भविष्य में ----पार्ट -1
रक्षक मंडली शादीशुदा जिन्दगी में मग्न है पर साथ में अपने शहर के साथ-साथ ब्रम्हांड की भी रक्षा करने में कोई कमी नही करते थे | एक दिन ब्रम्हांड की रक्षा के लिए सभी रक्षकों की जरूरत आन पड़ी ।
सब उपस्थित हो गये पर ध्रुव नही ---
नागराज – ये धरू कहाँ है उसके बगैर ब्रम्हांड को बचाना नामुमकिन ही नही मुश्किल है ।
शक्ति – नागमणि कौन से स्कूल ले जाता था तुझे ..... कहावत भी ठीक से नही आती ।
नागराज – चुप कर चार बूंदों वाली ... भाषण मत झाड़ ।
शक्ति - चार बूंदों वाली .... क्या मतलब चार बूंदों वाली ?
तिरंगा – तुमने वो ऐड नही देखा ... उजाला -- चार बूंदों वाला जिससे हर कपड़ा नीला हो जाता है ।
शक्ति ( क्रोध में ) – नागराज के बच्चे आज तुझे टुच्चा बना के छोडूंगी ... गुर्र्र्रर ।
और इसी के साथ नागराज पर शक्ति के लहकते चांटे और लात चलने लगे हर वार से के साथ नागराज की खाल उखड़ती जा रही थी और बेचारा जलन से चिल्लाने के लिए मुह तो फाड़ रहा था पर चिल्ला नही रहा था वरना बेचारे की घनी बेइज्जती हो जाती रक्षक मंडली के बीच ।
फाइनली शक्ति की पिटाई बंद हुई और नागराज जगह-जगह से हल्का फुल्का सूजा हुआ दिखाई देने लगा ।
शक्ति – अब बोल टुच्चे बना दिया ना मैंने तुझे टुच्चा ।
नागराज – नारी पे हाथ नही उठाता वरना आज तुझे टुच्ची बना देता .... चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में दुबकी लगाने वाली औरत ।
तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।
---
आगे की कहानी किसी और दिन -----
रक्षक मंडली शादीशुदा जिन्दगी में मग्न है पर साथ में अपने शहर के साथ-साथ ब्रम्हांड की भी रक्षा करने में कोई कमी नही करते थे | एक दिन ब्रम्हांड की रक्षा के लिए सभी रक्षकों की जरूरत आन पड़ी ।
सब उपस्थित हो गये पर ध्रुव नही ---
नागराज – ये धरू कहाँ है उसके बगैर ब्रम्हांड को बचाना नामुमकिन ही नही मुश्किल है ।
शक्ति – नागमणि कौन से स्कूल ले जाता था तुझे ..... कहावत भी ठीक से नही आती ।
नागराज – चुप कर चार बूंदों वाली ... भाषण मत झाड़ ।
शक्ति - चार बूंदों वाली .... क्या मतलब चार बूंदों वाली ?
तिरंगा – तुमने वो ऐड नही देखा ... उजाला -- चार बूंदों वाला जिससे हर कपड़ा नीला हो जाता है ।
शक्ति ( क्रोध में ) – नागराज के बच्चे आज तुझे टुच्चा बना के छोडूंगी ... गुर्र्र्रर ।
और इसी के साथ नागराज पर शक्ति के लहकते चांटे और लात चलने लगे हर वार से के साथ नागराज की खाल उखड़ती जा रही थी और बेचारा जलन से चिल्लाने के लिए मुह तो फाड़ रहा था पर चिल्ला नही रहा था वरना बेचारे की घनी बेइज्जती हो जाती रक्षक मंडली के बीच ।
फाइनली शक्ति की पिटाई बंद हुई और नागराज जगह-जगह से हल्का फुल्का सूजा हुआ दिखाई देने लगा ।
शक्ति – अब बोल टुच्चे बना दिया ना मैंने तुझे टुच्चा ।
नागराज – नारी पे हाथ नही उठाता वरना आज तुझे टुच्ची बना देता .... चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में दुबकी लगाने वाली औरत ।
तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।
---
आगे की कहानी किसी और दिन -----
No comments:
Post a Comment