पायरेसी के ऊपर बहुत से टॉपिक आपको फेसबुक और व्हाट्सएप्प ग्रुप पर मिल जायेंगे।आज हमारी चर्चा भी कॉमिक्स संबंधित पायरेसी पर है।
सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते है,कि पायरेसी क्या होती है,क्यों होती है,किसलिए होती है,कौन करता है।उसके करने से किसी को क्या फायदा होता है, और किसको नुकसान होता है।
पायरेसी को ओरिजिनल कंटेंट की डब्लिकेट कॉपी या ज़ेरॉक्स कॉपी कहा जा सकता है।जिसका तुलना हम नकल से कर सकते हैं।
पायरेसी की जरूरत अपने ओरिजिनल कंटेंट को सेव करने के लिए भी की जाती है,उसको जब तक पायरेसी श्रेणी में नही कहा जा सकता,तब तक उस कंटेंट से उसको व्यावसायिक लाभ नही होता हो या किसी को नुक्सान नही होता हो।
उदहारण के लिए रामायण,महाभारत पर काफी पुस्तकें छपी है,तो जिस पब्लिकेशन ने इनके आधार को मानकर अपनी पुस्तकें छाप कर बाजार में बेची हो और इनसे फायदा उठाया हो तो क्या वो भी पायरेसी नही है क्या।नही जी ये पायरेसी नही है,अगर हम छपी हुई पुस्तक के कंटेंट को ज्यूँ का त्यौ प्रिंट कर उसको बेचते है,तो वो पायरेसी में आता है।
पायरेसी सस्ते और महंगे कंटेंट दोनों की जाती है,या जो कंटेंट मार्किट में आसानी से उपलब्ध नही हो।
पायरेसी से एक तरफ जहां व्यवसाय को नुकसान होता है,वही दूसरी तरफ पायरेसी करने वाले को भी कोई फायदा नही मिलता।क्योँकि उसने तो पायरेसी शेयर करने के लिए की है,लेकिन उसका नुकसान कंपनी ने उठाया।
अधिकतर कॉमिक्स पब्लिकेशन भी पुराने पब्लिकेशन के कंटेंट से आईडिया लेते है,जिनका मुख्य source विदेशी कॉमिक्स पब्लिकेशन है,वो वहां से इमेज वाइज इमेज की कॉपी भी कर लेते है।और उनकी स्टोरी को थोड़ा बहुत चेंज कर अपनी कॉमिक्स में प्रिंट कर देते है,यहाँ तक कुछ पब्लिकेशन तो अन्य हिंदी पब्लिकेशन से कॉपी कर लेते है,तो यह सब पायरेसी में ही आता है।
कुछ मजबूरीवश पायरेसी का सहारा लेते है,क्योँकि वो कंटेंट या तो काफी महंगा होता है या बाजार में उपलब्ध नही होता,कुछ अज्ञानवश करते है,और कुछ कुंठित होकर।लेकिन कोई भी सही नही है।
इसलिए पायरेसी को रोक पाना लगभग असंभव सा काम है,इसके लिए कंपनियों को अपनी सामग्री को जेनुइन रेट में उपलब्ध करवाना पड़ेगा, ताकि सभी इसको ख़रीद सकें।
सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते है,कि पायरेसी क्या होती है,क्यों होती है,किसलिए होती है,कौन करता है।उसके करने से किसी को क्या फायदा होता है, और किसको नुकसान होता है।
पायरेसी को ओरिजिनल कंटेंट की डब्लिकेट कॉपी या ज़ेरॉक्स कॉपी कहा जा सकता है।जिसका तुलना हम नकल से कर सकते हैं।
पायरेसी की जरूरत अपने ओरिजिनल कंटेंट को सेव करने के लिए भी की जाती है,उसको जब तक पायरेसी श्रेणी में नही कहा जा सकता,तब तक उस कंटेंट से उसको व्यावसायिक लाभ नही होता हो या किसी को नुक्सान नही होता हो।
उदहारण के लिए रामायण,महाभारत पर काफी पुस्तकें छपी है,तो जिस पब्लिकेशन ने इनके आधार को मानकर अपनी पुस्तकें छाप कर बाजार में बेची हो और इनसे फायदा उठाया हो तो क्या वो भी पायरेसी नही है क्या।नही जी ये पायरेसी नही है,अगर हम छपी हुई पुस्तक के कंटेंट को ज्यूँ का त्यौ प्रिंट कर उसको बेचते है,तो वो पायरेसी में आता है।
पायरेसी सस्ते और महंगे कंटेंट दोनों की जाती है,या जो कंटेंट मार्किट में आसानी से उपलब्ध नही हो।
पायरेसी से एक तरफ जहां व्यवसाय को नुकसान होता है,वही दूसरी तरफ पायरेसी करने वाले को भी कोई फायदा नही मिलता।क्योँकि उसने तो पायरेसी शेयर करने के लिए की है,लेकिन उसका नुकसान कंपनी ने उठाया।
अधिकतर कॉमिक्स पब्लिकेशन भी पुराने पब्लिकेशन के कंटेंट से आईडिया लेते है,जिनका मुख्य source विदेशी कॉमिक्स पब्लिकेशन है,वो वहां से इमेज वाइज इमेज की कॉपी भी कर लेते है।और उनकी स्टोरी को थोड़ा बहुत चेंज कर अपनी कॉमिक्स में प्रिंट कर देते है,यहाँ तक कुछ पब्लिकेशन तो अन्य हिंदी पब्लिकेशन से कॉपी कर लेते है,तो यह सब पायरेसी में ही आता है।
कुछ मजबूरीवश पायरेसी का सहारा लेते है,क्योँकि वो कंटेंट या तो काफी महंगा होता है या बाजार में उपलब्ध नही होता,कुछ अज्ञानवश करते है,और कुछ कुंठित होकर।लेकिन कोई भी सही नही है।
इसलिए पायरेसी को रोक पाना लगभग असंभव सा काम है,इसके लिए कंपनियों को अपनी सामग्री को जेनुइन रेट में उपलब्ध करवाना पड़ेगा, ताकि सभी इसको ख़रीद सकें।
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