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Sunday 24 May 2020

शाम में कसरत -राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-5

एक शाम नागराज कसरत कर रहा था । 
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शाम में कसरत ?
नागराज का मन सुबह करे या शाम , आप पढ़ो ज्यादा दिमाग न लगाओ । खिखिखि ।
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तभी ध्रुव भागते हुए नागराज के पास आया । 
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नागराज - क्या मेरे याड़ी । आज संध्या दर्शन ? 
ध्रुव - जान बचा के भागा हु भाई । 
नागराज - जान बचा के ? 
ध्रुव - हा यार । 

कह के ध्रुव दो मिनट तक चुप रहा । 
नागराज भी चुप-चाप रहा ।।

ध्रुव ( आंखे तरेर के ) - अबे आगे भी तो पूछ ।।
नागराज - क्यों ? बिना पूछे तू बताएगा नही ? 
ध्रुव - बताना तो पड़ेगा भाई । मेरी समस्या का हल शायद तुझ मूर्ख से हो जाये । 
।।
नागराज ( सुलगते हुए ) - बहुत मोटे दांत वाले बिना जहर के सांप से डसवां दूंगा सड़े हुए पियर फफूंदी । गुर्ररर । 
ध्रुव - अले नाराज ना हो यार । भाई है तू अपना । 
नागराज - ज्यादा अमूल वाला बटर मत लगा । अच्छे से जानता हूं तुझे । अब जल्दी से भौक , ऐसे भागते हुए क्यों आया आज ? 
ध्रुव - क्या बताऊँ यार ...
नागराज ( बीच मे टोकते हुए ) - क्या बताऊँ । मतलब बताएगा नही । फिर टाइम क्यों वेस्ट कर रहा मेरा ।
ध्रुव - अबे बता रहा हु । सुन तो ले । पहले ही फुफकारेगा तो मैं बताऊंगा कैसे कुछ । 
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नागराज - ओके ओके आगे बोल । 
ध्रुव - आज नताशा को बीच पे ले गया था । 
नागराज - बीच पे । किसके बीच पे । 
ध्रुव - सॉरी सॉरी । बिच पे । समुंदर किनारे वाले बिच पे । 
नागराज - ओअअअअअ । फिर ।
ध्रुव - मैंने कहा । तुम्हारे दिल मे क्या है वो गा के बताओ । 
नागराज ( हाहाहाहा ) - बिना सुर वाली लड़की से तूने गाने को कहा । अरे वो चंदले की बेटी है जिसके सर से पानी तक फिसल जाता है उससे गाने को कैसे कह बैठा तू । 
ध्रुव ( आंखों से आग उगलते हुए ) - हो गया । अब आगे बोलू । 
नागराज - ठीक है ठीक बोल । 
ध्रुव - मेरे कहने पे नताशा ने अपने दिल में छिपा राज गा कर बताया । 
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जन्म-जन्म का साथ है हमारा - तुम्हारा । हमारा-तुम्हारा । 
।।
नागराज - बाप रे । लड़की बड़ी शातिर है । अगले जन्म में भी अपने बाप को तुझसे बचाने का ठेका लेना चाहती है । 
ध्रुव - वही तो । इसीलिए मैं भागा ...
नागराज - और सीधा मेरे पास आया । 
ध्रुव ( गुस्से ) - फिर फुफकारा तू बीच मे । बात तो पूरी सुना कर । 
नागराज - ठीक है भाई । अबकी बात पूरी होने के बाद फुफकारूँगा । सीधे तू मेरे पास नही आया तो कहा गया ? 
ध्रुव - ऋचा के पास । 
नागराज - साले को मेरी दोस्ती की कद्र ही नही है । पहले सारी लड़कियों के चक्कर लगाएगा फिर मेरे पास आएगा । गुर्ररर । फिर क्या हुआ ? 
ध्रुव - मैंने ऋचा से कहा की तुम्हारे दिल मे क्या है गा के बताओ । 
नागराज - इंडियन आइडियल का ऑडिशन लेने का ठेका ले रखा है तूने । गा के बताओ । गा के बताओ । 
ध्रुव - अरे समझा कर यार । गाते हुए लोग झूठ नही बोल पाते । 
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नागराज - तो ऋचा ने गाया ।
ध्रुव - हा गाया ना।
।।
तू जहां - जहां रहेगा । मेरा साया साथ हो....गा । तू जहां-जहां रहेगा मेरा साया.... मेरा साया ।
।।
नागराज - बाप रे । भूत बन के भी पीछा ना छोड़ेगी तेरा ये तो । 
ध्रुव - भूतनी बनने के बाद भी जो साथ म छोड़े उसके आस-पास रहना बेवकूफी ही होती । उससे बच के मैं भागते हुए  सीधे तेरे पास आया हु यार । 
नागराज - ह्म्म्म । 
ध्रुव - सिर्फ ह्म्म्म । आगे भी तो कुछ बोल ।
नागराज - क्या बोलू ? 
ध्रुव - अबे मेरी प्रॉब्लम तो सॉल्व कर ।
नागराज - अब तू प्रॉब्लम बताएगा तब न सॉल्व करू । 
ध्रुव - अरे पूरी रामकथा बता दी । अब और क्या बताऊँ ।
नागराज - भाई । जरा रिवाइंड में जा । 

रिवाइंड । 

चकर चकर ---/-/
किर्रर्रर .....^///
पुईई ...?....:..."
कुईईई टिर्रर्रर .....)*/// ....
तुरर्...?@///....

रिवाइंड पूरा हुआ । 

ध्रुव - धत्त तेरे की । प्रॉब्लम तो मैंने बताई ही नही । 
नागराज - बड़बोला होने से यही होता है । बड़-बड़ करने के चक्कर मे जरूरी बात बिच पे छोड़ आता है तू । खिखिखि । 
ध्रुव - सुन प्रॉब्लम बताता हूं । 
नागराज - रहन दे । जानता हूं तुझे गाना गवां के ही दिल मे क्या है जानना है । 
ध्रुव - वो तो है । 
नागराज - सर्वनाश में जो तुझे डव कहती थी ना ।
ध्रुव - हा । 
नागराज - उसे कॉल कर । तेरी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी । 
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ध्रुव ने झट से डव वाली को कॉल लगाया । 
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ध्रुव - तुम्हारे दिल मे क्या है गा के बताओ । 
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एव्री नाईट इन माय ड्रीम आय सी यू ... आयी सी यू ... 
।।।
ध्रुव ( नागराज को गले लगाते हुए ) - बस इतना ही तो चाहिए था । थैंक्स भाई ।
नागराज ( अंदर-अंदर हस्ते हुए मन मे  ) - एव्री नाईट इन माय ड्रीम के चक्कर मे पड़ के टाइटेनिक में हीरो टपक गया था । खिखिखि । ये भी टपकेगा एक दिन ।जोर वाली खिखिखि ।

समाप्त ।

1 comment:

Rajes said...

हमारे पुराने दिनों की यादों को जो कि कॉमिक्स से रिलेटेड हैं, बेसक आज कल के बच्चों को इसके बारे में बहुत अधिक जानकरी न हो लेकिन किसी टाइम पे बच्चों के साथ बड़ी उम्र के लोगों को भी कॉमिक्स का बहुत बेसब्री से इंतजार रहता था। बच्चों की छुट्टियां कॉमिक्स को पढ़ते हुए कटती थी,ये केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं होती थी बल्कि इसकी कहानियां ज्ञानवर्धक भी थी, ये सभी को खासकर बच्चों को एक अद्भुत कल्पना लोक कि सैर कराती थी। ये एक सुनहरा दौर था।
आज का टाइम लोगों का ज्यादातर मोबाइल्स और कंप्यूटर , इंटरनेट सर्फिंग में बीत जाता है लेकिन कुछ भी वो ऐेंसा टाइम था जो अविस्मरणीय है, खासकर उनके लिए जो उस युग में जिया है और उसने कॉमिक्स पढ़ी हैं।

आप जिस तरह से बिना स्वार्थ के पुराने दिनों की यादों से हम सभी को रूबरू करवाते हैं, वो अपने आप में काबिले तारीफ है।
थैंक यू सर,🙏🙏