भविष्य में ---- भाग - 2
शक्ति द्वारा नागराज की सम्पूर्ण ठुकाई के बाद ----
तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।
डोगा ( पेट पकड़ के ) – हिहिहिः । ही हाहाहा । हीईई ....
शक्ति (डोगा के कान मडोड़ते हुए) – मुझे डाउट है की तू मुझ पे हस रहा है ....!
डोगा – अले नही-नही शक्ति मै तुम्पे नही तिरंगा की चालबाजी पे हस रहा हू ।
नागराज – कैसी चालबाजी ?
डोगा – जब तुमने कहा की “ चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में डूबकी लगाने वाली औरत ..... (टुच्ची औरत) तो हम सब ने अपनी हँसी रोक ली वरना शक्ति उलटे हाथ और सीधे पैर से हम सब की धुनाई कर देती पर तिरंगा दिमाग लगा के ठहाके मार खिखियाने लगा । खिखियाते हुए बस तुम्हारी बेबसी पे एक डायलॉग झूठ-मूठ का बोल दिया ताकि शक्ति तिरंगा की चालबाजी ना पकड़ पाए ।
तिरंगा (घबराहट में) – अरे नही ... ए ... ऐसा क ... कुछ भी नही ....
शक्ति (क्रोध में तीसरा नेत्र ओपन किये) – आज इस कटोरा-कट बाल वाले का भुनगा बना के छोडूंगी ।
नागराज (शक्ति को तिरंगा की पिटाई करने से रोकते हुए) – अरे बस–बस शक्ति बस । अपने नाजुक हाथों को कितना कष्ट दोगी जरा हमे भी मौका दो । बहुत देर से हाथ खुजा रहा था मेरा ।
शक्ति को ना पिट पाने की खुजली नागराज तिरंगा की धुनाई कर के मिटाने लगता है ।
तिरंगा (दर्द में जोर-जोर से चिल्लाते हुए) – आई अबे बस कर इस कटोरे-कट की जान लेनी है क्या ?
तिरंगा की दर्द भारी चींखे सुन के शक्ति का क्रोध शांत हो जाता है और नागराज को तिरंगा की धुनाई करने से रोक देती है ।
तिरंगा (बिलखते हुए) – इत्ती धुनाई .... नागराज के बच्चे अगर तू कोई विलन होता तो सच में अभी तेरी इतनी ठुकाई करता की तुम्हे तुम्हारा एकलौता वस्त्र बदलने की जरूरत आ पड़ती ।
तिरंगा की बात सुन और दर्द में उसे रोता देख शक्ति और नागराज हसने लगते है ।
डोगा (बहुत जोर की) – खिखिखी ।
शक्ति (फिर से डोगा के कान पकड़ते हुए) – मुझे इस बार भी डाउट हो रहा की तू मुझ पे हस रहा ।
डोगा – हंसू नही तो क्या करू तुम दोनों हो ही बेवकूफ ।
नागराज (गुस्से) – देख डोगु ... शक्ति भले बेवकूफ होगी पर मै नही ।
शक्ति (नागराज के फन वाले बाल नोचते हुए) – क्या कहा मै बेवकूफ ....
नागराज – अरे नही-नही शक्ति वो बस ऐसे ही मुह से निकल गया .... तुम नही मे .. मै बेवकूफ । ये बात तो जग जाहिर है । तु... तुम गुस्सा न करो ।
शक्ति (गुस्सा ठंडा होते ही) – ठीक है ।
नागराज – बोल बे डोगू । कैसे हुए हम दोनों बेवकूफ ?
शक्ति (फिर से गुस्सियाते हुए) – क्या कहा .... ?
नागराज – अले ऐसे बात-बात पे तुम आँख में अंगारे क्यों भर लेती हो .... मै बेवकूफ तुम नही । बोल डोगू ... कब तक चुप रहेगा मेरी फिर से धुनाई होने के बाद बोलेगा क्या ?
डोगा – अरे इस तिरंगा ने फिर से उल्लू बना दिया शक्ति को और तुझे पहली बार उल्लू बनाया इसने ।
शक्ति और नागराज – वो कैसे ?
डोगा – कोई विलन भी हमसे कुटाने के इतनी जोर से नही चिल्लाता जितनी जोर-जोर से तिरंगा चिल्ला रहा था । बहुत जोर का दिमाग लगाया इसने । पिटाई के वक्त जोर-जोर से गला-फाड़ चिल्लाओ जिससे उसकी पिटाई करने वाले का दिल पसीज जाये और पिटाई न करे ।
शक्ति – मतलब ये ढेढ़-शाना नाटक कर रहा था .... इसकी तो ....
और इसी के साथ शक्ति के उलटे हाथ और सीधे पैर तिरंगा पर बरसने लगे । और इस बार दर्द की लहर से तिरंगा सच्ची में गलाफाड़ चींख रहा था पर शक्ति के प्रकाश की गति से चलते हाथ-पैर नही रुके !
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आगे की कहानी किसी और दिन ---
शक्ति द्वारा नागराज की सम्पूर्ण ठुकाई के बाद ----
तिरंगा – रहने भी दो राज .... प्रकाश की गति से जो तुहार धुनाई हुई है उससे बचना तेरे लिए नामुमकिन ही नही मुश्किल था ---- खिखिखी ।
डोगा ( पेट पकड़ के ) – हिहिहिः । ही हाहाहा । हीईई ....
शक्ति (डोगा के कान मडोड़ते हुए) – मुझे डाउट है की तू मुझ पे हस रहा है ....!
डोगा – अले नही-नही शक्ति मै तुम्पे नही तिरंगा की चालबाजी पे हस रहा हू ।
नागराज – कैसी चालबाजी ?
डोगा – जब तुमने कहा की “ चंदा की सफेदी को छिपाने के लिए नील में डूबकी लगाने वाली औरत ..... (टुच्ची औरत) तो हम सब ने अपनी हँसी रोक ली वरना शक्ति उलटे हाथ और सीधे पैर से हम सब की धुनाई कर देती पर तिरंगा दिमाग लगा के ठहाके मार खिखियाने लगा । खिखियाते हुए बस तुम्हारी बेबसी पे एक डायलॉग झूठ-मूठ का बोल दिया ताकि शक्ति तिरंगा की चालबाजी ना पकड़ पाए ।
तिरंगा (घबराहट में) – अरे नही ... ए ... ऐसा क ... कुछ भी नही ....
शक्ति (क्रोध में तीसरा नेत्र ओपन किये) – आज इस कटोरा-कट बाल वाले का भुनगा बना के छोडूंगी ।
नागराज (शक्ति को तिरंगा की पिटाई करने से रोकते हुए) – अरे बस–बस शक्ति बस । अपने नाजुक हाथों को कितना कष्ट दोगी जरा हमे भी मौका दो । बहुत देर से हाथ खुजा रहा था मेरा ।
शक्ति को ना पिट पाने की खुजली नागराज तिरंगा की धुनाई कर के मिटाने लगता है ।
तिरंगा (दर्द में जोर-जोर से चिल्लाते हुए) – आई अबे बस कर इस कटोरे-कट की जान लेनी है क्या ?
तिरंगा की दर्द भारी चींखे सुन के शक्ति का क्रोध शांत हो जाता है और नागराज को तिरंगा की धुनाई करने से रोक देती है ।
तिरंगा (बिलखते हुए) – इत्ती धुनाई .... नागराज के बच्चे अगर तू कोई विलन होता तो सच में अभी तेरी इतनी ठुकाई करता की तुम्हे तुम्हारा एकलौता वस्त्र बदलने की जरूरत आ पड़ती ।
तिरंगा की बात सुन और दर्द में उसे रोता देख शक्ति और नागराज हसने लगते है ।
डोगा (बहुत जोर की) – खिखिखी ।
शक्ति (फिर से डोगा के कान पकड़ते हुए) – मुझे इस बार भी डाउट हो रहा की तू मुझ पे हस रहा ।
डोगा – हंसू नही तो क्या करू तुम दोनों हो ही बेवकूफ ।
नागराज (गुस्से) – देख डोगु ... शक्ति भले बेवकूफ होगी पर मै नही ।
शक्ति (नागराज के फन वाले बाल नोचते हुए) – क्या कहा मै बेवकूफ ....
नागराज – अरे नही-नही शक्ति वो बस ऐसे ही मुह से निकल गया .... तुम नही मे .. मै बेवकूफ । ये बात तो जग जाहिर है । तु... तुम गुस्सा न करो ।
शक्ति (गुस्सा ठंडा होते ही) – ठीक है ।
नागराज – बोल बे डोगू । कैसे हुए हम दोनों बेवकूफ ?
शक्ति (फिर से गुस्सियाते हुए) – क्या कहा .... ?
नागराज – अले ऐसे बात-बात पे तुम आँख में अंगारे क्यों भर लेती हो .... मै बेवकूफ तुम नही । बोल डोगू ... कब तक चुप रहेगा मेरी फिर से धुनाई होने के बाद बोलेगा क्या ?
डोगा – अरे इस तिरंगा ने फिर से उल्लू बना दिया शक्ति को और तुझे पहली बार उल्लू बनाया इसने ।
शक्ति और नागराज – वो कैसे ?
डोगा – कोई विलन भी हमसे कुटाने के इतनी जोर से नही चिल्लाता जितनी जोर-जोर से तिरंगा चिल्ला रहा था । बहुत जोर का दिमाग लगाया इसने । पिटाई के वक्त जोर-जोर से गला-फाड़ चिल्लाओ जिससे उसकी पिटाई करने वाले का दिल पसीज जाये और पिटाई न करे ।
शक्ति – मतलब ये ढेढ़-शाना नाटक कर रहा था .... इसकी तो ....
और इसी के साथ शक्ति के उलटे हाथ और सीधे पैर तिरंगा पर बरसने लगे । और इस बार दर्द की लहर से तिरंगा सच्ची में गलाफाड़ चींख रहा था पर शक्ति के प्रकाश की गति से चलते हाथ-पैर नही रुके !
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आगे की कहानी किसी और दिन ---
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