Other Hindi Comics and Me
आप लोगो का फिर से स्वागत है मेरी इस चौथी पोस्ट मे। मैने अपनी पिछली पोस्ट मे कहा था कि आगे मैं बात करुंगा late 1995 से लेकर 2000 तक के अपने कामिक्स सफर की। लेकिन मैं थोडी जल्दबाजी कर गया। Indian Comics or Hindi Comics से जुडे मेरे कुछ अनुभव मैं शेयर करना भूल गया था। मैने आप लोगो को ये तो बता दिया था कि मैने manoj comics भी उसी समय से पढ़ना शुरु कर दिया था लेकिन बाकी publications की comics भी मैंने तभी शुरु कर दी थी।

उस समय comic मेरे लिए मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन थी। और मेरे को जो कोई भी comic मिलती थी मैं पढ लेता था। मेरे दोस्तो को भी comic पसंद आने लगी थी। ऐसे ही एक बार मेरे एक दोस्त के दोस्त ने कुछ परम्परा comics खरीदी। वो मेरे जीवन की पहली परम्परा comic थी। उन मे से मुझे अब सिर्फ Gold Medal (अंग्रेजीलाल-हिंदीलाल) का ही नाम याद है। और ये comic अभी भी मेरे पास है।
एक बार मेरे पापा पटरी बाजार से कुछ comics लेकर आए थे। उन मे फोर्ट और नूतन के अलावा और भी प्रकाशक थे लेकिन राज और manoj नही थी। उस समय पहली और आखिरी बार मेघदूत को पढा। आगे चलकर फोर्ट, नूतन और परम्परा मे से किसी भी कम्पनी की कोई भी comic दोबारा नही मिल पाई।
कुछ समय बाद तुलसी comic के भी दर्शन हो गए और मुझे इसके तीनो हीleading superheroes अंगारा, जम्बू और तौसी पसंद आए। जम्बू की “जम्बू और शनिश्चर” मैंने उसी समय पढ ली थी। इसमे “अंडा देवता” मुझे हमेशा याद रहा।

राधा comics के दो ही किरदारो की comics उस समय देखने को मिली। बौना जासूस और जूडो क्वीन राधा। बौना जासूस और सवा करोड की भैंस मेरी पहली बौना जासूस की comic थी। इसे पढ कर बहुत हंसी आई थी।


Diamond की ही किसी comic मे“हिडकचल्लू” नाम का एक किरदार था।comic का नाम याद नही लेकिन ये नाम मुझे बहुत ही funny लगा था। काफी समय बाद (शायद 1998 के आसपास) मैने अपनी चाची के घर एक comic पढी थी। इसमे मोटू-पतलू और घसीटा राम की एकदम फाडू कामेडी थी। हंस-हंस कर बुरा हाल हो गया था। मैं जब भी चाची के घर जाता था येcomic जरुर पढता था।


comic किराए पर पढने के अलावा मैं अब comicsबदल कर भी पढने लगा था। ये बात 1995 के आखिरी दिनो की है। अब मेरे पास दो चार comics हो गई थी और मैं अपने दोस्तो से बदल-बदल कर comics पढता था। ज्यादातर हम लोग सिर्फ पढने के लिए ही बदलते थे। मतलब कि पढ कर वापस कर दी। कोईcomic अच्छी लगती थी तो हमेशा के लिए भी बदल लेते थे। बचपन मे ज्यादातर लोगो ने ऐसा ही किया होगा। ऐसे ही एक बार मैंने अपने रिंकू नाम के एक दोस्त से कुछ comics पढने के लिए ली। वो मुझे ऐसे ही comics दे देता था। मैंने "खूनी खिलौने" पहली बार उसी से लेकर पढी थी। तकरीबन 15 से 20 तक comics थी और ज्यादातर Manoj Comics. फिर काफी समय तक मैं उस से मिल नही पाया। लेकिन मैंने उसकी ये comics डेढ से दो साल तक संभाल कर रखी और जब बाद मे वो मिला तो वापिस कर दी।
इस पोस्ट मे तो सिर्फ other Indian Comics publication के साथ मेरे शुरुआती अनुभव के बारे मे ही बात हो पाई। अब late 1995 से लेकर 2000 तक के दौर के बारे मे बात करेंगे अगली पोस्ट मे। उस पोस्ट मे Raj Comics पूरी तरह से केन्द्र बिंदु (center of the focus) बनी रहेगी। आप लोगो के comments का इंतजार रहेगा।
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