एक बात गौर किजिएगा!
वो तो राज कॉमिक्स निरंतर बिकती रही, और लगातार नागराज और ध्रुव की कॉमिक्सो को प्रकाशित करती रही! तो Company इतने सालों तक Running में रही!हां वक्त के साथ किमतों में बदलाव होना लाजिमी है! ...... ये जो हम दुसरे कॉमिक्स के किरदारों को 300/400 रूपये एक कॉमिक्स के दे देते हैं!
जैसे:-.हवलदार बहादुर/राम रहीम/क्रुकबाण्ड अन्य पब्लिकेशन के किरदारों के! ........ वजह ये हैं की वो कॉमिक्सो कंपनियां अब रनिंग में हैं नहीं! ...... और संख्या में कम हैं इसलिए किमत़ ज्यादा हैं! उनकी कहानियां भी राज कॉमिक्स के मुकाबले औसत ही रही हैं! (ऐसा मेरा मानना हैं)
जैसे चाचा चौधरी को बच्चा-बच्चा तक पहचानता हैं! वैसे ही नागराज और ध्रुव का क्रेज भी भारतीय कॉमिक्स जगत में, उतना ही रहा हैं... और हैं भी!
ध्रुव-नागराज की कहानियां इतनी बार प्रकाशित हुई इसलिए इतने लोगों की जुंबा पर वो नाम आ पाया! ...... मैं खुद कॉमिक्स के स्वर्णकाल मैं पैदा नहीं हुआ उम्र की बात अगर की जाए तो कोहराम कॉमिक्स जितनी उम्र हैं मेरी! (April 2000) 😊
मेरा कॉमिक्स क्रेज़ आप सब भली भांति जानते होंगे, 2000 के बाद मनोरंजन के कईं साधन विकसित हुए कागज़ पर आने वाले किरदार 30-32 इंच के डब्बे(T.v.) पर स्वचालित होने लगें, तो पढने की ज़हमत कौन करें? रही सही कसर इस 5-7 इंच के डब्बे (मोबाइल) ने पुरी कर दी! खैर इसी डब्बे की वजह से हम सब यहां हैं और ये ग्रुप हैं और कॉमिक्स का मार्केट भी तभी हैं|
2000 के बाद मैं भी कॉमिक्स फैन/लवर/ सेलर/बायर/कलेक्टर/ जुनुनी जो समझो वो बना ही हूँ.......
अरे सॉरी ब्लेक मार्केटिया लिखना तो भूल ही गया 😊!
वजह ये थी कि तब तक ये किरदार कॉमिक्स की दुनिया में बने रहे! उनकी पापुलैरिटी ने मुझे भी कॉमिक्स से जोड़ दिया! ..... इसलिए डायमंड कॉमिक्स का स्लोगन " 5 साल के बच्चों से लेकर 80 साल तक लोकप्रिय" ये फिट बैठता है! Rc भी हर उम्र के पाठकों को बांधे रखती हैं!
दुसरी कॉमिक्स के जो दाम आप 300-400 देते आ रहे, मैनें भी कईं कॉमिक्से इतने में ही बेची हैं! ..... इसलिए की वो गुमनाम किरदार हैं! ..... कॉमिक्स की दुनिया में सेलर और कलेक्टर के लिए "Rare" शब्द का मतलब हैं की गुमनाम किरदारों की कॉमिक्स जो प्रचलन में नहीं वो रेयर हैं!
एक बार खुद सोचिए, नागराज और ध्रुव इतनी बार प्रिंट नहीं होती तो उन कॉमिक्स का रेट आज़ क्या होता? ब्लेक मार्केट में वो कितने की बिकती? ........ उदाहरण के लिए "किरीगी का कहर" आज़ कितने में बिकती?
आज़ की तारिख में Comics की किमतों का आकलन उसका अप्रचलन और गुमनामी तय करती हैं, ना की अच्छी कहानी और अच्छे चित्र से परिपूर्ण होना!
किमत़ निर्धारित करना कंपनी की अपनी मर्जी हैं! जरूरी नहीं आप हर कॉमिक्स लें, कॉमिक्स अब मुलभत आवश्यकता की चीज़ तो हैं नहीं कि लेना जरुरी हैं! इस देश में कुछ लोगो को दो वक्त के लिए रोटी-पानी नसीब नहीं हैं! कॉमिक्स मनोरंजन का एक साधन हैं, अपर-मीडिल क्लास वाले लोगों का थपका हैं एक! (किराए का दौर समाप्त होने के बाद)
जिन कंपनियों ने मेरा बचपन बनाया, में कोशिश करूंगा की उन कंपनियों या उनके किरदारों कि मैं किसी प्रकार की आलोचना ना करुं, और नकारात्मकता फैलाकर पाठको को दुर ना करुं, या कॉमिक्स प्रेमी को नागराज-ध्रुव के प्रंशसको में विभाजित ना करूँ! सबसे यही दरख्वास्त करता हूँ जिन्हें जो पसंद हो उनकी कॉमिक्स ले! 💐 बस नकारात्मकता से दूर रहें!
नयी कॉमिक्स कंपनी "फिक्शन" के रेट पता होंगे आपको की क्या थें, उसे कभी कहानी से तोल कर देखा हैं? खैर! सबकी पसंद को नमन!💐
Bargain अथार्त मौल भाव करना भारतीयों का धर्म हैं जरूऱ करें! आप कॉमिक्स को उसकी कहानी या उसके परिपूर्ण चित्र से उस कॉमिक्स को तोलें, ना की गुमनामी से! 💐
कॉमिक्स के कलेक्शन के इस शौक मैं मैनें बेकार कॉमिक्स की जो किमत़ अदा की हैं, तो नयी राज कॉमिक्स की किमतें सही है उस हिसाब से! बाके सबके अपने विचार हैं साहब!💐🙏 सबके विचारों का आदर अपनी जगह!
बस नकारात्मकता ना फैलाएं जो सही लगें वो कॉमिक्स लें!
आपका कॉमिक्स वाला दोस्त "हिमांशु" 😊🙏
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