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Tuesday 25 December 2018

बालचरित सीरीज समीक्षा


कहानी मे अच्छा क्या है ?
‌एक नायक के बालचरित जीवन का इससे अच्छा वर्णन  नही हो सकता था...। ध्रुव के बचपन को  बहुत ही खूबसूरत  तरीके से प्रस्तुत किया गया है...। कुछ दृश्य तो इतने शानदार बन पड़े है जैसे जब ध्रुव  अस्पताल में  अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहा होता है तब श्वेता अपने पापा के पास आती है और  अपने पापा को बताती है कि  ध्रुव ने हमे  खुद से दूर करने के लिए ये सब किया था....तब ध्रुव के पिता का पता चलना की ध्रुव ने अपनी माँ से कुछ भी नही छीपाया था (फीनिक्स पेज नंबर 44) और ध्रुव का  हन्टर्स के मुख्यआलय में प्रवेश करने से पहले  अपनी माँ से मिलने आना (एन्ड गेम पेज नंबर  21) ये एक बेटा अपनी माँ के कितना करीब है उसका बहुत ही खूबसूरत वर्णन....।
‌बाकी चित्र  तो अच्छे ही बने है बहुत और  संवाद तो  इतने अच्छे है कि कुछ  तो मैंने लिख लिए....।
‌कहानी  की  शुरुआत होती है  यूक्रेन के क्रियेव शहर  से  जहां  चल रही है प्रेजिडेंट को मारने की साज़िश  वहां की सेना द्वारा  जिसका कॉन्ट्रैक्ट मिलता  है हन्टर्स को और हंटर्स  हो जाते है इस काम  में असफल  क्योंकि उन्हें वहां  रोका जाता  है  एक  अदीर्श्य मानव द्वारा जो बाद में निकलते है ध्रुव के नानाजी तब हन्टर्स ढूंढने निकलते है उस फॉर्मूले को जो कर देता है किसी को भी गायब..!
कहानी की शुरआत का निष्कर्ष
‌कहानी  की शुरआत ही कहानी का सबसे कमजोर  हिस्सा है  क्योंकि कहानी में यह कहीं भी  नहीं  बताया गया है  कि ध्रुव  के नानाजी गायब होने के  इतने सालों बाद हन्टर्स को रोकने कयूँ  निकले है ...हन्टर्स तो इतने सालों से हत्याये कर ही रहे थे वो एक प्रेजिडेंट को और मार देते तो क्या फर्क पड़ता  न ध्रुव की अभी तक हन्टर्स से कोई मुठभेड़ हुई थी जो वह ध्रुव को बचाने चाहते थे  न हन्टर्स  के हाथ अभी तक फार्मूला लगा था न  मठ के ऐसे कोई नियम थे कि  गौरांगी के बेटे के इतने साल के होने पर मठ की गद्दी अब ध्रुव को मिल जाएगी और ध्रुव को इस मामले में अब पड़ना ही पड़ेगा  और न ही कोई ऐसा कारण था कि ध्रुव अब  इतना मजबूत बन चुका था कि ध्रुव हन्टर्स  के मुख्यालय को तबाह कर सके क्योंकि ध्रुव तो पहले से ही इतना मजबूत था कि वो  हंटर्स को तबाह कर सके...क्योंकि वो अपना क्राइम फाइटिंग कररयर पहले ही शुरू कर चुका था...।

कहानी की शुरुआत के लिए सुझाव
कहानी की शुरआत ऐसे हो सकती थी कि यूक्रेन की खुफिया इंटेलीजेंस मांगती ध्रुव से मदद प्रेजिडेंट की हिफाज़त के लिए (जैसे ध्रुव की मदद पहले भी मापाल देश के प्रेजिडेंट ले चुके है) तब ध्रुव  करता है हन्टर्स के हमले को नाकाम...और हन्टर्स फिर ढूंढने निकलते है उस फॉर्मूले को जो बना सकता है उन्हें अजेय...।
या फिर कहानी ये भी हो सकती थी कि ध्रुव  के नानाजी  जो  हो चुके है गायब ....उसका पता होता है केवल हन्टर्स के सर्वसेवा मठेश को  क्योंकि उन्हें  फॉर्मूला वाली शीशी पिलाता केवल मठेश पहाड़ी पे ले जाकर तब उसके सामने हो जाते है ध्रुव के नानाजी गायब...लेकिन उससे एक भूल हो जाती है वो सारा फॉर्मूला  पिला देता है ध्रुव के नानाजी को...तब उसे चाहिए फॉर्मूला बनाने की विधि जो है गौरांगी के पास....और साथ में होता की ध्रुव के इतने साल के होने पर उसे मिलेगी मठ की गद्दी...इसलिए मठेश को वो फार्मूला पाना हो जाता ज़रूरी जिसके दम पर वो दे सके ध्रुव को टक्कर  और साथ में ये भी जोड़ दिया जाता कि मठेश  जुपिटर सर्कस के जल जाने के बाद भी ध्रुव पर हमला करवाता रहा था...।
इन कॉमिक्स से  रेफरेंस लिया जा सकता था जैसे सजाये मौत कॉमिक्स में  बारको का ध्रुव को मारने की कोशिश करना...जंग  कॉमिक्स में नक्षत्र को जो लोग ध्रुव को मारने के लिए तैयार करते है वो मठेश के आदमी बताये जा सकते थे....।

कहानी का  दूसरा  कमज़ोर पक्ष
‌कहानी का  दूसरा सबसे कमजोर पक्ष इस कहानी का  मेन बिंदु है ...। पूरी कहानी  मे फार्मूला ढूंढा जा रहा है और कहानी का अंत  होने के बाद भी ये पता नही  चलता कि फार्मूला आखिर है क्या...फॉर्मूला किसी इंसान को गायब कर देता है या उस फार्मूला को पीने से उसमे जानवर जैसे गुण आ  जाते है....अगर फार्मूला  गायब होने का है  तो रोबो को भी ध्रुव के नानाजी की तरह गायब हो  जाना चाहिए था...लेकिन वो कभी गायब होता है कभी वापस आ जाता है...कहानी के अंत  मे तो ध्रुव के नानाजी भी दिखने लग जाते है और कहते है की मरते वक्त की शरीर की ऊर्जा  अपने चर्म पर होती है यह उस सीरम के असर को काट रही है (एन्ड गेम पेज नंबर 143) लेकिन (एन्ड गेम पेज नंबर 147) मे वह यह कह कर गायब हो जाते है कि रोबो पर नज़र रखने ज़रूरी है अब वो  मर रहे तो गायब कैसे हो गए ....लेकिन सबसे बड़ा  सवाल तो यह है कि रोबो को वह फॉर्मूला मिला कैसे  ? क्योंकि वो तो ब्लैक कैट का खून निकालके  वो फार्मूला पाता है (एन्ड गेम पेज नंबर 35) वह ब्लैक कैट से ये भी कहता है कि अभी तूने 
अपने दोस ्तों  को बताया कि तेरा पिता ने तुझपे कोई  प्रयोग किया था  बचपन मे लेकिन ब्लैक कैट तो नताशा और ट्वीस्टई  के सामने कोई प्रयोग वाली बात कहती नही है बस अपने पिता को मारने वाली बात कहती है (डेड एन्ड पेज नंबर 08) अपने पिता के प्रयोग करने वाली बात तो वह सिर्फ श्वेता को बताती है (फिनिक्स पेज नंबर 80) रोबो को तो इससे ये भी पता नही चलता कि उस दिन लैबोरेटरी में मरने वाला  वैज्ञानिक और ब्लैक कैट का पिता एक ही आदमी है क्योंकि ब्लैक कैट  ने  ट्विस्टई के गौरांगी के वैज्ञानिक की मरने वाली बात पर सिर्फ इतना कहा था कि यह औरत मेरे पिता की कातिल है ये नही कहा था कि उस दिन मारने वाला वैज्ञानिक उसका पिता था ...। चलो ये भी  मान ले कि  रोबो को अपने सूत्रों से पता चल गया होगा कि ब्लैक कैट का पिता और उस दिन मारने वाला वैज्ञानिक एक ही है लेकिन ब्लैक कैट पर प्रयोग वाली बात तो सिर्फ श्वेता को पता थी....अब श्वेता तो रोबो को जाकर ये बताने से रही की ब्लैक कैट के पिता ने उस पर बचपन में कोई प्रयोग किया था...। और वैसे भी उस वक़्त श्वेता नताशा और ट्विस्टई  को अपने पास बुलाती है ना कि श्वेता नताशा के पास जाती है (फीनिक्स पेज नंबर 85) तो रोबो उनकी बात कैसे सुनता है क्योंकि वो रोबो के अड्डे पर भी नही है जो रोबो का कोई  विशवासपात्र उसको ये बात बता दे पर इस बात को ये सोचकर खत्म किया जा सकता है कि शायद रोबो ने नताशा के ऊपर कोई ट्रांसमीटर चिपका रखा हो...। 
‌लेकिन यदि  ब्लैक कैट के खून में वो फॉर्मूला है तो ब्लैक कैट के पास भी गायब होने की पावर होनी चाहिए थी लेकिन जहां तक  ब्लैक कैट के बारे मे बताया गया है कहानी मे तो उसके पापा ने उसके ऊपर  इंसानो और जानवर के जीनस को मिलाने का प्रयोग किया था तो ब्लैक कैट के खून मे फॉर्मूले का सीरम कहाँ से आया....? 
कहानी का तीसरा कमज़ोर पक्ष
‌कहानी का अंत ही किसी कहानी की जान होता है...पहले पाँच भागो का इतना अच्छा प्रस्तुतिकरण ...लेकिन अंत  मे वही बासी रोटी(ग्रैंड मास्टर रोबो) को  खाकर पेट दर्द तो स्वाभाविक होना ही है...। कब तक हम ग्रैंड मास्टर रोबो को झेलते रहेंगे ये बात तो शायद उस विरले को भी नही पता जो मौत की नो  मेन्स लैंड  पर था और ज़िन्दगी की तरफ आने के  लिए छान रहा था अपना फ्लैशबैक...।

कहानी के अंत के  लिए सुझाव
‌कहानी के अंत के लिए वैसे मुख्य खलनायक वक्र और मठेश ही उपयुक्त थे...लेकिन अगर कोई दूसरा ही खलनायक लाना था...तो अलकेमिस्ट डॉक्टर वायरस  या साइक्लोजिस्ट का चुनाव किया जा सकता था... क्योंकि ध्रुव के ये तीनो खलनायक रासायनिक या दवाईयों से हमला करते है तो इनको उस फॉर्मूले से काम हो सकता था!

‌साइक्लोजिस्ट  वैसे उपयुक्त रहता क्योंकि साइक्लोजिस्ट एक  मात्र ऐसा खलनायक है जो ध्रुव को कोमा तक पौंछा चुका है (जानने के लिए पड़े सुपर हीरो और फरिश्ता)..। उसके अतिमानवीय ताकत वाले पागल मरीज़  हन्टर्स को टक्कर दे सकते थे उनके  मुख्ययाले में घुसकर जैसे मूवर और रोबो कर रहे थे हन्टर्स के सपोर्ट सिस्टम को तोड़कर....।
 या फिर ये करते है इसमे रोबो का किरदार भी रखते क्योंकि नताशा का फिर फॉर्मूला पाने का मकसद ही खत्म हो जाता लेकिन रोबो को इसमे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ही दिखाना चाहिए था...। उसे अपनी मौत का नाटक नही करना  चहिये था.... क्योंकि जो इंसान लाइफ सपोर्ट सिस्टम है वो सीधा उठता है अपनी मौत का नाटक करता है और सीधा हन्टर्स के अड्डे पर पौंछ जाता है ये चीज़ ही अपने आप में अनोखी है...ध्रुव और श्वेता भी इसमें  घायल हुए थे...ध्रुव तो मौत के मुंह मे चला गया था लेकिन ये भी उठे ठीक होने के बाद ...अगर रोबो को खलनायक ही दिखाना था तो ऐसा कर देना चाहिए था कि रोबो प्रोडक्ट से संपर्क तो बना लेता लेकिन प्रोडक्ट  को यह कहता कि तुम किसी ऐसे शख्स को ढूढो जो तुम्हारे साथ मिलकर हन्टर्स से पहले फॉर्मूला का पता लगा ले और वो साइक्लोजिस्ट को ढूंढता लेकिन लास्ट में साइक्लोजिस्ट इन दोनों को ही धोखा देता और उसे ही मुख्य खलनायक दिखा देते ....। 

कहानी का चौथा कमज़ोर पक्ष
‌वैसे मेरे लिए ये कोई खास मायने नही रखता  लेकिन उन लोगो को ये लिए हो सकता है जो  आरसी  की टाइम लाइन के हिसाब से कहानी पढ़ते है...उन सबके दिमाग मे ये सवाल  ज़रूर रहा होगा कि ब्लैक कैट के कितने बाप आएंगे...? 

‌मेरे लिए  तो बस कहानी मे जो  किरदार आपने डाल  दिये उन सबके  साथ पूरा न्याय होना चाहिए ...मुझे इस बात  से फर्क नही पड़ता कि नताशा तो रोबोट बन  गयी थी सिटी विथ आउट ए हीरो सीरीज मे यहां सामान्य इंसान के रुप मे...।
‌राजकॉमिक्स  की  कहानिया अगर देखी जाई  नागायाण के बाद से  तो सिटी विथ आउट ए सीरीज  को छोड़ दिया जाए तो किसे  मे भी  जो कहानी से संबंधित जो  सीक्वेंस बना दिये गए उनके  जवाब पूरे नही दिए गए...। जैसे बालचरित सीरीज  जिस फॉर्मूला के इर्दगिर्द घूम रही थी उसे पूरा ही गोल कर दिया गया...!

नॉट (गांधी
जी के नोट वाला नॉट नही)

‌अब  अंधभक्त फैनस आकर ये नही कहे इनके जवाब  अगली सीरीज मे मिलेंगे....अरे सीरीज  राज कॉमिक्स मे पहले भी बनती थी...लेकिन  जिस मुख्य बिंदु के ऊपर कहानी लिखी जाती थी उसके जवाब पूरे मिलते थे...जैसे महायुद्ध सीरीज ,खूनी खानदान सीरीज ,मैने मारा ध्रुव को सीरीज...इन सब में भले ही दो चार सवाल छोड़ दिये गए हो जैसे महायुद्ध सीरीज  मे त्रिफिना  की मणिया  किसके पास है इसके बारे मे आजतक नही बताया लेकिन उससे कहानी पे कोई फर्क नही पड़ता ...अगर उसके बारे मे आगे बताया जाए या नही भी बताया जाए तो कोई फर्क नही पड़ता...नताशा रोबोट बन गयी थी  इससे सिटी विथ आउट ए सीरीज पे कोई फर्क नही पड़ता ....राजकॉमिक्स वाले शायद भूल गए कि एक कहानी मे से  दो चार पॉइंट  उठाकर दूसरी कहानी तो बनाई  जा सकती है...जैसे हत्यारा कौन  कहानी से  महामानव की गवाही बन गयी...नागराज को खज़ाना मिला तो महायुद्ध सीरीज  बन गयी...प्रतिशोध की ज्वाला से बहरी मौत बन गयी...खूनी खानदान सीरीज से स्पाइडर सीरीज बन गयी ...!

‌लेकिन एक कहानी के मुख्य सवालो को छोड़कर  आप  कहते हो अगली सीरीज मे जवाब देंगे...लेकिन अगली सीरीज  मे  दो फुद्दू से सवालो के जवाब देके  आप उसमें  दस नए फुद्दू सवालो को खड़े कर देते हो...।

सीरीज के अन्य कमज़ोर पक्ष
‌ईन सवालो के  जवाब नही भी मिले तो कोई बात नही इन्हें अगली सीरीज के लिए बचाके रखा जा सकता था जैसे  गिलीगिली का ध्रुव के गुरु पाशा का जानना (फ्लैशबैक पेज नंबर 54)

‌ध्रुव की माँ राधा का  अन्ना को जानना (डेड एन्ड पेज नंबर 33)
‌अन्ना को  ध्रुव को किसी अनजान द्वीप पे ले जाकर वक्र से  भिड़वाना (डेड एन्ड पेज नंबर 39)
‌ध्रुव  के अपने फ्लैशबैक मे  के अंत मे यह दिखाना की  ध्रुव की माँ राधा को स्ट्रॉन्गवीमेन देवीना उठा कर ले जा रही है (डेड एन्ड पेज नंबर 45)

अन्य लूपहोल्स
‌ जैसे  मठेश का फरसा जो मठेश के पास  वापस लौट कर आ जाता है जिसे ध्रुव तक नही उठा पता उसे बीमार ग्रैंड मास्टर रोबो अपने हाथो मे जकड़ लेता है
‌जिस  मूवर का मास्क उतारने के लिये हकीम जी  और वक्र के पसीने छूट गए वो ध्रुव की एक किक से उतर जाता है...।
‌वटी चूर्ण के धुंआ का  क्लोन प्रोडक्ट पे असर करना  और उस  धुएं का वहां खड़े किसी और पे असर न करना क्या सबने नोज़ फिल्टर पहने थे...?

‌इन सब  लूपहोल्स को  अगर ये मानके छोर भी दिया जाए कि एक नायक को जीत दिलवानी थी  तब भी बालचरित सीरीज मे कहानी के नाम पे कुछ नही मिलता ...कहानी  अच्छी या बुरी उससे पहले  उस कहानी का समझ मे आना ज़रूरी है  जैसे  अवशेष सीरीज एक बेकार सीरीज थी  लेकिन  कहानी मे जो पॉइंट्स उठाये गए थे वो क्लियर करे गए थे...लेकिन बालचरित  सीरीज मे  कहानी  मे इतना सस्पेंस डाल दिये गए कि ये अपने अंत तक आते आते रेस थ्री  हो जाती है...।
उपसंहार
‌ईस समीक्षा को लिखना का मतलब ये कतई  नही है कि  इसमें लेखक की बुराई की गई है...ये मात्र एक पाठक के तौर पर मेरा कहानी पढ़ने के  बाद केवल उसकी समीक्षा है क्योंकि एक  लेखक का कहानी लिखने  का उद्देश्य तभी पूर्ण माना  जाता है जब  कहानी उसको  पढ़ने वाले पाठक को समझ आये...अगर  मैने कोई गलत पॉइंट उठाया है तो कमेंट बॉक्स मे अपनी राय अवशय दे....।
समाप्त

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