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Thursday, 9 July 2020

शक्ति और वंडर वोमेन -राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-8

सुबह-सुबह चंदा का शरीर कामने लगा और वो
शक्ति बनकर पहुंच गई बगल वाले गुप्ता जी के घर ।
गुप्ता जी और उनकी पत्नी की लड़ाई चल रही थी ।
शक्ति ने आव देखा ना ताव, दिया घुमा कर गुप्ता जी के
। गुप्ता जी बेहोश हो गए । मिसेज
गुप्ता को गुस्सा आ
गया।
मिसेन गुप्ता - ये क्या किया... अयन... तेरै बाल नोच
लू ?
गुप्ता जी की बेटी - मम्गी ! ये आप उसे बता रही हो या पूछ रही हो... खीच लो इसके बाल ।
मिसेज गुप्ता
और उनकी बेटी शक्ति के बाल खीचकर उसे पीटने लगी।
शक्ति - अरे.. स्को.... पर मे तो आपको बचा रही थी गुप्ता आंटी... आप मुझे ही क्यो मार
रही है ?
गिसेन गुप्ता - अभी मेरे इतने भी बुरे दिन नहीं आये है कि में गुप्ता जी से ही मिट जाऊ... वो
तो में पड़ोसियो को सुनाने के लिए और इनकी आवाज दबाने के लिए चिल्लाती हूँ। ये तो अब
मेरी रोज की थ्रिल बन गई है ।
शक्ति - अच्छा... अच्छा जा रही ह... हेयर क्लिप का क्या करोगी आंटी वो तो लोटा दो !
चंदा के दिन की बोहनी (शुरुआत) ही खराब हुई थी। पर एकदम तभी उसे कही से शक्ति
बनने की फिर पुकार आई। युवती समुन्द्र में डूब रही थी, शक्ति की गति इतनी तेज थी कि वो सगुन्द्र तल के अंदर ड्रिलिंग करती चली गई । जब उपर पहुंची तब तक कॉस्ट गार्स ने उस युवती को बचा लिया था । शक्ति के शरीर पर समुन्द्र के अंदर का गाढ़ा तेल चिपक चुका था।

शक्ति - शाबास... आप लोगो ने बहुत अच्छा काम किया जो इस युवती को बचा लिया ।
कॉस्ट गार्ड केडिट - पर तेरा सत्यानाश जाये काली माई...
शक्ति
पर मैने क्या किया ?
कोस्ट गार्ड केडिट वहा बार्डर के उस तरफ पकिस्तान के समुन्द्र क्षेत्र मे तुम कच्चे तेल की
खोज कर आई हों और उन्हें सब रेडीमेड मिल जायेगा! खुदाई भी नहीं करनी पड़ेगी ।
शक्ति वहा कैसे रुकती पर रास्ते मे ही उसे कहीं और से किसी नारी की पुकार आई... सहमी
हुई शक्ति एक मंदिर में पहुंची जहा एक मंडित जी अपनी पत्नी को बुरी तरह झंट रहे थे।
शक्ति - आंटी... ये क्या ये मंडित जी आपको पीड़ा पहुंचा रहे है ?
पंडिताईन जी - हा... जाउन रहे के मंदिर के चढ़ावे मे से दुई रुपिया लेय रहे... ई देख लेस
आउर डांट दिये रहें तबही तुम आयं गई रही ।
शक्ति - क्या आप चाहती है कि इन्हें सजा मिलें?
पंडिताईन जी - जबसे शॉदी हुई रही तबही से इनको मारने की सोचत रहिन ।
भीड़ जमा हो गई, मंडित जी ने मोंके की नजाकत को संभालते हुम दाँव बदला ।
पंडित जी - अरे... देख्यो... बलविंदर.. हुकुम... चप्पल पहिन के मंदिर में घुस आई रही (चंदा
आज जल्दीबाजी मे चप्पल उतारना भूल गई थी) और कारा-कारा कुछ रिसत है... हमका तो ई
चुडैल लागत है । मारो... मारो... हपक के दई दो ई का.... बाल नोच लो... पंडिताईन तुग का
ताइत हो तुहाऊ दो ईक घुमाय के...
शक्ति का आज दिन ही खराब चल रहा था... और उपर पक गुप्त स्थान पर वंडखूमेन प्रिंसपल
के साथ मिलकर शक्ति को निपटाने का प्लान बना रही थी।
प्रिंसपल
प्लॉन क्या है ?


वंडरखूमेन - देखो ... अपना टकला मत खुलाओ मे बता रही हूँ ... मेरी गुडियो की ब्रिगेड तैयार
है... प्लॉन सिंम्पल हैं ... देखते जाओ।
वंडखूमैन के एक इशारे पर उसकी "गुंडी ब्रिगेड की हजारो सदस्य आपस में लड़ने लगी और
इतनी सारी नारियो की चीख-पुकार सुनकर शक्ति के कई प्रतिस्प उन्हे मैनेज करने के लिंग
शक्ति से अलग हो गये।
प्रिंसपल - इससे क्या होगा ?
वंडखूमन - तुम्हे विलेन बनाया किसने ? ... टकले से हाथ दूर रखो । देखों शक्तिं हजारो
प्रतिस्पों में बट चुकी हैं अब मेरी गुडिया आपस में लड़ाई छोड़कर शक्ति के कमजोर प्रतिस्पों पर
टूट पड़ेंगी और इतने कमजोर स्पों को सुना देंगी । रुको मे सबको ईयरफोन पर गाइड कर लू
थोड़ी देर ।
प्रिंसपल - लेकिन ....
वंडरखूमैन - तुम्हे अपना टकला प्यारा नहीं है क्या ? ..
अच्छा अच्छा ने प्रेटिकल डेमोट्रेशन से समझाती हूँ।
वंडरखूमैन - जरा ... मुझे हलके से मारना
मेरे चीखने पर शक्ति का प्रतिस्प जरूर आयेंगा।
अपने टकले पर वंडखूमैन की टिप्पड़ियो से नाराज प्रिंसपल ने बड़ी जोर से पक गुक्का मारा
वंडखून के सर पर और वंडखूमेंन का विंग उतर गया ।
प्रिंसपल - ओह ... तो ये है सच्चाई...
आययय
वंडखूमन - इसपर हम बाद में बात करेंगे ... देखो शक्ति का प्रतिस्प आ गया
फूउउउह
...
शक्ति का प्रतिस्प बंडखूमैन की फूंक से ही उड़ गया ।
वंडखूमेन - देखा... टक... ओह... मारती रहो मेरी गुडियो... बाल खीच-खीच कर इसे भी
टकला बना दो।



प्रिंसमल - जानती हो वंडरवूगन ... गै आज तक कुबारा क्यों हूँ ?
वंडखूगन - क्यो... हो ?
प्रिंसमल - वयोकि कोई गंजी गिली ही नही.. और गिली भी तो गेरे विचारों से उसके विचार
বहीं गिले... आई लव यू... वंडरवूमैन ।
वंडरवूमन - ये बात तो मैं भी तुमसे कहना चाहती हूं.. आई लब यू 2 प्रिंसमल ।


शक्ति के प्रतिरूपों का पिटना जारी था ।

घोंचू-राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-6

शीर्षक - घोंचू
एक दिन सुबह सुबह गुरुदेव ने लतिया के नागपाशा को नींद से जगाया। 

गुरुदेव - अरे उठ। कब तक सोएगा ?

नागपाशा - लाकडाउन है गुरुदेव। उठ के भी क्या करूंगा। 

गुरुदेव - जो त्रिफना तुझसे नागराज ने छीन ली थी, वो वापस लाएंगे। 

त्रिफना की बात सुनते ही नागपाशा उछल के खड़ा हो गया। और ऐसा होते ही उसकी इकलौती गमछी जो वो हमेशा पहने रहता है, सरक के नीचे आ गयी। 

गुरुदेव (अपनी आंख बंद करते हुए) - छी। जल्दी से गमछा लपेट।

नागपाशा - सॉरी गुरुदेव, वो गलती से गलती हो गयी। 

चटाक।चटाक।चटाक।

जैसे ही नागपाशा ने अपना गमछा टाइट किया वैसे ही गुरुदेव में उसे एक जोर का तमाचा मारा - नामुराद। अगली बार तेरा गमछा सरका, तो सच कहता हूं, मार मार के तेरा तेरा गमछा फाड़ दूंगा। अब चल।

नागपाशा - कहां गुरुदेव। 

गुरुदेव - अतीत में।

नागपाशा - अतीत में तो ध्रुव था ना। अपना दुश्मन तो नागराज है। फिर आप उस पीले फफूंदी के पीछे क्यों पड़े हो ?

चटाक। गुरुदेव ने एक और चपेट धर दी उसे।

गुरुदेव - अरे गधे। कॉमिक्स अतीत में नहीं। असली के अतीत में। 50000 साल पीछे।

नागपाशा - इतना पीछे क्यों ? त्रिफना तो नागराज के पास होगा न?

गुरुदेव - पता नहीं।

नागपाशा - जब पता नही तो अतीत में क्यों जा रहे हो गुरुदेव ?

चटाक ।

गुरुदेव - नालायक। त्रिफना अतीत में पहली बार जिस मानव के हाथ लगी थी, हम उसके पास जा रहे है। वो एक आम मानव है। उससे त्रिफना छीनना आसान होगा।

नागपाशा - ओ ऐसा है तो सीधे सीधे बता देते ना आप। बेकार में मैंने आपसे इतना सवाल किया। 

गुरुदेव ने परेशान होकर अपना सर पकड़ लिया।

नागपाशा - सर मत पकड़ो गुरुदेव। अब चेला मुझ जैसे बैल दिमाग को बनाया है तो भुगतना तो तुम्हें ही पड़ेगा। वैसे हम अतीत में जाएंगे कैसे?

गुरुदेव - एक चुम्बकीय यंत्र से। 

नागपाशा - कैसे।

गुरुदेव - मैंने इस यंत्र को त्रिफना की शक्ति से बनाया था। इसलिए कि कभी त्रिफना हमसे चोरी हो जाये या कोई उसे हमसे छीन ले तो बाद में हम इस यंत्र की सहायता से सीधे त्रिफना के पास पहुंच जाए।

नागपाशा - ओ ओ ओ ओ। पर गुरुदेव ऐसा है तो हमे अतीत में जाने की क्या जरूरत है?  वर्तमान वाली त्रिफना जहां है वही से इस यंत्र की सहायता से जाकर उसे ले आते है।

चटाक।

गुरुदेव - अरे नालायक। वर्तमान में उसकी सुरक्षा पता नही कैसे कैसे शक्तिशाली नाग कर रहे होंगे, और अतीत में वो एक आम मानव के पास है, तो अतीत में जाना ज्यादा सही होगा न घोंचू ।

नागपाशा - बात तो सही कही आपने गुरुदेव। पर हमरा एक ठु सवाल है।

गुरुदेव - पूछ।

नागपाशा - जब आप ऐसा यंत्र बना सकते थे जिसकी मदद से हम चुम्बक की तरह खींच कर त्रिफना के पास पहुँच सकते है, तो अपने ऐसा यंत्र क्यों नही बनाया जिससे कि वो त्रिफना चुम्बक की तरह खिंच कर अपने आप हमारे पास आ जाये।

गुरुदेव चुप। उन्हें एकदम से सांप सूंघ गया था।

नागपाशा - खिखिखि। हमेशा मुझे घोंचू कहते हो आप, लेकिन जो घोंचूपना आपने किया उससे आज साबित हो गया कि आपसे बड़ा घोंचू इस दुनिया मे और कोई नहीं।

हिहिहि। समाप्त। क्रमशःहिहिहि। समाप्त। क्रमशःहिहिहि। समाप्त। क्रमशः

शीर्षक - दिमागदार नागपाशा

गुरुदेव को मूर्ख बनाने के बाद नागपाशा जमीन पे लोट-पोट होके हँसने लगा। 
पहले से ही शर्मिंदा गुरुदेव जमीन पर नागपाशा को लुघड़ते देख भड़क उठा। 

और इतिहास गवाह है कि कोई गुरु जब अपने चेले पर भड़कता है तो उसकी ऐसी धुनाई होती है, ऐसी धुनाई होती है, जिसके बाद उस चेले के मुहँ से दोबारा एक चु तक नही निकलती।

अब भड़का हुआ गुरुदेव जमीन पे लुघड़ते नागपाशा को बुरी तरह लतियाने लगा। 

धाड़, धाड़, धाड़ !!!

नागपाशा जोर से चींखा - आहहहह। गुरुदेव क्षमा। माफी, सॉरी, क्षमा दई दो गुरूदेव। मैं अमर भले हू लेकिन दर्द मुझे भी होता है। आह, ऊई, पुई।

गुरुदेव - नामुराद, आगे से कभी मेरा मजाक उड़ाया तो सोच लेना, तेरी इतनी ठुकाई करूँगा की अजीवन तू ठीक से सोफे पर भी बैठ नही पायेगा।

नागपाशा - कसम खाता हूं गुरुदेव आज के बाद मैं आपको कभी घोंचू नहीं कहूंगा। आपने कोई घोंचूपना नहीं किया है, और आप कोई घोंचू भी नहीं है। 

चटाक !

नागपाशा - आह, अब क्यों मारा गुरुदेव ?

गुरुदेव - घोंचू ना बोलने का बोल के दो बार घोंचू बोल दिया तूने मुझे इसलिए। 

चटाक !

नागपाशा ने भी एक जोर का लाफा गुरुदेव को लगाया।

चटाक चटाक चटाक। 

गुरुदेव गुस्से में नागपाशा को तीन चार चाटें मारते हुए - नामुराद। मुझ पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई तेरी।
नागपाशा - सॉरी गुरुदेव। वो मैंने आपको।घोंचू ना बोलने का कह कर दो बार घोंचू बोला तो आप मुझे दो लपेड़ मार दिए। लेकिन फिर मुझे समझाने के लिए आपने भी खुद को दो बार घोंचू कहा। अब आप खुद को तो लपड़िया नहीं सकते थे। इसलिए मैंने ही मौके का फायदा उठाया और आपको दिया धर के एक। खिखिखि।

चटाक !

गुरुदेव ने फिर से नागपाशा को एक रापटा दिया - औकात में रह पाशा, अगली बार मेरे सामने होशियारी दिखाई तो तेरे इकलौते वस्त्र में घुजली का पाउडर डाल दूंगा। उसके बाद तेरा क्या होगा, शैतान ही जाने।

नागपाशा - नाराजगी छोड़ो गुरुदेव। अब चलो अतीत में। त्रिफना लाएंगे, उसके बाद मैं फिर से नागराज को बूढ़ा बनाऊंगा।

गुरुदेव - एक बार बूढ़ा बनाया था न तूने उसे। क्या तब कोई फायदा हुआ था?

नागपाशा - पूरी बात तो सुनो गुरुदेव। इस बार नागराज को जुलजुल बूढ़ा बना दूंगा, इतना बूढ़ा की बेचारा बैसाखी के सहारे भी चल ना पाये, और उसे किसी अनजान आयाम के निर्जन द्वीप पे ला पटकूँगा। 

गुरुदेव - उससे क्या होगा। 

नागपाशा - अबकी बार बीच मे बोला तुमने गुरुदेव तो कसम है मुझे मेरे गमछे की, आपकी एकलौती मैक्सी मैंने फाड़ ना डाली तो मेरा नाम नागपाशा नही।

गुरुदेव (अपनी मैक्सी कस के पकड़ते हुए) - माफ कर दे यार , अब बीच मे नहीं बोलूंगा। बोल बोल, अपना प्लान बक।

नागपाशा - उस निर्जन द्वीप पे एक कन्या भी होगी। नागराज की प्रेमिका नागिन। राजकुमारी विशर्पि। एकदम जवान रूप में। हिहिहि।

गुरुदेव - वाह चेले। तू तो दिमाग चलाना सीख गया।

नागपाशा - हिहिहि। नागराज का दिल जलता रहेगा। बेचारा विशर्पि की जवानी को देख तड़पता रहेगा और एक दिन खुद ही आत्महत्या कर लेगा। हिहिहि।

गुरुदेव - शाबाश। नागराज पे होगा इससे इमोशनल अत्याचार। विशर्पि की जवानी का मारा, नागराज बूढ़ा बेचारा। 

नागपाशा - तो चलो गुरुदेव।

गुरुदेव - जरूर। मेरा हाथ पकड़। जैसे ही मैं अपने यंत्र का प्रयोग करूंगा वैसे ही हम अतीत में खींचते चले जायेंगे। 

नागपाशा - जो आज्ञा घोंचूदेव ..... सॉरी-सॉरी, मेरा मतलब गुरुदेव। खिखिखि।

गुरुदेव - बेटा पहले त्रिफना ले आते है। फिर देख मैं तेरी कैसी धुनाई करता हूँ।

क्रमशः ....