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Thursday, 30 July 2020

भविष्य में --भाग - 3-राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-15

भविष्य में ---- भाग - 3

डोगा की चुगलखोरी के कारण तिरंगा की नागराज द्वारा जबरदस्त ठुकाई और फिर से डोगु की चुगलई के कारण शक्ति के हाथों हुई तिरंगा की सर्वोत्तम ठुकाई के कारण तिरंगा कई जगह से सूजा हुआ नजर आ रहा था ।

अपने दर्द को बर्दास्त कर वो बाथरूम में गया और पानी का नल तेज कर शावर ऑन कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा । बेचारे ने देखा नही की बाथरूम में भेड़िया कमोड पे बैठा हुआ है ।

भेड़िया – क्या हुआ तिरंगा भाई ? 

तिरंगा – मत पूछों .....  

भेड़िया – ठीक है नहीं पूछता ।

तिरंगा – अबे पूरी बात तो सुन ले । मै कह रहा था की मत पूछों ... दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है .... 

भेड़िया – जिंदगी भर का दर्द तुम्हे इनाम दिया है ।

तिरंगा – अबे मुझे बोलने दे न ।

भेड़िया - कैसे बोलने दू । मैंने सब पहले ही सुन लिया था । बाहर डोगा की होशियारी तुझ पे भारी पड़ गयी, है ना !

तिरंगा – होशियारी करके शक्ति को पटा लिया है उसने । अब अगर बदला लेने के लिए मैंने कुछ किया तो शक्ति मार-मार के मेरी कढ़ाई सुलगा देगी ।

भेड़िया – पर बदला तो लेना पड़ेगा । तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नही जा रहा । जैसा मै कहता हू वैसा करो ।

तभी आवाज आती है पुईई .... 

तिरंगा (घिनाते हुए) – नहीं मै ये नही कर सकता ।

भेड़िया – अरे कमोड पे बैठा हू पू-पुई तो होती रहेगी । मै कुछ और करने को कह रहा था ।

तिरंगा – ओ, फिर ठीक है । बताओ क्या करू ? 

भेड़िया – भाई डोगा ने शक्ति को पटा लिया है ये बात मोनिका को बता दो । बाकी सब वो सम्भाल लेंगी ।

तिरंगा – अगर तू कमोड पे नही होता तो अभी तुझे अपने कंधे पे उठा के डांस करने लगता मै ।

भेड़िया – ये तमन्ना किसी और दिन पूरी कर लेना वरना तू थोरा गिला और पिला हो जायेगा हीहीही ।

इधर डोगा शक्ति को अपने हाथो से समोसे खिला रहा था और नागराज ने चटनी वाली प्लेट पकड़ रखी थी ।

नागराज – ये समोसा खाने में कैसा लगता है ? 

डोगा – विशर्पी तुझे समोसा नही खिलाती ? 

नागराज – नहीं हम दोनों तो बस दूध पीते है ।

शक्ति (हसते हुए) – ये बताओ शादी के बात तुम हनीमून मनाने के लिए कहा गये थे ?

नागराज – वही नाग्दविप में एक बिल था । दोनों ने सर्प रूप धारण किया और बिल में चले गये ।

डोगा (बहुत जोर से हसते हुए) – अबे बिल में जाके मशरूम उगा रहे थे क्या ? कैसे किलो मशरूम दिए ? यहा ले आते मै खरीद लेता तुझसे और पका के विशर्पी को खिलाता ।

नागराज – विशर्पी को मशरूम बाद में खिलाना पहले पीछे देख !

डोगा पीछे देखता है और शक्ति के मुह के पास ले जाता समोसा खुद खा जाता है ।

डोगा – मेरी बीवी से कोई मुझे बचाओ । 

मोनिका (शक्ति को समोसा खिलाता देख गुस्से में लोमड़ी बन जाती है) – मै समोसा लाने को कहू तो मुझे आलू ला के दे देते हो की खुद से पका लो और यहा इस नील की खेत में समोसा ठूस रहे हो ।

शक्ति – जबान सम्भाल के मोनिका ।

मोनिका (शक्ति को बाल से घसिटते हुए तीन-चार चपेट मार) – चुप कर ! मेरे और मेरे पति के बीच आई तो दोबारा किसी के बीच में आने के लायक नही छोडूंगी तुझे ।

डोगा – अरे जानू .... !

मोनिका (आग-बबूला होते हुए) – जानू ! क्या बात है । शक्ति के लिए बहुत प्यार परवान चढ़ रहा तुम्हारा ।

डोगा – अरे नही मोनिये मै मै तो तुम्हे जानू कह रहा था ।

तिरंगा – थोरी देर पहले तो शक्ति से कह रहे थे की .... जानू समोसा खा लो ।

डोगा – मे ... मैंने ऐसा कुछ नही कहा था मोनिए ।

पर मोनिए (मोनिका) कहा कुछ सुनने वाली थी । अब तो बस तांडव करना बाकि था । डोगा की धुनाई ऐसे शुरु हुई जैसे पूरे ब्रम्हांड में भूकंप आ गया हो ।

मोनिका की मार से डोगा की सारी मर्दानगी बहार निकलने लगी और जिन्दगी में पहली बार वो चिल्लाया ।

डोगा – अरे माफ कर दे पत्नी कही की । कसम खाता हू आज के बाद समोसा क्या चटनी को भी हाथ नही लगाऊंगा । ना खुद खाऊंगा न किसी को खिलाऊंगा ।

मोनिका – तू कुत्ते की दुम है । जानती हू सुधरेगा नही । ब्रम्हांड को बचा के घर पे आ । रही सही कसर वहा पूरी करुँगी । गुरर्र ।

और डोगा का मुरब्बा बना के मोनिका वहा से चली गयी ।

शक्ति – काली माँ का एक रूप तो मै हू पर मोनिका तो आज साक्षात् काली माँ लग रही थी । डोगु मुझसे दूर रहियो आज के बाद नही तो तेरे साथ साथ मेरी भी धुनाई कर जाएगी ये ।

डोगा – कोई बाम लाओ रे ! बहुत दुःख रहा । कैसे बताऊ की कहा कहा दुःख रहा ।

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आगे की कहानी फिर कभी ! हीहीही .....

भविष्य में -- भाग - 2-राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-14

भविष्य में ---- भाग - 2

शक्ति द्वारा नागराज की सम्पूर्ण ठुकाई के बाद ----

तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।

डोगा ( पेट पकड़ के ) – हिहिहिः । ही हाहाहा । हीईई ....

शक्ति (डोगा के कान मडोड़ते  हुए) – मुझे डाउट है की तू मुझ पे हस रहा है ....!

डोगा – अले नही-नही शक्ति मै तुम्पे नही तिरंगा की चालबाजी पे हस रहा हू ।

नागराज – कैसी चालबाजी ?

डोगा – जब तुमने कहा की “ चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में डूबकी लगाने वाली औरत ..... (टुच्ची औरत) तो हम सब ने अपनी हँसी रोक ली वरना शक्ति उलटे हाथ और सीधे पैर से हम सब की धुनाई कर देती पर तिरंगा दिमाग लगा के ठहाके मार  खिखियाने लगा । खिखियाते हुए बस तुम्हारी बेबसी पे एक डायलॉग झूठ-मूठ का बोल दिया ताकि शक्ति तिरंगा की चालबाजी ना पकड़ पाए । 

तिरंगा (घबराहट में) – अरे नही ... ए ... ऐसा क ... कुछ भी नही ....

शक्ति (क्रोध में तीसरा नेत्र ओपन किये) – आज इस कटोरा-कट बाल वाले का भुनगा बना के छोडूंगी ।

नागराज (शक्ति को तिरंगा की पिटाई करने से रोकते हुए) – अरे बस–बस शक्ति बस । अपने नाजुक हाथों को कितना कष्ट दोगी जरा हमे भी मौका दो । बहुत देर से हाथ खुजा रहा था मेरा ।

शक्ति को ना पिट पाने की खुजली नागराज तिरंगा की धुनाई कर के मिटाने लगता है ।

तिरंगा (दर्द में जोर-जोर से चिल्लाते हुए) – आई अबे बस कर इस कटोरे-कट की जान लेनी है क्या ?

तिरंगा की दर्द भारी चींखे सुन के शक्ति का क्रोध शांत हो जाता है और नागराज को तिरंगा की धुनाई करने से रोक देती है ।

तिरंगा (बिलखते हुए) – इत्ती धुनाई .... नागराज के बच्चे अगर तू कोई विलन होता तो सच में अभी तेरी इतनी ठुकाई करता की तुम्हे तुम्हारा एकलौता वस्त्र बदलने की जरूरत आ पड़ती ।

तिरंगा की बात सुन और दर्द में उसे रोता देख शक्ति और नागराज हसने लगते है ।

डोगा (बहुत जोर की) – खिखिखी ।

शक्ति (फिर से डोगा के कान पकड़ते हुए) – मुझे इस बार भी डाउट हो रहा की तू मुझ पे हस रहा ।

डोगा – हंसू नही तो क्या करू तुम दोनों हो ही बेवकूफ ।

नागराज (गुस्से) – देख डोगु ... शक्ति भले बेवकूफ होगी पर मै नही ।

शक्ति (नागराज के फन वाले बाल नोचते हुए) – क्या कहा मै बेवकूफ ....

नागराज – अरे नही-नही शक्ति वो बस ऐसे ही मुह से निकल गया .... तुम नही मे .. मै बेवकूफ । ये बात तो जग जाहिर है । तु... तुम गुस्सा न करो ।

शक्ति (गुस्सा ठंडा होते ही) – ठीक है ।

नागराज – बोल बे डोगू । कैसे हुए हम दोनों बेवकूफ ?

शक्ति (फिर से गुस्सियाते हुए) – क्या कहा .... ?

नागराज – अले ऐसे बात-बात पे तुम आँख में अंगारे क्यों भर लेती हो .... मै बेवकूफ तुम नही । बोल डोगू ... कब तक चुप रहेगा मेरी फिर से धुनाई होने के बाद बोलेगा क्या ?

डोगा – अरे इस तिरंगा ने फिर से उल्लू बना दिया शक्ति को और तुझे पहली बार उल्लू बनाया इसने ।

शक्ति और नागराज – वो कैसे ?

डोगा – कोई विलन भी हमसे कुटाने के इतनी जोर से नही चिल्लाता जितनी जोर-जोर से तिरंगा चिल्ला रहा था । बहुत जोर का दिमाग लगाया इसने । पिटाई के वक्त जोर-जोर से गला-फाड़ चिल्लाओ जिससे उसकी पिटाई करने वाले का दिल पसीज जाये और पिटाई न करे ।

शक्ति – मतलब ये ढेढ़-शाना नाटक कर रहा था .... इसकी तो ....

और इसी के साथ शक्ति के उलटे हाथ और सीधे पैर तिरंगा पर बरसने लगे । और इस बार दर्द की लहर से तिरंगा सच्ची में गलाफाड़ चींख रहा था पर शक्ति के प्रकाश की गति से चलते हाथ-पैर नही रुके !

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आगे की कहानी किसी और दिन --- 

भविष्य में --पार्ट -1-राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-13

भविष्य में ----पार्ट -1

रक्षक मंडली शादीशुदा जिन्दगी में मग्न है पर साथ में अपने शहर के साथ-साथ ब्रम्हांड की भी रक्षा करने में कोई कमी नही करते थे | एक दिन ब्रम्हांड की रक्षा के लिए सभी रक्षकों की जरूरत आन पड़ी ।

सब उपस्थित हो गये पर ध्रुव नही ---

नागराज – ये धरू कहाँ है उसके बगैर ब्रम्हांड को बचाना नामुमकिन ही नही मुश्किल है ।

शक्ति – नागमणि कौन से स्कूल ले जाता था तुझे ..... कहावत भी ठीक से नही आती ।

नागराज – चुप कर चार बूंदों वाली ... भाषण मत झाड़ ।

शक्ति - चार बूंदों वाली .... क्या मतलब चार बूंदों वाली ?

तिरंगा – तुमने वो ऐड नही देखा ... उजाला -- चार बूंदों वाला जिससे हर कपड़ा नीला हो जाता है ।

शक्ति ( क्रोध में ) – नागराज के बच्चे आज तुझे टुच्चा बना के छोडूंगी ... गुर्र्र्रर ।

और इसी के साथ नागराज पर शक्ति के लहकते चांटे और लात चलने लगे हर वार से के साथ नागराज की खाल उखड़ती जा रही थी और बेचारा जलन से चिल्लाने के लिए मुह तो फाड़ रहा था पर चिल्ला नही रहा था वरना बेचारे की घनी बेइज्जती हो जाती रक्षक मंडली के बीच ।

फाइनली शक्ति की पिटाई बंद हुई और नागराज जगह-जगह से हल्का फुल्का सूजा हुआ दिखाई देने लगा ।

शक्ति – अब बोल टुच्चे बना दिया ना मैंने तुझे टुच्चा ।

नागराज – नारी पे हाथ नही उठाता वरना आज तुझे टुच्ची बना देता .... चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में दुबकी लगाने वाली औरत ।

तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।

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आगे की कहानी किसी और दिन -----

अमित कुमार की कलम से हास्य लेख (आधारित राज कॉमिक्स)

ऐसे ही कुछ भी

नागराज सुबह ही भागता हुआ ध्रुव के घर पहुँचा और ध्रुव से कहता है -जल्दी चलो महामानव ने महानगर पर हमला कर दिया है अब तुम ही कुछ कर सकते हो
ध्रुव-ठीक है चलो।
(मन ही मन सोचता है अभी तो काढा भी नहीं पिया है और काढा भी खत्म हो गया,लगता है आज इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी) 
घर से थोडी़ दूर चलके हकीमजी का घर के पास ध्रुव जमीन पर गिर पडा।
नागराज-क्या हुआ ध्रुव
ध्रुव-पता नहीं क्यों पेट में बहुत दर्द हो रहा है पर तुम मेरी चिंता मत करो महानगर वालों को हमारी जरूरत है जल्दी चलो
नागराज-पर तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, एेसा करते है ये पास ही हकीम जी रहते है,इनको दिखा लेते है।
हकीम जी के घर
नागराज-देखिये हकीम जी ध्रुव को क्या हुआ

हकीम जी ध्रुव को देखते ही सब समझ जाते है कि शायद इसका काढा खत्म हो गया है कल ये ले जाना भूल गया था
हकीमजी-इसे बराबर के कमरे में लिटा दो,देखता हूँ।

कमरे के अंदर
ध्रुव फुसफुसाते हुये-हकीमजी काढा खत्म हो गया
हकीमजी धीरे से-मै भी समझ गया था काढा तैयार है जल्दी से पी लो
ध्रुव ने जल्दी से काढा पिया और हकीमजी के पैर छुये-आज आपने मेरी इज्जत बचा ली
हकीमजी-बस कर पगले अब रूलायेगा क्या?

दोनो कमरे से बाहर आते है

नागराज-इतनी जल्दी ठीक हो गये ध्रुव,क्या जादू कर दिया हकीमजी ने?

हकीमजी मक्कारी वाली हँसी हँसते हुये-हीहीही,कुछ नहीं पेट में गैस इकट्ठी हो गयी थी,दवा दे दी है अब कुछ ही देर में हवा घूम जाएगी पर थोड़ा दूर रहना ध्रुव से।
ध्रुव भी खीखीखी करके हँसने लगता है

नागराज गुस्से में- ओ काढा़ पुरूष ज्यादा खीखीखी मत कर सर्प वाले कान है मेरे,सब फुसफुसाहट सुन ली मैनें,अब जल्दी चल महानगर भी पहुँचना है।

ये कह कर नागराज ने ध्रुव को खींचा, ध्रुव का बैलेंस बिगड़ा और ध्रुव गिर पड़ा,हड़बड़ा कर ध्रुव बेड पर से गिर पड़ा वो पसीना पसीना हो चुका था उसे अहसास हुआ वो सपना देख रहा था,उसने भगवान का शुक्रिया किया चलो शुक्र है कि चलो किसी को इस राज के बारे में किसी को पता नहीं चला।

सजन चौहान की कलम से

दोस्तों आज मैंने एक बात नोटिस करी जब मेरे paytm में पैसे ख़त्म हो गए थे और सिर्फ मेरे पास सिर्फ case पड़े थे तो में कॉमिक्स लेने आपने पास के ही बुक शॉप पर गया था, उस बुक शॉप वाले ने मेरे सामने कम से कम 150 कॉमिक्स रख दी और मैं कॉमिक्स सिलेक्ट करने लगा तभी बहा पर एक व्यक्ति आता है पेन और डायरी खरीदने और उसकी नजर मेरे सामने रखी कॉमिक्स पर जाती है और बह व्यक्ति मुझसे पूछता हे--

बह व्यक्ति:-  क्या राज कॉमिक्स अभी भी आरही है ?
मैं:- यह तो कई सालों से आरही है।
बह व्यक्ति:- मैं समझा की राज कॉमिक्स कई साल पहले ही बंद हो गई।
मैं:- जी बह मनोज और तुलसी की बंद हुई थी। और अब तुलसी भी फिर से रीप्रिंट हो रही है।
बह व्यक्ति:- क्या लोग इसे अभी भी पड़ते है।
मैं:- कॉमिक्स पड़ने वालो की कमी थोड़ी है । मैंने उन्हें हेल्लो बुक माइन व राज कॉमिक्स ग्रुप के बारे मैं बताया तो बह व्यक्ति तुरंत ग्रुप में ऐड हो गया और मुझसे बोला की अब मैं भी कुछ कॉमिक्स लेकर जाऊंगा और मेरे साथ कॉमिक्स चुनने लगा और 5 कॉमिक्स खरीद कर ले गया पर मै कॉमिक्स चुनता रहा तभी बहा पर दूसरा व्यक्ति आता है और उस व्यक्ति की भी नजर कॉमिक्स पर पड़ती है और बो मुझसे बोलता है ये तो हमारे ज़माने की कॉमिक्स है लोग अभी भी बच्चो की तरह इन कॉमिक्स को पढ़ते है मैंने कहा इन्हें सिर्फ बच्चे ही नहीं सभी उम्र के लोग पड़ते है तो बह व्यक्ति मुझसे बहस करते हुए मुझसे कहता है कि ऐसा हो ही नही सकता, तब मैने फिर फेसबुक खोल लिया तब बह व्यक्ति चोंक गया और बोला की कैसे लोग है अभी भी कॉमिक्स पड़ते है मैंने उसपर ध्यान ना देते हुए कॉमिक्स चुनने लग गया तब बह जाने लगा , थोड़ी दूर जाने के बाद बह व्यक्ति बापस आकर बोलता है कि मैं अपने बच्चो के लिए ले लेता हूँ कॉमिक्स बो भी तो जानेगे हमारे ज़माने की कॉमिक्स के बारे में तब बह 2 कॉमिक्स खरीद कर ले जाता है तब मुझे लगता है कि कॉमिक्स पड़ने बालो की अभी भी कमी नहीं है बस उन्हें पता नहीं है कि कॉमिक्स अभी भी मिलती है उन्हें सिर्फ इतना ही पता की diamond comics ही मिलती है अगर ज्यादातर लोगो को पता चल जाये की राज कॉमिक्स अभी भी मिलती है तो तो भारत में भी कॉमिक्स ज्यादा मात्रा में बिकेगी जिससे भारत की कॉमिक्स इंडस्ट्री भी बहुत तरक्की करेगी बस जरूरत है लोगो को कॉमिक्स के प्रति जागरूक करने की 
और मैं भी 16 कॉमिक्स खरीदने के बाद घर बापस लोट आया ।
और रही बात की लोग कहते है कि नितिन मिश्रा जी की कहानी लंबी होती है तो उन्हें कहानी लंबी इसलिए लगती है क्योंकि कॉमिक्स देरी से आती है अब सर्वनायक ही मान लीजिए ज्यादतर लोग कहते है कि सर्वनायक की कहानी लंबी है तो मैं उन्हें बता दू की हो सकता है कि नितिन मिश्रा जी ने सर्वनायक की कहानी कब की समाप्त कर ली हो और कॉमिक्स देरी के आने की बजह से हमे लगता है कि कहानी लंबी बना दी है । अब मुझे पता है कि आप भी कुछ राय जरूर देना चाहोगे कमेंट में तो मेरे पोस्ट के कमेंट में आपका स्वागत है।
               धन्यवाद

# राज कॉमिक्स है मेरा जूनून
# जूनून जिन्दा है