समय बिताने के लिए करना है कुछ काम, आओ शुरू करें गिनना, हुआ इस हफ्ते जो कॉमिक्स की दुनिया में भसड़े-आम!
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि COTW कॉमिक्स दुनिया का हंसी ठिठोली का फेवरिट अड्डा बन गया है। COTW से आप लोगों का प्यार इतना है कि उसमें प्रयोग की गई चीजों को लोग सामान्य बोलचाल में प्रयोग करने लगे हैं।
उदाहरण के तौर पर, जिस हफ्ते कॉमिक्स जगत के खेमों में बंटने की बात की गई, उस दिन के बाद खेमा शब्द सब लोगों का पसन्दीदा शब्द हो गया है और लोग आपसी बोलचाल में खुलकर सामने वाले को खेमेबाज कहने लगे हैं।
हालांकि कुछ लोगों को भले लगता हो कि COTW कोई नहीं पढ़ता, लेकिन अब ऐसे आलमे-वहम का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था!
इसलिए हंसते खेलते रहिए, भसड़ करते रहिए और COTW को इसी तरह प्यार देते रहिए।
तो आइये, देखें क्या हुआ इस हफ्ते अलग-2 खेमों में:
1. अंततः RCMCG की तरफ से उनके द्वारा लिए गए प्री-ऑर्डर की अपडेट आयी जब उनके सर्वेसर्वा श्री मनीष गुप्ता जी ने बताया कि कॉमिक्स छपने में समय इसलिए लग रहा है क्यूंकि वो पुरानी कॉमिक्सों में हो चुकी गलतियां, जिनमें से कई कॉमिक्स के संपादक तो वो खुद ही थे उनकी रिलीज के वक़्त, सुधार रहे हैं और अपनी इस बात को संबल देने के लिए उन्होंने कुछ "बिफोर- आफ्टर" वाली तस्वीरें भी साझा कीं, जिन्हें देखकर कॉमिक्स जनता को लगा कि उनके साथ "ढूंढो तो जानें" वाला खेला हुआ है।
बड़ी मुश्किल से एक बदलाव समझ आया वो ये कि एक कॉमिक्स के हर फ्रेम में अदरक चाचा की चड्डी का रंग अब एक जैसा ही था, जबकि पहले वाली कॉमिक्स में उस चड्डी का रंग फ्रेम दर फ्रेम बदल रहा था!
हालांकि कुछ लोग खुश थे कि अब की बार वो कॉमिक्स पढ़ते हुए उन्हें उस चड्डी के रंग बदलने से होने वाली कुंठा नहीं होगी, लेकिन उन लोगों का क्या जिनको रीप्रिंट्स खरीदने ही इसलिए होते हैं क्यूंकि उन्हें सब कुछ पहले जैसा चाहिये होता है, भले वो अदरक चाचा की चड्डी का बदलता हुआ रंग ही क्यूँ ना हो?
2. COTW का प्रभाव ऐसा हो चुका है कि उसमें लिखे हुए को वो सब नोटिस करते हैं जिनके बारे में लिखा जाता है।
अब जैसे पिछले हफ्ते ही COTW में इस ओर इशारा किया गया था कि RCMCG में सारा काम का दबाव उनके सर्वेसर्वा श्री मनीष गुप्ता के कँधों पर ही आ गया है और उनकी एड्मिन टीम कुछ खास काम नहीं करती और अक्सर उनकी अपडेट्स गलत ही साबित होती हैं, जिसके फलस्वरूप कॉमिक्स जनता परेशान होती है और देखिए, इस हफ्ते मनीष जी ने RCMCG के फेसबुक ग्रुप से सभी निष्क्रिय एड्मिन को बाहर कर दिया है और नयी एड्मिन टीम बनाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसके लिए कॉमिक्स जनता से भी आवदेन मांगे गए हैं। आशा है कि पुराने रीप्रिंट्स के ऑर्डरों की डिलीवरी से पहले RCMCG की नयी सोशल मीडिया टीम का गठन हो जाएगा!
3. इस हफ्ते रिलीज हुई RCSG की दो नयी कॉमिक्स, नागप्रलोप और मृत्युरथी और जैसे ही कॉमिक्स दुनिया के बाशिंदों के पास मृत्युरथी पहुंची, चाहे हार्ड कॉपी या ई-कॉपी, उनका भोकाल की सालों बाद आयी नयी कॉमिक्स को लेकर जो उत्साह था, वो कॉमिक्स के आर्टवर्क को देखकर हो गया आलोप और सबने एक ही सुर में कहा, ई का बवासीर बना दिए हो?
खूब लानत-मलानत हुई आर्टिस्ट की, संपादक की, RCSG की और RCSG की गुणवत्ता के दावे की सरेआम धज्जियाँ उड़ गयीं और किसी मुद्दे पर इतनी एकता कॉमिक्स जगत में काफी वक़्त बाद दिखी थी!
लेकिन जब आलोचना करने वाले कुछ लोगों ने कॉमिक्स की आड़ में आर्टिस्ट और प्रकाशक पर अनर्गल व्यक्तिगत आक्षेप लगाने शुरू किए और आर्टिस्ट की व्यक्तिगत समस्या के बारे में बताए जाने के बावजूद यहॉं तक कह दिया कि जब बस का नहीं है तो फिर छोड़ दें आर्ट बनाना, तब कॉमिक्स जनता के कुछ लोगों को बहुत गलत लगा और कॉमिक्स जनता फिर से दो खेमों में बंट गयी और बात कॉमिक्स के खराब होने से हटकर कॉमिक्स जनता के बाशिंदों के बीच आपसी सर-फुटव्वल में तब्दील हो गई और लोगों ने एक दूसरे को भावुकता के आवेश में खूब सारी अशोभनीय बातें कहीं!
देश की सरकारें शुक्र मनायें कि इतने भावुक लोग अपना सारा आवेश कॉमिक्स दुनिया के मुद्दों में ही निकाल देते हैं वर्ना कहीं अगर ये लोग अपनी सरकारों के काम की समीक्षा इस तरह करना शुरू हो जायें तो क्या होगा उनका?
4. मृत्युरथी के आर्टवर्क पर मचे इस हंगामे के बाद RCSG के सर्वेसर्वा श्री संजय गुप्ता जी ने किया एक फ़ेसबुक लाइव और शुरू करते ही मुझे सबके सामने ये वादा किया कि वो मुझे अपने इस कॉलम के लिए कुछ मसाला देके जाएंगे लेकिन जैसे प्रलय का देवता 2 भाग में नहीं आयी, वैसे ही उनसे मसाला नहीं आ पाया!
उस फेसबुक लाइव में उन्होंने मृत्युरथी कॉमिक्स दिखाकर ये बताया कि वो उस सीरीज की आगे आने वाली कॉमिक्सें भी उसके आर्टिस्ट ललित जी से ही बनवाएंगे क्यूंकि उनके उनपर पूरा ऐतबार है और साथ ही साथ कॉमिक्स जनता को एक संदेश भी दे दिया कि ललित जी के आर्टवर्क वाली मृत्युरथी के अगले भाग लेने हैं तो लेना, वर्ना मत लेना!
हालांकि जो मृत्युरथी की कॉपी उन्होंने दिखाई उसके पन्ने निकल रहे थे और इससे पहले कि कॉमिक्स जनता "ऊंची दुकान, फीका पकवान" के नारे लगाना शुरू करती, संजय जी ने साफ कर दिया कि उनके पास वो डमी कॉपी थी, जिससे एक सवाल और उठ खड़ा हुआ.. क्या मृत्युरथी भी शक्तिरूपा की तर्ज पर RCSG से आउट ऑफ स्टॉक हो चुकी है?
5. इस हफ्ते घोषणा हुई सर्वनायक सीरीज के अगले भाग सर्वआयुध की RCMG की तरफ से जिसके बाद उन्हें सलाह दी गई कि इससे अच्छा नाम सर्व"आयुष" होता, हालांकि वो माने नहीं लेकिन क्या मालूम कि आगे आने वाले किसी भाग का नाम सच में सर्व"आयुष" ही हो?
खैर, जब RCMG ने सर्वआयुध लाने की घोषणा कर दी तो RCSG ने भी कर दी (पता नहीं कब खून खौलेगा रे तेरा RCMCG) और RCSG ने दिखाया सर्व आयुध का एक नया कवर डिजाइन, जिसे देखकर संपोले लहालोट हो उठे और कैडेट मंडली के सीने पर साँप लोट उठे क्यूंकि कवर पर हर तरफ सिर्फ नागराज की परछाई उसका सुपुत्र नागीश ही था और कहीं भी कुछ भी नीला पीला नजर नहीं आया!
लेकिन असली मार तब हुई जब कुछ छद्म कैडेटों ने ये अफवाह फैलाई कि वो कवर भी स्पाइडरमैन की किसी कॉमिक्स के कवर से चोरी किया गया है लेकिन फिर जब कैडेट्स को समझाया गया कि जिनके खुद के घर शीशे के हों, उन्हें हमेशा लाइट बंद करके कपड़े बदलने चाहिए, तब वो जाके थोड़ा शांत हुए!
लेकिन असली खामियाजा भुगतना पड़ा भाई Amit Kumar को, जिन्होंने इस मुद्दे को एक व्यंग्य के जरिए रखने की कोशिश की ब्रह्मांड के सबसे बड़े कॉमिक्स ग्रुप पर जिसके अनुसार RCSG ने सर्व आयुध के कवर के लिए मार्वल वालों से बाकायदा अनुमति ली है लेकिन क्यूंकि वहां के सेलेब्रिटी एड्मिन को व्यंग्य समझ नहीं आते( जो कि अच्छी बात ही है उनके नजरिए से) तो उन्होंने Amit Kumar जी को अल्टीमेटम दे दिया कि या तो वो RCSG और मार्वल वालों के बीच उस कवर डिजाइन को प्रयोग करने हेतु हुए अनुबन्ध की कॉपी लाएँ अन्यथा उनको निकाल दिया जाएगा.. अब क्यूंकि आज वहाँ Amit Kumar भाई नहीं हैं इसलिए अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि क्या हुआ होगा!
ये बातें देखकर बस यही लोकोक्ति याद आती है कि सीख ना दीजै बांदरा, घर बया को जाय।।
6. आप में से कई लोग इस बात को जानते होंगे कि भारत में कॉर्पोरेट सेक्टर में एक कार्यसंस्कृति काफी पायी जाती है, जिसमें कुछ कर्मचारी काम कम करते हैं लेकिन दिखावा ज़्यादा करते हैं और 2 घण्टे का काम भले 10 घण्टे में खत्म करेंगे, लेकिन ईमेल डालेंगे देर रात को, ताकि अपना प्रभाव दिखा सकें कि कितनी देर तक काम करते हैं!
लगभग वैसा ही कुछ कुछ किया इस हफ्ते RCMG ने, जब 4 महीने से अधिक अन्तराल गुजर जाने के बाद उन्होंने सर्व नायक के रीप्रिंट्स और कुछ और रुके हुए रीप्रिंट्स की डिलीवरी भेजना शुरू की और अपनी पीठ थपथपाई कि देखो हमने 50 से ज़्यादा कॉमिक्स इकट्ठी निकाल दीं, बिना ये सोचे कि प्री-ऑर्डर लगाने वाले लोग उन रीप्रिंट्स का कब से बेसब्री से इंतजार कर रहे थे!
RCMCG वाले तो चलो फिर भी रीप्रिंट्स वाली कॉमिक्सों में कच्छों का रंग बदल रहे हैं इस वजह से उनको देरी हो रही है लेकिन RCMG ने तो ये काम भी नहीं करना था, उनको इतनी देरी क्यूँ लग गई?
कॉमिक्स जनता में इस बात पर भी भारी आक्रोश है कि जिस प्रेमग्रंथ के वादे के नाम पर शक्तिरुपा जैसी आधी अधूरी कॉमिक्स उनको चिपकाई गई थी, आज आधा 2022 गुजरने के बाद भी उसका कुछ अता-पता नहीं है.. अरे कम से कम प्रेमग्रंथ का प्री-ऑर्डर ही लगा लेते, तो कैडेट समाज उम्मीद के सहारे ही जी लेता!
लेकिन प्रेमग्रंथ के लिए हल्ला काटने वालों से मेरा यही कहना है कि थोड़ा सब्र और करें क्यूंकि लेखक महोदय को अब RCMG खेमे वाली सर्वनायक भी पूरी करवानी है और इसके लिए उनको "बहुत कुछ पढ़ना" होगा , इसलिए थोड़ा सब्र रखें!
7. जैसा कि हम जानते हैं कि कॉमिक्स जगत की वीरान गली यानी हैलो बुक माइन के फेसबुक ग्रुप में कोई भी कॉमिक्स जगत का अनुभवी बाशिंदा जाकर राजी नहीं है क्यूंकि जिस सेलर के पास कोई कॉमिक्स ही नहीं है बेचने को, उस ग्रुप में कॉमिक्स प्रेमी जाकर लूडो खेलने के लिए थोड़े ना जुड़ेगा लेकिन इस हफ्ते इस ग्रुप में जुड़े एक नए सदस्य, जो कि कुछ समय पहले ही कॉमिक्स की दुनिया में वापसी आए हैं और जानकारी के लिए अलग-2 ग्रुप्स में जा रहे हैं, ने घुसने की कोशिश की हैलो बुक माइन के फेसबुक ग्रुप पर, तो उनको ये कहकर घुसने नहीं दिया गया कि उस ग्रुप में केवल पुरानी और असली ID से ही एंट्री मिलेगी!
अब यहां 2-3 सवाल हैं... कि ID पुरानी है या नहीं, ये किस आधार पर निर्धारित होगा? दूसरा, ये कॉमिक्स ग्रुप चला रहे हैं या मैरिज ब्यूरो? और तीसरा एवं सबसे महत्वपूर्ण सवाल, कौनसी गलतफहमी है इनको अपने बारे में जिसका इनको ऐसा दम्भ है?
क्या मतलब लोगों का पैसा अभी भी फँसाकर रखा हुआ है वॉलेट में?
8. इस हफ्ते एक बड़ी ही अजीब घोषणा हुई कॉमिक्स इंडिया वालों की तरफ से जब उन्होंने अपने आगामी सेट की कॉमिक्सों को समर्पित करने की घोषणा की महान स्वतंत्रता सेनानी श्री चंद्रशेखर 'आज़ाद' को।
अब सवाल ये उठे कि अचानक से ये करने का क्या था क्यूंकि जिन कॉमिक्सों के सेट को आज़ाद जी को समर्पित किया गया है, उनके नाम देखके ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि इनका किसी भी तरह से स्वाधीनता संग्राम से कोई लेना देना है।
जब कॉमिक्स इंडिया वालों से सवाल पूछा भी गया इस बाबत तो उन्होंने बड़ा ही गोलमाल सा जवाब देकर टरका दिया।
लेकिन अगर सूत्रों की मानें तो किसी ने कॉमिक्स इंडिया वालों को सलाह दी है कि जब देशभक्ति की आड़ में टाइलें और पान मसाला तक बेचा जा रहा है तो कॉमिक्सें क्यूँ नहीं बेची जा सकती.. और इसी रणनीति के तहत ये दांव खेला गया है!
देखते हैं क्या इस तरीके से कॉमिक्स की बिक्री बढ़ पाती है?
9. हंगामा है क्यूँ बरपा, शक़्ल ही तो ब्लर की है... बिना रंग के तो नहीं छापा, सीरीज भी आगे बढ़ी हैssss।।
जी हां, मैं बात कर रहा हूं सर्व नायक विस्तार सीरीज की नयी कॉमिक्स प्रकोष्ठ के कैदी की, जिसे रिलीज हुए तो कुछ वक़्त हो गया है लेकिन शायद ई-कॉपी अभी पहुंची है लोगों के पास, इसलिए उसके कुछ पैनलों पर हुए निम्न स्तर के आर्टवर्क पर कॉमिक्स जनता बेहद भड़क उठी है।
कुछ में चेहरे गायब हैं, कुछ में डिटेल गायब लेकिन असली गुस्सा आया है लोगों को महामानव के चित्रण पर जिसको देखकर ऐसा लग रहा है जैसे किसी नाई ने किसी के लंबे बाल रख दिए लेकिन कटोरा कट के बाद!
मतलब महामानव को देखकर कई लोगों ने पूछा कि छोटी बच्ची है क्या? लोगों ने चौतरफा बुराई की है प्रकोष्ठ के कैदी के आर्टवर्क की। बस कुछ लोगों को समस्या इस बात से थी कि ये कॉमिक्स दोनों प्रकाशकों ने क्यूँ निकाली है क्यूंकि आलोचना करने का असली मज़ा तो तब आता जब एक प्रकाशक ही निकालता ये कॉमिक्स..
सदस्यगण कृपया बताएं कि वो इन मुद्दों के बारे में क्या सोचते हैं और अगर कोई मुद्दा रह गया हो तो उसकी जानकारी भी दें...
मिलते हैं अगले हफ्ते कुछ नई मौजों के साथ!
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