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उसकी आँखें किसी ने नहीं देखी!!खुद प्राण सर ने भी नही! अपने ज़माने का फुलटू मॉडर्न टीनएजर..आँखों को ढकते लंबे बाल, चुस्त-दुरुस्त काया, दिल्ली की गलियों में मस्ती करते फिरने वाला किशोर! क्रिकेट का दीवाना..फ्लिर्टी बॉयफ्रेंड...क्लास में स्लीपिंग मोड, दोस्तों का दोस्त, टेक्नो सैवी, मस्तमौला...उसके व्यक्तित्व के अनेक पहलू!
जी हाँ...अपना प्यारा शरारती, चतुर, डरपोक, भोला-भाला, मनमौजी..बिल्लू!!
प्राण सर का ये करैक्टर अपने आप में बहुत ही मजेदार और आकर्षक है! खास बात ये की केवल इसी करैक्टर को क्रोनोलॉजिकल आर्डर में बढ़ते दिखाया गया है...माने रियल लाइफ जैसा! शुरुवाती कॉमिक्स में नन्हा शरारती बच्चा बिल्लू है( कुछ कुछ पिंकी जैसा ही)! उसके रुझान भी बस खेल-कूद, आइसक्रीम, चॉकलेट, लुका-छुपी, स्कूल से बचने का बहाना, पापा की डांट का डर...इन्ही के इर्द-गिर्द घूमता। फिर धीरे धीरे बढ़ता बिल्लू...टीनएज यानि किशोरावस्था में पहुँचता! यहाँ से कहानियां ज़्यादा रोचक होतीं। लेटेस्ट फैशन में रहना, मोबाइल-कंप्यूटर में खटर-पटर में दिलचस्पी, रातों को हॉलीवुड मूवीज़ देखना, स्कूल में क्लास के वक़्त खर्राटे लेना, गर्लफ्रेंड जोज़ी के साथ मस्ती करना,और बेशक....हर वक्त क्रिकेट खेलने को तैयार रहना...ये सब उसके नए शौक व पसंद! इस तरह बिल्लू की कहानियों में कुछ बदलाव आये, जो अधिक मनोरंजक ही थे...ज़्यादातर कॉमिक हीरोज या तो वयस्क होते हैं या किड्स हीरोज। ऐसे में एक टीनएजर हीरो की ज़िन्दगी के किस्से देखने-पढ़ने में अपना मज़ा आता था!
हरदम कंधे पर शान से क्रिकेट बैट लिए, कैप पहने,दूसरे हाथ से बॉल उछालता हुआ आता दिखाई देता बिल्लू! क्रिकेट के मैदान का सितारा! अपनी सोसाइटी का स्टार बल्लेबाज़...चौके-छक्के उड़ाता।
दूसरी तरफ बजरंगी पहलवान से पंगे लेता, फिर उसे मूर्ख बनाता, जान बचाकर भागता या हड्डी-पसली तुड़वाता हुआ। रुस्तम-ऐ-हिन्द बजरंगी उस्ताद के डर से बचपन से किशोरावस्था तक डरता-भागता,और मन ही मन गबरू जवान बनके उसे मज़ा चखाने के ख्वाब देखता बिल्लू।
साथ ही साथ क्लासमेट और पडोसी जोज़ी के साथ रोमांस! कभी स्कूटर पर घुमाना या फ़ास्ट फ़ूड के लिए रेस्त्रां ले जाना, पर टीनएज की प्रॉब्लम से जूझता जेब में बस 50-100 का नोट होना..उस पर मन ही मन तिकड़म लगाना, गर्लफ्रेंड की नज़र में इज़्ज़त बनाये रखना..साथ साथ मौका मिलते ही स्कूल की नयी स्टूडेंट पर इम्प्रैशन ज़माने की कोशिश करने में भी पीछे न रहना...गर्लफ्रेंड को मालूम हो जाये तो खैर बचाकर भागना और बहाने बनाना...ये सब बिल्लू के चुलबुले किशोर स्वाभाव की झलकियाँ!
साथ ही कच्ची उम्र का मिडिल-क्लास, तंग-जेब मासूम आशिक़! अमीर कर्नल की बेटी से इश्क़ लड़ाता, खुर्राट कर्नल की नज़रों में फ़ालतू आवारा शरारती छोकरा! कर्नल की आँख बचाकर जोज़ी से मिलने उसके घर जाता...कर्नल की सख्त आवाज़ से उछल पड़ता, फिर रायफल की ..रेट रेट रेटटटट...निकलती गोलियों से सर झुकाकर बचता भागता बेचारा दिलफेंक आशिक़!
सब के सब किस्से मज़ेदार व खिलखिलाने वाले। अपने ज़माने के टिपिकल टीनएजर का प्रतिनिधि...शौक, कारनामे, इश्क़बाजी..सब कुछ! डायमंड कॉमिक्स में ये किरदार मुझे सबसे ज़्यादा पसंद होने की यही सब वजहें हैं...। अपने आप में एक मज़ेदार किरदार...आज भी बिल्लू कॉमिक्स पढ़ने में वही मज़ा आता है जो पहले! :)
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