयर नही किया। मै चाहता था कि वो बाते राज कामिक्स के फारम (raj comics forum) पर शेयर करु। लेकिन वो अब संभव नही दिखता। तो अब मै इस ब्लाग के माध्यम से वो सारी बाते शेयर करूंगा।

Indian Comics

मेरे (और मेरी उम्र के बहुत से लोगो के) बचपन मे मनोरंजन का सबसे बडा माध्यम हुआ करती थी कामिक्से। राज कामिक्स, मनोज कामिक्स, डायमंड कामिक्स, तुलसी कामिक्स, राधा कामिक्स इत्यादि। समय बदला लेकिन कामिक्सो के प्रति लगाव नही बदला। बहुत से प्रकाशक जैसे manoj comics, tulsi comics, radha comics, etc बंद हो गए लेकिन अकेले raj comics ने मेरे कामिक्सो के प्रति मेरे मोह को बनाए रखा। मेरा ये ब्लाग एक सलाम है hindi and Indian comics industry को। A tribute to Indian Comics Industry. जिन्होने हमारे बचपन को सुखद बनाने मे कोई कसर नही छोडी।



Hats off to you guys. 

मेरे अन्य हिंदी कॉमिक्स -स्वर्ण युग

Other Hindi Comics and Me

आप लोगो का फिर से स्वागत है मेरी इस चौथी पोस्ट मे। मैने अपनी पिछली पोस्ट मे कहा था कि आगे मैं बात करुंगा late 1995 से लेकर 2000 तक के अपने कामिक्स सफर की। लेकिन मैं थोडी जल्दबाजी कर गया। Indian Comics or Hindi Comics से जुडे मेरे कुछ अनुभव मैं शेयर करना भूल गया था। मैने आप लोगो को ये तो बता दिया था कि मैने manoj comics भी उसी समय से पढ़ना शुरु कर दिया था लेकिन बाकी publications की comics भी मैंने तभी शुरु कर दी थी।
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उस समय comic मेरे लिए मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन थी। और मेरे को जो कोई भी comic मिलती थी मैं पढ लेता था। मेरे दोस्तो को भी comic पसंद आने लगी थी। ऐसे ही एक बार मेरे एक दोस्त के दोस्त ने कुछ परम्परा comics खरीदी। वो मेरे जीवन की पहली परम्परा comic थी। उन मे से मुझे अब सिर्फ Gold Medal (अंग्रेजीलाल-हिंदीलाल) का ही नाम याद है। और ये comic अभी भी मेरे पास है।

एक बार मेरे पापा पटरी बाजार से कुछ comics लेकर आए थे। उन मे फोर्ट और नूतन के अलावा और भी प्रकाशक थे लेकिन राज और manoj नही थी। उस समय पहली और आखिरी बार मेघदूत को पढा। आगे चलकर फोर्ट, नूतन और परम्परा मे से किसी भी कम्पनी की कोई भी comic दोबारा नही मिल पाई।

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कुछ समय बाद तुलसी comic के भी दर्शन हो गए और मुझे इसके तीनो हीleading superheroes अंगारा, जम्बू और तौसी पसंद आए। जम्बू की जम्बू और शनिश्चर मैंने उसी समय पढ ली थी। इसमे अंडा देवता मुझे हमेशा याद रहा। 

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राधा comics के दो ही किरदारो की comics उस समय देखने को मिली। बौना जासूस और जूडो क्वीन राधा। बौना जासूस और सवा करोड की भैंस मेरी पहली बौना जासूस की comic थी। इसे पढ कर बहुत हंसी आई थी।

Hindi Comics, Diamond Comics

hindi comics, diamond comicsIndian Comics की बात चल रही हो और Diamond Comics का जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है भला। Diamond Comics ही शायद भारत की ऐसी एकमात्र comic कम्पनी है जिस पर Parents भी एतराज नही करते। चाचा चौधरी, रमन, पिंकी, श्रीमती जी, आदि सभी लोकप्रिय पात्र मैंने बचपन मे ही पढे। उस समय अग्निपुत्र-अभय Diamond Comics के मेरे Favorite Action Hero थे। मैंने उनकी कुछ comics तब पढी थी। अभय की Bike तो गजब की थी। मैं और मेरा दोस्त अक्सर उसकी बाईक के बारे मे बाते करते रहते थे।
Diamond की ही किसी comic मेहिडकचल्लू नाम का एक किरदार था।comic का नाम याद नही लेकिन ये नाम मुझे बहुत ही funny लगा था। काफी समय बाद (शायद 1998 के आसपास) मैने अपनी चाची के घर एक comic पढी थी। इसमे मोटू-पतलू और घसीटा राम की एकदम फाडू कामेडी थी। हंस-हंस कर बुरा हाल हो गया था। मैं जब भी चाची के घर जाता था येcomic जरुर पढता था।

manoj comics, hindi comics, indian comicsदुर्भाग्य से आगे चलकर Diamond Comics के अलावा इन मे से किसी भी publication की comic पढने को नही मिली। ये comicsपुरानी ही मिला करती थी। मतलब नया सेट नही मिलता था। जब्कि राज comics नया सेट निकालती थी और वोआसानी से मिल भी जाता था। राधा और तुलसी तो मैने अपने दोस्तो से माँग कर ही पढी थी। फिर मेरा भी रुझान Raj Comicsमे ज्यादा बढ गया और मैंने भी इन कामिक्सो पर ज्यादा ध्यान नही दिया।



manoj comics, hindi comicsहाँ Manoj Comics इस बीच मिलती रही। हालाकि उनकी नई comics भी कम ही मिला करती थी लेकिन पुरानी comics अक्सर मिल जाती थी। त्रिकाल देव, तूफान, इन्द्र, विध्वंस, क्रुकबांड, हवलदार बहादुर और राम-रहीम आसानी से मिल जाते थे। मेरा भाई तो हवलदार बहादुर का फैन बन गया था उस समय। उस समय मुझे तूफान और विध्वंस बहुत पसंद थे और मुझे इनकी जो भी comic मिलती थी मैं पढ लेता था। बाद मे कौआ, मनु और कान भी मिलने लगे। बाद मे कुछ बुक डिपो वाले manoj के नए सैट भी लाने लगे थे। लेकिन उस समय सागर-सलीम, कर्नल कर्ण, सुपर थीफ रुस्तम का नाम भी नही सुना था। जब सेcomics कलैक्ट करनी शुरु की है तब से इन सबका नाम पता चला।

comic किराए पर पढने के अलावा मैं अब comicsबदल कर भी पढने लगा था। ये बात 1995 के आखिरी दिनो की है। अब मेरे पास दो चार comics हो गई थी और मैं अपने दोस्तो से बदल-बदल कर comics पढता था। ज्यादातर हम लोग सिर्फ पढने के लिए ही बदलते थे। मतलब कि पढ कर वापस कर दी। कोईcomic अच्छी लगती थी तो हमेशा के लिए भी बदल लेते थे। बचपन मे ज्यादातर लोगो ने ऐसा ही किया होगा। ऐसे ही एक बार मैंने अपने रिंकू नाम के एक दोस्त से कुछ comics पढने के लिए ली। वो मुझे ऐसे ही comics दे देता था। मैंने "खूनी खिलौने" पहली बार उसी से लेकर पढी थी। तकरीबन 15 से 20 तक comics थी और ज्यादातर Manoj Comics. फिर काफी समय तक मैं उस से मिल नही पाया। लेकिन मैंने उसकी ये comics डेढ से दो साल तक संभाल कर रखी और जब बाद मे वो मिला तो वापिस कर दी।

इस पोस्ट मे तो सिर्फ other Indian Comics publication के साथ मेरे शुरुआती अनुभव के बारे मे ही बात हो पाई। अब late 1995 से लेकर 2000 तक के दौर के बारे मे बात करेंगे अगली पोस्ट मे। उस पोस्ट मे Raj Comics पूरी तरह से केन्द्र बिंदु (center of the focus) बनी रहेगी। आप लोगो के comments का इंतजार रहेगा।

राज कॉमिक्स का स्वर्ण युग-1

AUTHOR-SANJAY SINGH(POST WRITTER)
जैसा कि इस पोस्ट के शीर्षक से पता चलता है और मैं अपनी पिछली पोस्टो मे भी बता चुका हूँ, इस पोस्ट मे बात करेंगे Raj comics के सबसे सुनहरे दौर की। (मेरे और हमउम्र लोगो के लिए) इसे लिखने मे समय कुछ ज्यादा लग गया क्योंकि कुछ जरुरी काम आ गए थे और फिर इसे लिखने के लिए पुरानी यादो मे जाने मे भी समय लग गया। साथ ही कुछ और matter भी इकट्ठा करने थे। लेकिन आखिरकार मैंने सब इंतजाम कर ही दिए।

बात शुरु करते है लेट 1995 से। अब मेरी 5th standard की पढाई खत्म होने वाली थी। कामिक्सो का जुनून इस वक्त अपनी चरम सीमा पर था और मैं क्लास मे भी किताबो के बीच कामिक रख कर पढने लगा था। कामिक्सो की एक दुकान तो स्कूल के बाजू मे ही थी। और उस से मैं अक्सर कामिक्से किराए पर लेकर पढता था। एक बात मैं बताना भूल गया कि मैंने अब तक राज कामिक्स की सुपर स्पेशल कामिक भी पढ ली थी। मेरी पहली सुपर स्पेशल विशेषांक थी खून चोर। और इसके बाद पढी थी जाली नोट।

Raj Comics, Nagraj Comics, Super Special Issues1995 खत्म होने वाला था और उस समय राज कामिक्स मे कुछ खास परिवर्तन देखने को मिले। अब कामिक्सो मे कहानियो के लिए कम पन्ने उपलब्ध थे। कहानी 64 पन्नो के जगह 58 पन्नो तक ही सीमित कर दी गई। बाकी page ads के लिए रख दिए गए। साथ ही तीन नए super heroes को लाया गया। इंस्पेक्टर स्टील को तो 1995 मे लांच कर दिया। और तिरंगा और एंथोनी को 1996 के पहले सैट मेlaunch किया गया। लेकिन इन तीनो को लाने के साथ ही दो पुराने सुपर हीरो को बंद कर दिया गया। अश्वराज और गोजो। और कुछ समय के बाद योद्धा की भी छुटटी कर दी गई। और भी गौर-ए-काबिल बदलाव किए गए और उनके बारे मे आगे आपको इस पोस्ट को पढते-पढते खुद पता चल जाएगा।

1996 का पहला सैट नागपाशा का था। ये कामिक मैने अपने कई दोस्तो के साथ मिलकर पढी थी। इस मे जब पहली बार नागराज ईयर 1996 का लोगो और पायजन पोस्ट देखा तो मेरी समझ मे कुछ नही आया कि ये क्या चीज है। इसके बाद मौत के चेहरे आई। और वो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब मुझे समझ आ गया था कि कामिक्से सैट के हिसाब से आती है। इस वक्त लगभग सभी किरदारो की सीरिजे चल रही थी। नागराज की खजाना सीरिज, ध्रुव की कमांडर नताशा सीरिज, अश्वराज की पंचाश्व सीरिज, इत्यादि। ये बात भी मुझे जल्द ही पता लग गई और मैं इन सीरिज के जो पार्टस छूट गए थे उन्हे भी ढूंढने लग गया।

1996 का सबसे बडा धमाका था नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की राजनगर की तबाही। और यही से राज कामिक्स वार्षिक स्पेशल विशेषांक की परम्परा शुरु हुई। जब इस कामिक के बारे मे पता लगा कि ये 25 रुपए की है तो मैं सोच मे पड गया कि ये किस साईज मे होगी। क्योकि 20 रुपए मे तो राज कामिक्स सुपर स्पेशल विशेषांक देती थे जो कि उन्होने उस वक्त तक बंद कर दिए थे। इस कामिक के आने तक ये सवाल परेशान करता रहा। इस कामिक का मेरे सभी कामिक पढने वाले दोस्तो को बहुत इंतजार था और कुछ लोगो ने तो अफवाह भी उडा दी थी कि ये ब्लैक मे 50 रुपए मे मिल रही है। तब तक तो क्राईम किंग भी नही आई थी। मैंने अपने जन्मदिन पर पापा से यही कामिक मांगी थी लेकिन ये उस से पहले ही आ गई और मैंने किराए पर लेकर पढ ली। फोल्डिंग कवर देख कर तो एकदम मजा आ गया। बाद मे पापा ने जन्मदिन पर ये कामिक गिफ्ट भी करी।

नागपाशा के बाद आई कामिक खजाना मे नागराज की को एक नई शख्सियत दी गई। हमारे बहुत ही पसंदीदा लेखक अनुपम सिन्हा जी ने नागराज को एक नई शुरुआत दी। खजाना सीरिज मे (शाकूरा का चक्रव्यूह से लेकर खजाना) मे नागराज के मूल को पुन: परिभाषित किया गया और आखिरकार खजाना मे नागराज को समाज मे स्थापित किया। हिंदी कामिक्स के इतिहास मे शायद पहली बार किसी किरदार के साथ ऐसा प्रयोग किया गया जो कि बहुत कामयाब हुआ। आगे चलकर राज कामिक्से ने अपने दूसरे लोकप्रिय किरदारो (ध्रुव और डोगा) के साथ भी यही किया।

राजनगर की तबाही का अगला सैट खरोंच का था। और ये तिरंगा और परमाणु का टू-इन-वन था। इस कामिक के जरिए तिरंगा पहली बार विशेषांक मे नजर आया। ये कामिक मैंने उसी वक्त खरीद ली थी और मुझे काफी पसंद भी आई। 1996 मे ही एक और character की राज कामिक्स मे एंट्री हुई। गमराज को राज कामिक्स मे लाया गाया। गमराज की राज कामिक्स मे पहली कामिक शायद उल्टा-पुल्टा थी। इस से पहले मैं इसे किंग कामिक्स मे देख चुका था लेकिन कभी पढा नही था। मेरी गमराज की पहली कामिक नशीली थी। गमराज को लोकप्रिय बनाने के लिए राज कामिक्स ने उसकी कामिक्सो मे प्रतियोगिताए भी रखी। किसी हास्य किरदार की कामिक्सो मे प्रतियोगिता शायद ही देखने को मिली हो। वो भी 32 पन्नो वाली कहानियो मे।

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My Collection of Green Pages and Letter Columns
1996 मे लैटर कालम और ग्रीन पेजकी शुरुआत हुई। सभी विशेषांको मे अब ग्रीन पेज आने लगा। उस समय ग्रीन पेज मे कामिक की कहानियो, उनसे जुडी नैतिक बाते, आने वाले सैट मे प्रकाशित होने वाली कामिक्सो की जानकारी दी जाती थी। एक बात और। अब कामिक्सो के साथ गिफ्टस के रुप मे ट्रेडिंग कार्ड आने लगे थे। विशेषांको के साथ तो अब ये ही आने लगे थे। ये भी मेरे लिए एक नई चीज थी। क्योंकि बाकी novelties items तो नाम के हिसाब से मुझे समझ आ जाती थी लेकिन ये चीज जब तक देखी नही, मालूम नही चल पाई। मेरा पहला ट्रेडिंग कार्ड सौडांगी का था। बाद मे ग्रीन पेजस मे ट्रेडिंग कार्ड मे दी गई जानकारी के आधार पर सवाल पूछे जाने लगे। ये भी एक नया ट्रैंड था।

Raj Comics Merchandise, Nagraj Noveltiesराज कामिक्स ने पहला लैटर कालम नागराज के लिए निकाला जो कि नागपाशा मे आया था। दूसरा लैटर कालम परमाणु के लिए एटम पोस्ट के नाम से जारी हुआ। परमाणु का पहला लैटर कालम बम मे छपा था। उस वक्त परमाणु की अब मरेगा परमाणु सीरिज खत्म ही हुई थी और आने वाली कामिक्सो मे खरोंच, टक्कर, इत्यादि थी। उस वक्त परमाणु, डोगा से ज्यादा लोकप्रिय था और मनु जी की बेहतरीन चित्रकारी और हनीफ अजहर जी की कहानियो ने उसे काफीsensational बना दिया था। शायद इसी वजह से परमाणु का लैटर कालम ध्रुव से भी पहले आया।

राज कामिक्स के दूसरे किरदारो मे भोकाल की भी अच्छी सीरिज आ रही थी इस समय मे। इस साल उसकी तीन शादी करा के भोकाल की भोकाल शक्ति छीन ली गई और  विकास नगर की सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई। भेडिया की मैं हूँ भेडिया सीरिज 1996 से पहले ही खत्म हो गई थी और इस साल उसकी फिर कोई सीरिज नही आई। भेडिया के general issues ही आते रहे और उनमे कई नए विलेन्स दिखाए गए। बांगड बिल्ली, अम्ल, इत्यादि।

इस साल का सबसे बुरा अनुभव फाईटर टोडस के साथ रहा। सुपर स्पेशल विशेषांक के बाद अब उन के विशेषांक भी बंद कर दिए गए। उनके आखिरी विशेषांक रैप-स्टार मे जब मैंने टोड-फोड का एड देखा तो मुझे काफी निराशा हुई कि अब इनकी कामिक्से भी 32 पन्नो मे आएगी। फिर जब टोड-फोड मिली तो उसमे अनुपम जी काम ना देख कर निराशा हताशा मे बदल गई। उसके बाद मैंने फाईटर टोडस को रेगुलर पढना छोड दिया। 2000 मे नई दिल्ली मे जब वो दुबारा से विशेषांक मे नजर आए और अनुपम जी की कहानी पढने को मिली तब जाकर मैंने उन्हे दुबारा पढना शुरु किया।

सब की बाते हो गई लेकिन मेरे सबसे पसंदीदा किरदार ध्रुव का जिक्र करना तो मैं भूल ही गया। सर्कस के साथ शुरु हुआ उसका व्यक्तिगत और पेशेवर जिदंगी मे तालमेल बिठाने का सफर अंत मे कमांडर नताशा मे नताशा के वापिस अपराध जगत मे प्रवेश और सजा-ए-मौत मे नताशा के हाथो बार्को की मौत के साथ खत्म हुआ। उसके बाद अंधी मौत के साथ ध्रुव एक नई कहानी मे नजर आया।  इस साल ध्रुव कुल मिला कर 5 कामिक्सो मे आया। सब की सब एक से बढकर एक। साथ ही मर गया अश्वराज मे भी ध्रुव का सरप्राईज रोल था। बहुत से कामिक प्रेमियो को ये बात मालूम ही नही थी।

नताशा अब वापिस अपराध की दुनिया मे लौट गई थी। ये जानकार थोडा दुख हुआ। साथ ही रिचा भी राजनगर की तबाही मे नागराज से पिट कर पता नही कहाँ गायब हो गई थी। इस तरह अब ध्रुव की जिंदगी से दोनो लडकिया चली गई। (ध्रुव ने किसी कामिक मे इस बात का जिक्र भी किया है।)

इस साल आई ध्रुव की कामिक्सो मे ध्रुव की बनावट मे थोडा सा परिवर्तन देखने को मिला। सभी कामिक्सो मे ध्रुव थोडा से मोटा नजर आया। शायद अब उसे परिपक्व दिखाने के लिए ऐसा किया गया हो। लेकिन फिर भी आर्टवर्क मे कोई कमी नही रही। और कहानिया तो माशाअल्लाह सभी एक से बढकर एक थी। 1997 की ध्रुव की पहली कामिक षडयंत्र मे ध्रुव का आर्टवर्क अच्छा हुआ था। इस मे वो मोटा नही लगा।

Super Commando Dhruva, Nagraj and Super Commando Dhruva
I tried this stunt in my childhood. Painful Experience :(
अब ध्रुव का जिक्र छिडा हुआ है तो एक बात और बता दू कि बचपन मे ध्रुव के जैसे बनने की कोशिश किया करता था। मतलब उसकी नक्ल करता था। एक बार उसकी तरह उछल कर किक मारने के चक्कर मे मै कमर के बल गिर गया था। फिर कभी कोई स्टंट ट्राई नही किया।

ये पोस्ट अब तक की सबसे लंबी पोस्ट है और इसे लिखने मे और छापने मे समय भी सबसे ज्यादा लगा है। अब आप लोग बताईए अगली पोस्ट मे आप क्या चाहते है। 1997 के बारे मे जानना या किसी और विषय के बारे मे चर्चा। आपके सुझावो का मुझे इंतजार रहेगा।



जुनून।