कॉमिक्स जंक्शन प्रस्तुति ....
शीर्षक - बाल-मन को झंझोड़ती एक पटकथा (भाग - 2)
लेखक - गौरव श्रीवास्तव
(पिछले अंक में आपने पढ़ा कि नागराज बच्चो की कॉमिक ना खरीद पाने की समस्या से परेशान है और वो ध्रुव को इस बारे में बताता है, ध्रुव इस समस्या को ब्रह्मांड रक्षकों के बीच उठाने का सुझाव देता है और दोनो ब्रह्मांड रक्षक कार्यालय जाने को तैयार होने लगते हैं |)
अब आगे ................
ध्रुव - OK पर नाग रस्सी से नही मेरी बाइक पर चलो |
नागराज - OK पर बाइक मैं चलाऊँगा |
ध्रुव - (हैरानी से) अबे तूने कब बाइक चलानी सीखी ।
नागराज - नागू ने सिखा दी 🤭
ध्रुव - ये नागू को कंट्रोल में रख किसी दिन तुझे बॉलीवुड में हीरो बना के छोड़ेगा 🤣🤣
दोनो हँसते हुए निकल लेते हैं
ब्रह्मांड रक्षक कार्यालय 🏢
तिरंगा - यार कहां रह गया ध्रुव, मैसेज पे तो कह रहा था अर्जेंट है |
परमाणु - हॉ यार, मैं तो अपनी कॉस्ट्यूम आज धो रहा था, प्रोबॉट सिर्फ बकबक करता है, अरे स्टील जरा अपने कंप्यूटर पे पता तो लगा कहां पहुंचे ये लोग ।
स्टील - मेरे ट्रैकर के हिसाब से ध्रुव, नागराज बिल्डिंग में आ चुके हैं, डोगा बगल वाली बिल्डिंग के गटर में पहुंच चुका है, बाकी ट्रैकर की रेंज से बाहर है ।
तिरंगा - शक्ति अपनी प्रकाश गति से उड़ रही होगी, और भेड़िया जंगल मे होगा, तेरा ट्रैकर काम नही करेगा दोनो पे ।
कुछ ही मिनटों में शक्ति, ध्रुव, नागराज, डोगा का प्रवेश !
ध्रुव - बाकी सब कहा है ?
तिरंगा - यार तुम्हारा अर्जेंट मेसेज आया तो जो आस पास थे आ गए |
ध्रुव - चलो कोई बात नही बाकियो तक मेसेज पहुंचा दिया जाएगा ।
डोगा - हॉ भाई ध्रुव अब बता क्या बात है, किसको ठोकना है ?
परमाणु - ओए तू फिर गटर से आया ना, कम से कम एक डियो ही रख के चला करो ।
डोगा - हॉ तो अर्जेंटली बुलाओगे तो गटर ही सबसे शॉर्टकट है मेरे लिए, और तेरे पास तो नोज़फिल्टर होगा ना लगा ले ।
शक्ति - तुम लोग अपना व्यर्थ का वार्तालाप बंद करो, ध्रुव नागराज ने एक साथ मीटिंग बुलाई है तो अवश्य कोई गंभीर विषय होगा ।
ध्रुव - हॉ शक्ति और ये गंभीर विषय नागराज द्वारा उठाया गया है, नागराज आगे तुम बताओ ।
नागराज - आप सभी का आने के लिए धन्यवाद, आज विषय किसी आतंकवाद, किसी हाईटेक विलेन या किसी अन्य आयाम से आये हुए परग्रही का नही है बल्कि एक साधारण ही सामाजिक समस्या है |
डोगा - समाज की हर बुराई को मैं जड़ से उखाड़ फेंकूँगा, बताओ नागराज कही हफ्ता वसूली हो रही है या नशे के नए सौदागर पनप रहे हैं ।
नागराज - शांत डोगा शांत !
मैं जिस समस्या की बात कर रहा हूं वो कुछ दिन पहले मैंने एक रेलवे स्टेशन पर महसूस की ।
तिरंगा - समस्या वो भी रेलवे स्टेशन पे, और महसूस की, क्या नागराज भाई TC ने बिना टिकट धर लिया था क्या, 😌😌
ध्रुव - तिरंगा, यार बताने तो दे उसे ।
नागराज - नही तिरंगा,पहली बात तो मैं कोई नियम नही तोड़ता ।
समस्या बच्चो से जुड़ी है, जिसे मैंने कुछ दिन पहले एक रेलवे स्टेशन पर बुक स्टाल पर महसूस किया था !
बात कुछ दिन पहले की है (नागराज पूरी आपबीती सभी को पूरी गंभीरता से बताता चला गया)
कुछ देर ब्रह्मांड रक्षक सभा मे सन्नाटा छा गया ।
शक्ति - हम्म्म्म तो ये बात है, विषय तो गंभीर के साथ साथ सोचनीय भी है । हम लोग अपने कार्यो के बारे में बताते तो घूमते नही, हमारे ही कुछ प्रशंशक है जो हमारी घटनाओं को कहानी के रूप में समाज के कोने कोने तक पहुंचाते हैं, इसीलिए आज विश्व हम लोगो के विषय मे जानता है |
डोगा - 😣😣 (रुवंसा होते हुए) मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ गए, मैं भी सुपरमैन, बैटमेन की कॉमिक का दीवाना था, अदरक चाचा कभी नहीं ख़रीदते थे । मैं ही चोरी छुपे पैसे इकट्ठा कर खरीदता था ।
तिरंगा - बात तो सोचने वाली है पर इसमे हम क्या कर सकते हैं, ये पब्लिकेशन का आंतरिक मामला है ।
परमाणु - तो क्या किया जाए, हो सकता है उन स्टेशन के बच्चो के पास पैसे ही ना हों या वो वहां से फ्री में पाना चाहते हो, जिससे बाहर जाके मंहगे में बेच सके ।
डोगा - ओय अपनी पुलसियागिरी यहां मत झाड़, वो बच्चे है !
शक्ति - नही अगर नागराज ने खुद खरीद के दी है उन बच्चो को कॉमिक, तो बच्चे अपनी जगह सही है, ध्रुव तुम ही बताओ हम लोग किस तरह इस मामले में मदद कर सकते है ।
ध्रुव - दोस्तो आप लोगो को यहां बुलाने के साथ ही मैंने इस विषय मे सोचना शुरू कर दिया था, पहले हम लोगो को इस मामले की तह तक जाना होगा, क्या देश के अन्य भागों में भी बच्चो की किताबें इतनी ही मंहगी है, इनकी मंहगी होने का क्या कारण है, और क्या इन किताबो के दाम कम किये जा सकते है ? अगर हाँ तो कैसे ??
हमे इन सब सवालों का जवाब ढूंढना होगा ।
डोगा - अब क्या हम लोग जासूसी करेंगे ?
ध्रुव - नही, जासूसी नही, मगर एक सुपरहीरो की तरह नही एक आम इंसान की तरह हम लोगो को कुछ समय बच्चो, दुकानदारों और पब्लिकेशन और अन्य लोगो के साथ बिताने होंगे जिससे हम उनकी समस्या स्वयं महसूस कर सके ।
शक्ति - बहुत अच्छे ध्रुव तुम्हारा ये सुझाव अच्छा है लोगो के बीच रहकर ही हम उनकी समस्या समझ सकते है।
नागराज - हॉ ध्रुव तुम्हारा आइडिया अच्छा है पर हमको लोगो के बीच आम इंसान की तरह रहना होगा, अपनी पहचान छुपा कर ।
तिरंगा - हम लोग तो भेस बदल कर रह लेंगे, पर ये स्टील कैसे बदलेगा 😁😁।
ध्रुव - स्टील को अभी कोई जरूरत भी नही है उसका रोल बाद में मैं बताऊँगा ।
स्टील - OK ध्रुव |
ध्रुव - तो फिर तय रहा हम सब अपने कार्यक्षेत्र में एक महीने लोगो के बीच आम इंसान बन के रहेंगे, और इस समस्या की जड़ तालाशेंगे ।
जो ब्रह्मांड रक्षक आज नही आ पाए हैं उन्हें आज की मीटिंग की पूरी जानकारी दे दी जाएगी, और उन्हें इस प्लान के बारे में भी बता दिया जाएगा ।
तिरंगा, डोगा, स्टील, परमाणु, शक्ति सभी एक साथ सहमति में सर हिलाते है ।
नागराज - OK आप सभी का शुक्रिया, स्पेशली तुम्हारा ध्रुव कि तुमने बच्चो की इस समस्या को छोटा नही समझा ।
ध्रुव - नागराज बच्चो से ही हम है, अगर बच्चे हमसे दूर हो जायेगे, तो हम लोग को कोई पूछेगा भी नही ।
चलो अब सब विदा लेते हैं, यही मिलेंगे एक महीने बाद ।
सभी ब्रह्मांड रक्षक निकल पड़ते हैं एक अनोखे मिशन की ओर .........
( अगले अंक में - ध्रुव रेलवे स्टेशन में बुक स्टाल के बगल में ही एक चाय का स्टाल खोल लेता है, और साधारण कपड़ो में चायवाला बन जाता है......... )
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शीर्षक - बाल-मन को झंझोड़ती एक पटकथा (भाग - 2)
लेखक - गौरव श्रीवास्तव
(पिछले अंक में आपने पढ़ा कि नागराज बच्चो की कॉमिक ना खरीद पाने की समस्या से परेशान है और वो ध्रुव को इस बारे में बताता है, ध्रुव इस समस्या को ब्रह्मांड रक्षकों के बीच उठाने का सुझाव देता है और दोनो ब्रह्मांड रक्षक कार्यालय जाने को तैयार होने लगते हैं |)
अब आगे ................
ध्रुव - OK पर नाग रस्सी से नही मेरी बाइक पर चलो |
नागराज - OK पर बाइक मैं चलाऊँगा |
ध्रुव - (हैरानी से) अबे तूने कब बाइक चलानी सीखी ।
नागराज - नागू ने सिखा दी 🤭
ध्रुव - ये नागू को कंट्रोल में रख किसी दिन तुझे बॉलीवुड में हीरो बना के छोड़ेगा 🤣🤣
दोनो हँसते हुए निकल लेते हैं
ब्रह्मांड रक्षक कार्यालय 🏢
तिरंगा - यार कहां रह गया ध्रुव, मैसेज पे तो कह रहा था अर्जेंट है |
परमाणु - हॉ यार, मैं तो अपनी कॉस्ट्यूम आज धो रहा था, प्रोबॉट सिर्फ बकबक करता है, अरे स्टील जरा अपने कंप्यूटर पे पता तो लगा कहां पहुंचे ये लोग ।
स्टील - मेरे ट्रैकर के हिसाब से ध्रुव, नागराज बिल्डिंग में आ चुके हैं, डोगा बगल वाली बिल्डिंग के गटर में पहुंच चुका है, बाकी ट्रैकर की रेंज से बाहर है ।
तिरंगा - शक्ति अपनी प्रकाश गति से उड़ रही होगी, और भेड़िया जंगल मे होगा, तेरा ट्रैकर काम नही करेगा दोनो पे ।
कुछ ही मिनटों में शक्ति, ध्रुव, नागराज, डोगा का प्रवेश !
ध्रुव - बाकी सब कहा है ?
तिरंगा - यार तुम्हारा अर्जेंट मेसेज आया तो जो आस पास थे आ गए |
ध्रुव - चलो कोई बात नही बाकियो तक मेसेज पहुंचा दिया जाएगा ।
डोगा - हॉ भाई ध्रुव अब बता क्या बात है, किसको ठोकना है ?
परमाणु - ओए तू फिर गटर से आया ना, कम से कम एक डियो ही रख के चला करो ।
डोगा - हॉ तो अर्जेंटली बुलाओगे तो गटर ही सबसे शॉर्टकट है मेरे लिए, और तेरे पास तो नोज़फिल्टर होगा ना लगा ले ।
शक्ति - तुम लोग अपना व्यर्थ का वार्तालाप बंद करो, ध्रुव नागराज ने एक साथ मीटिंग बुलाई है तो अवश्य कोई गंभीर विषय होगा ।
ध्रुव - हॉ शक्ति और ये गंभीर विषय नागराज द्वारा उठाया गया है, नागराज आगे तुम बताओ ।
नागराज - आप सभी का आने के लिए धन्यवाद, आज विषय किसी आतंकवाद, किसी हाईटेक विलेन या किसी अन्य आयाम से आये हुए परग्रही का नही है बल्कि एक साधारण ही सामाजिक समस्या है |
डोगा - समाज की हर बुराई को मैं जड़ से उखाड़ फेंकूँगा, बताओ नागराज कही हफ्ता वसूली हो रही है या नशे के नए सौदागर पनप रहे हैं ।
नागराज - शांत डोगा शांत !
मैं जिस समस्या की बात कर रहा हूं वो कुछ दिन पहले मैंने एक रेलवे स्टेशन पर महसूस की ।
तिरंगा - समस्या वो भी रेलवे स्टेशन पे, और महसूस की, क्या नागराज भाई TC ने बिना टिकट धर लिया था क्या, 😌😌
ध्रुव - तिरंगा, यार बताने तो दे उसे ।
नागराज - नही तिरंगा,पहली बात तो मैं कोई नियम नही तोड़ता ।
समस्या बच्चो से जुड़ी है, जिसे मैंने कुछ दिन पहले एक रेलवे स्टेशन पर बुक स्टाल पर महसूस किया था !
बात कुछ दिन पहले की है (नागराज पूरी आपबीती सभी को पूरी गंभीरता से बताता चला गया)
कुछ देर ब्रह्मांड रक्षक सभा मे सन्नाटा छा गया ।
शक्ति - हम्म्म्म तो ये बात है, विषय तो गंभीर के साथ साथ सोचनीय भी है । हम लोग अपने कार्यो के बारे में बताते तो घूमते नही, हमारे ही कुछ प्रशंशक है जो हमारी घटनाओं को कहानी के रूप में समाज के कोने कोने तक पहुंचाते हैं, इसीलिए आज विश्व हम लोगो के विषय मे जानता है |
डोगा - 😣😣 (रुवंसा होते हुए) मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ गए, मैं भी सुपरमैन, बैटमेन की कॉमिक का दीवाना था, अदरक चाचा कभी नहीं ख़रीदते थे । मैं ही चोरी छुपे पैसे इकट्ठा कर खरीदता था ।
तिरंगा - बात तो सोचने वाली है पर इसमे हम क्या कर सकते हैं, ये पब्लिकेशन का आंतरिक मामला है ।
परमाणु - तो क्या किया जाए, हो सकता है उन स्टेशन के बच्चो के पास पैसे ही ना हों या वो वहां से फ्री में पाना चाहते हो, जिससे बाहर जाके मंहगे में बेच सके ।
डोगा - ओय अपनी पुलसियागिरी यहां मत झाड़, वो बच्चे है !
शक्ति - नही अगर नागराज ने खुद खरीद के दी है उन बच्चो को कॉमिक, तो बच्चे अपनी जगह सही है, ध्रुव तुम ही बताओ हम लोग किस तरह इस मामले में मदद कर सकते है ।
ध्रुव - दोस्तो आप लोगो को यहां बुलाने के साथ ही मैंने इस विषय मे सोचना शुरू कर दिया था, पहले हम लोगो को इस मामले की तह तक जाना होगा, क्या देश के अन्य भागों में भी बच्चो की किताबें इतनी ही मंहगी है, इनकी मंहगी होने का क्या कारण है, और क्या इन किताबो के दाम कम किये जा सकते है ? अगर हाँ तो कैसे ??
हमे इन सब सवालों का जवाब ढूंढना होगा ।
डोगा - अब क्या हम लोग जासूसी करेंगे ?
ध्रुव - नही, जासूसी नही, मगर एक सुपरहीरो की तरह नही एक आम इंसान की तरह हम लोगो को कुछ समय बच्चो, दुकानदारों और पब्लिकेशन और अन्य लोगो के साथ बिताने होंगे जिससे हम उनकी समस्या स्वयं महसूस कर सके ।
शक्ति - बहुत अच्छे ध्रुव तुम्हारा ये सुझाव अच्छा है लोगो के बीच रहकर ही हम उनकी समस्या समझ सकते है।
नागराज - हॉ ध्रुव तुम्हारा आइडिया अच्छा है पर हमको लोगो के बीच आम इंसान की तरह रहना होगा, अपनी पहचान छुपा कर ।
तिरंगा - हम लोग तो भेस बदल कर रह लेंगे, पर ये स्टील कैसे बदलेगा 😁😁।
ध्रुव - स्टील को अभी कोई जरूरत भी नही है उसका रोल बाद में मैं बताऊँगा ।
स्टील - OK ध्रुव |
ध्रुव - तो फिर तय रहा हम सब अपने कार्यक्षेत्र में एक महीने लोगो के बीच आम इंसान बन के रहेंगे, और इस समस्या की जड़ तालाशेंगे ।
जो ब्रह्मांड रक्षक आज नही आ पाए हैं उन्हें आज की मीटिंग की पूरी जानकारी दे दी जाएगी, और उन्हें इस प्लान के बारे में भी बता दिया जाएगा ।
तिरंगा, डोगा, स्टील, परमाणु, शक्ति सभी एक साथ सहमति में सर हिलाते है ।
नागराज - OK आप सभी का शुक्रिया, स्पेशली तुम्हारा ध्रुव कि तुमने बच्चो की इस समस्या को छोटा नही समझा ।
ध्रुव - नागराज बच्चो से ही हम है, अगर बच्चे हमसे दूर हो जायेगे, तो हम लोग को कोई पूछेगा भी नही ।
चलो अब सब विदा लेते हैं, यही मिलेंगे एक महीने बाद ।
सभी ब्रह्मांड रक्षक निकल पड़ते हैं एक अनोखे मिशन की ओर .........
( अगले अंक में - ध्रुव रेलवे स्टेशन में बुक स्टाल के बगल में ही एक चाय का स्टाल खोल लेता है, और साधारण कपड़ो में चायवाला बन जाता है......... )
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1 comment:
कॉमिक्स जो बचपन से हम सबकी मीठी यादो का एक हिस्सा रही है मगर ज़िंदगी की भाग दौड़ में आज कही धूमिल सी हो गयी है,उन्ही यादो को हमने बहुत मेहनत से संजोया है जिससे आप लोग अपनी यादों को फिर से हकीकत में बदल सके, तो आइए अपनी बचपन की दुनिया मे अपनी कॉमिक जंक्शन की दुनिया मे |
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