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Monday 30 November 2020

मनोज गुप्ता जी की कलम से

 प्री-बुकिंग वो धीमा जहर है, जो लगातार कामिक्स इंडस्ट्री को खोखला कर रहा है। कामिक्स के प्रति आपके जूनून और आपके कोमल भावनात्मक लगाव का शोषण है। आने वाले समय में किसी भी fraud का ये जन्मदाता सिध्द हो सकता है,इसे आदत मत बनाइये। प्री-बुकिंग के नाम पर आपकी गाढ़ी कमायी को जब पब्लिशर्स अपना हक समझने लगे,तो हालात बद् से बद्तर होते जाते हैं। पैसा जेब में आते ही काम करने की रफ्तार सुस्त हो जाती है। मानव स्वभाव है, कि वह उस काम को पहले करना चाहता है। जिसे करके पैसा मिलना है। जेब में आया पैसा टिकता नहीं, तुरंत खर्च हो जाता है। मैं पिछले लगभग 25 वर्षों से इस बुक इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ हूँ। हर पब्लिशर्स फाइनेंशियली strong हैं। प्री-बुकिंग का उन्हें‌ केवल चस्का लगा हुआ है। जो कहीं कमजोर पड़ते भी हैं। उन्हें सेलर्स और डिस्ट्रब्यूटर्स स्पोर्ट करते रहते हैं। पिछले 10 महीनों में जो भी पुस्तकें छप कर आयी हैं, उनमें से क्या आप किसी एक पुस्तक का नाम बता सकते हैं, जो प्री-बुकिंग करके आपको कोई विशेष लाभ मिला। किताब आती है, सबके लिए भरपूर मात्रा में उपलब्ध होती है। उल्टा पब्लिशर्स पर क्वालिटी प्रेशर होता है, कि बाइडिंग, प्रिंटिंग, पेपर क्वालिटी सब पर फोकस रखना पड़ता है। समय पर लाने की कोशिश रहती है, क्योंकि पैसा लगा होता है।हम अपने जूनून को जिंदा रखे, ये तो सबसे बड़ा अमृत है। प्रकाशक को समझने में देर नहीं लगती, कि किताब का क्या हश्र होने वाला है। 

बहुत जल्दी एक अन्य बहु-प्रतीक्षित प्रकाशन आपके सम्मुख होगा। मुझे नहीं लगता कि वो प्री-बुकिंग जैसी कोई भी बात करेगा, परंतु उसके नाम पर बाजार में होने वाली किसी भी प्री-बुकिंग से आप उसको स्पोर्ट करोगे, ये विचार ही हास्यपद है। पिछले कुछ दिनों में इसी तरह से एक बहुचर्चित और बहु-प्रतीक्षित कामिक्स की प्री-बुकिंग से आपने प्रकाशक को‌ कितना स्पोर्ट किया, या क्या फायदा आपको मिला। आपने स्वयं महसूस किया है। बाकी आप स्वयं प्रबुद्ध पाठक हैं। मैं नाचीज आपको कोई रास्ता दिखा सकता हूँ, इस धोखे में बिल्कुल भी नहीं हूँ। क्योंकि, मन-आपका, पैसा-आपका,समझ-आपकी। पर हां...;

HBM never support Pre-Booking. 

HBM never do Pre-Booking.

नोट- यदि किसी प्रकाशक या पाठक को मेरी किसी बात से ठेस पहुँची हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ ।