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Wednesday 13 May 2020

विशर्पी की मोहब्बत- राज कॉमिक्स की कॉमेडी कहानी-1

😘 विशर्पी की मोहब्बत 😘


विशर्पी - आई लव यू !

अन्थोनी - क्या बोल रही हो विशर्पी नागराज ने सुन लिया तो मेरा कचूमर बना देगा ।

विशर्पी - उसने तुम्हे कुछ किया तो मार के उसका भरता बना दूंगी ।

अन्थोनी - अरे मै मुर्दा हू । मुझसे प्यार का क्या फायदा ।

विशर्पी - जिससे प्यार किया वो दूर के रिश्ते में भाई निकला । अब जब भाई वाला राज खुला तो पता चला की भाई बनने से पहले ही वो फिर से दूर चला गया जिस कारन वो कभी भाई बना ही नही । लेकिन ये दूर वाली बात है की दूर रहते हुए उसको एक बच्चा भी हो गया और दूर रहते हुए भी उसके साथ भारती नाम की फेसलेस रहती है जो दूर से ही उसे बहुत प्यार करती है । और एक बार बहुत दूर के मिशन में उसने एक नागिन को अपने जिस्म में घुसा लिया जो अब उसके दिल में रहती है ।

अन्थोनी - अरे बस बस । तेरा दर्द समझ में आ गया ।

विशर्पी - इस दर्द को तुम क्या समझोगे पहले बताओ नाग्दविप चल के साथ फेरे लोगे या चर्च चल के पादरी के सामने किस्सी करोगे ।

गुर्र्र-र्र्ररर्र्र । बहुत जोर वाली गुर्रर्र | इत्ती जोर की गुरर्र की जैसे बहुत जोर की गुरर्र ।

नागराज - दगाबाज नागिन तेरी ये मजाल । मेरे पीछे इस मुर्दे के साथ प्रेम रुमाल ।

अन्थोनी - भाई मुझसे लड़ना मत ले जा इसे बेचारी तेरे प्यार में पागल है ।

नागराज - तो अभी जो मैंने सुना वो क्या था ?

विशर्पी - वो मेरा सच्चा वाला प्यार था ।

नागराज - मार के दन्त मंजन बना दूंगा तुम्हारा नागिन । और तू  रे मुर्दे मेरी विशर्पू को पटा रहा देख अब मै तुझे कहा कहा पटाता हू ।

और फिर नागराज मार मार के अन्थोनी का कीमा बना देता है ।

विशर्पी - अले मेरा जानू किट्टू प्यार करता है मुझसे ।

नागराज - अभी मै जानू बन गया ।

विशर्पी - मै तुम्हे नही अन्थोनी को बोल रही थी ।

नागराज भूल गया था मुर्दा अन्थोनी मर नही सकता | अन्थोनी अपनी सिलाई कर के नागराज का ओह माय डॉग कर देता है | 

ओह माय डॉग - जब पीछू पे लात पड़े तो मुह से निकले ओह फिर अग्गु में लात पड़े तो मुह से निकले माय और जब दुनु जगह लात पड़ने से दर्द हॉवे तो मुह से निकले डॉग ।

नागराज का ओह माय डॉग करके विशर्पी अपने नए प्यार के साथ चर्च या नाग्दविप दोनों में से किसी एक जगह चल देती है । 😜😜😜🤪🤪

🐍 तक्षिका 🐍

नगीना पिक्चर लगी थी , घुस गया  ! इच्छाधारी नागिन का कंसेप्ट पसंद आया ...सोचता हुआ सो गया ....!!.

अचानक सीने पर कुछ हलचल सी लगी , आँख खुली तो मुँह भी खुल गया .. साक्षात नागराज कुंडली मारे फन फैलाए बैठे थे । बोले , " ये बताओ मेरी बेटी तक्षिका में तुम्हे क्या दिखाई दिया जो पसंद आ गयी !? "

मैं बोला , " तक्षक अंकल , साफ़ बोलूँ तो पहला कारण उसका अदाएं दिखाते और बल खा खा कर केंचुली बदलना था , लगा कि आज के ज़माने के हिसाब से सही बैठेगी  ! दूसरा कारण जिस तेजी से ज़हर उगलती है न , लगा पूरी तरह गृह कार्य में दक्ष है कोई भी फालतू के रिश्तेदार फटकेंगे नही बिल में ....मतलब घर मे , और तीसरा कारण  उसकी लपलपाती और उफ्फ दोमुंही डिप्लोमेटिक जीभ .. हवा में सूँघ के बता दे की कहाँ क्या अच्छा है या बुरा ! अब आप उसकी पूंछ .. मतलब हाथ मेरे हाथ मे दें तो गले में डाल लूँ ! 

अंकल इम्प्रेस हो गए पूछे इतना गहन ज्ञान मिला कहाँ से तो मैंने कहा, " नगीना  देखी सर जी श्रीदेवी , ऋषि कपूर ..क्या डांस किया बीन पर , मैं तेरी दुश्मन तू दुश्मन मेरा .."

फिर वही हुआ , माँ मुझे मुझे जगा रही , अरे क्या बोल रहा है दुश्मन , ज़हर , केंचुली .. छोड़ हाथ की क़लम और पैरों पर खड़ा हो जा पकौड़े ही बेंच ले ..!!

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