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Thursday, 6 February 2020

मेरे अन्य हिंदी कॉमिक्स -स्वर्ण युग

Other Hindi Comics and Me

आप लोगो का फिर से स्वागत है मेरी इस चौथी पोस्ट मे। मैने अपनी पिछली पोस्ट मे कहा था कि आगे मैं बात करुंगा late 1995 से लेकर 2000 तक के अपने कामिक्स सफर की। लेकिन मैं थोडी जल्दबाजी कर गया। Indian Comics or Hindi Comics से जुडे मेरे कुछ अनुभव मैं शेयर करना भूल गया था। मैने आप लोगो को ये तो बता दिया था कि मैने manoj comics भी उसी समय से पढ़ना शुरु कर दिया था लेकिन बाकी publications की comics भी मैंने तभी शुरु कर दी थी।
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उस समय comic मेरे लिए मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन थी। और मेरे को जो कोई भी comic मिलती थी मैं पढ लेता था। मेरे दोस्तो को भी comic पसंद आने लगी थी। ऐसे ही एक बार मेरे एक दोस्त के दोस्त ने कुछ परम्परा comics खरीदी। वो मेरे जीवन की पहली परम्परा comic थी। उन मे से मुझे अब सिर्फ Gold Medal (अंग्रेजीलाल-हिंदीलाल) का ही नाम याद है। और ये comic अभी भी मेरे पास है।

एक बार मेरे पापा पटरी बाजार से कुछ comics लेकर आए थे। उन मे फोर्ट और नूतन के अलावा और भी प्रकाशक थे लेकिन राज और manoj नही थी। उस समय पहली और आखिरी बार मेघदूत को पढा। आगे चलकर फोर्ट, नूतन और परम्परा मे से किसी भी कम्पनी की कोई भी comic दोबारा नही मिल पाई।

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कुछ समय बाद तुलसी comic के भी दर्शन हो गए और मुझे इसके तीनो हीleading superheroes अंगारा, जम्बू और तौसी पसंद आए। जम्बू की जम्बू और शनिश्चर मैंने उसी समय पढ ली थी। इसमे अंडा देवता मुझे हमेशा याद रहा। 

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राधा comics के दो ही किरदारो की comics उस समय देखने को मिली। बौना जासूस और जूडो क्वीन राधा। बौना जासूस और सवा करोड की भैंस मेरी पहली बौना जासूस की comic थी। इसे पढ कर बहुत हंसी आई थी।

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hindi comics, diamond comicsIndian Comics की बात चल रही हो और Diamond Comics का जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है भला। Diamond Comics ही शायद भारत की ऐसी एकमात्र comic कम्पनी है जिस पर Parents भी एतराज नही करते। चाचा चौधरी, रमन, पिंकी, श्रीमती जी, आदि सभी लोकप्रिय पात्र मैंने बचपन मे ही पढे। उस समय अग्निपुत्र-अभय Diamond Comics के मेरे Favorite Action Hero थे। मैंने उनकी कुछ comics तब पढी थी। अभय की Bike तो गजब की थी। मैं और मेरा दोस्त अक्सर उसकी बाईक के बारे मे बाते करते रहते थे।
Diamond की ही किसी comic मेहिडकचल्लू नाम का एक किरदार था।comic का नाम याद नही लेकिन ये नाम मुझे बहुत ही funny लगा था। काफी समय बाद (शायद 1998 के आसपास) मैने अपनी चाची के घर एक comic पढी थी। इसमे मोटू-पतलू और घसीटा राम की एकदम फाडू कामेडी थी। हंस-हंस कर बुरा हाल हो गया था। मैं जब भी चाची के घर जाता था येcomic जरुर पढता था।

manoj comics, hindi comics, indian comicsदुर्भाग्य से आगे चलकर Diamond Comics के अलावा इन मे से किसी भी publication की comic पढने को नही मिली। ये comicsपुरानी ही मिला करती थी। मतलब नया सेट नही मिलता था। जब्कि राज comics नया सेट निकालती थी और वोआसानी से मिल भी जाता था। राधा और तुलसी तो मैने अपने दोस्तो से माँग कर ही पढी थी। फिर मेरा भी रुझान Raj Comicsमे ज्यादा बढ गया और मैंने भी इन कामिक्सो पर ज्यादा ध्यान नही दिया।



manoj comics, hindi comicsहाँ Manoj Comics इस बीच मिलती रही। हालाकि उनकी नई comics भी कम ही मिला करती थी लेकिन पुरानी comics अक्सर मिल जाती थी। त्रिकाल देव, तूफान, इन्द्र, विध्वंस, क्रुकबांड, हवलदार बहादुर और राम-रहीम आसानी से मिल जाते थे। मेरा भाई तो हवलदार बहादुर का फैन बन गया था उस समय। उस समय मुझे तूफान और विध्वंस बहुत पसंद थे और मुझे इनकी जो भी comic मिलती थी मैं पढ लेता था। बाद मे कौआ, मनु और कान भी मिलने लगे। बाद मे कुछ बुक डिपो वाले manoj के नए सैट भी लाने लगे थे। लेकिन उस समय सागर-सलीम, कर्नल कर्ण, सुपर थीफ रुस्तम का नाम भी नही सुना था। जब सेcomics कलैक्ट करनी शुरु की है तब से इन सबका नाम पता चला।

comic किराए पर पढने के अलावा मैं अब comicsबदल कर भी पढने लगा था। ये बात 1995 के आखिरी दिनो की है। अब मेरे पास दो चार comics हो गई थी और मैं अपने दोस्तो से बदल-बदल कर comics पढता था। ज्यादातर हम लोग सिर्फ पढने के लिए ही बदलते थे। मतलब कि पढ कर वापस कर दी। कोईcomic अच्छी लगती थी तो हमेशा के लिए भी बदल लेते थे। बचपन मे ज्यादातर लोगो ने ऐसा ही किया होगा। ऐसे ही एक बार मैंने अपने रिंकू नाम के एक दोस्त से कुछ comics पढने के लिए ली। वो मुझे ऐसे ही comics दे देता था। मैंने "खूनी खिलौने" पहली बार उसी से लेकर पढी थी। तकरीबन 15 से 20 तक comics थी और ज्यादातर Manoj Comics. फिर काफी समय तक मैं उस से मिल नही पाया। लेकिन मैंने उसकी ये comics डेढ से दो साल तक संभाल कर रखी और जब बाद मे वो मिला तो वापिस कर दी।

इस पोस्ट मे तो सिर्फ other Indian Comics publication के साथ मेरे शुरुआती अनुभव के बारे मे ही बात हो पाई। अब late 1995 से लेकर 2000 तक के दौर के बारे मे बात करेंगे अगली पोस्ट मे। उस पोस्ट मे Raj Comics पूरी तरह से केन्द्र बिंदु (center of the focus) बनी रहेगी। आप लोगो के comments का इंतजार रहेगा।

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