हिन्दी कॉमिक्स इंडस्ट्रीज--यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर आपको कोई परेशानी हो तो मुझे अवगत कराये.उस लेख को तुरंत हटा दिया जाएगा. मेरा उद्देश सिर्फ लोगो तक जानकारी पहुचाना है. अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। कॉमिक्स को खरीदिए, और कॉमिक्स इंडस्ट्री को सुरक्षित करें।
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Sunday, 16 November 2025
कॉमिक्स की दुनिया में जोड़ियों की सफलता का अध्य्यन
या यु कहिए कि हर एक कॉमिक्स करैक्टर के साथ उसका सहायक रहता था,जो हीरो के बराबर या कम होता था,जब कही हीरो फस जाता था तो उसका सहायक ही उसको वहां से निकालने में मदद करता था.
Saturday, 15 November 2025
#मूंछें हों तो मुच्छड़ मनहूस जैसी हों, वर्ना न हों!
#मूंछें हों तो मुच्छड़ मनहूस जैसी हों, वर्ना न हों!
बाँके भैया सबके प्यारे, सबके दुलारे हैं, नो डाउट! मेरे भी रोल मॉडल हैं (मक्कारी में 😁) ! पर क्या कभी उनकी कॉमिक्स के एक अन्य बेहद महत्वपूर्ण लेकिन प्रायः थोड़े उपेक्षित से पात्र पर आपने ज़रा ध्यान दिया है? बाँके के लिए उसके सात जन्मों का दुश्मन, मोटी सूरत, मनहूसियत की मूरत, मुच्छड़ मरजाणा, छाती का अजगर....जी हाँ, वही विशालगढ़ का मोटा मनहूस राजा विक्रमसिंह!
लेकिन ज़रा थोड़ा सा बाँके का चिपकाया हुआ चश्मा उतारकर मेरी नज़र से देखिए एक बार! एक भोला-भाला, सीधा-सादा, नेक दिल, दयालु, प्रजा-पालक, सबका हितैषी, शूरवीर, संकटों के मुँह में निडर प्रवेश कर जाने वाला, और सबसे बड़ा गुण अपने प्यारे बाँकेलाल पर जान छिड़कने वाला बहुत ही आदर्श राजा। इससे ज़्यादा क्या लोगे भाई? ऐसे नालायक सलाहकार पर आँख मूँदकर भरोसा करता है, जो हर कहानी में उसकी अर्थी उठवाने की ताज़ातरीन तिकड़म लेकर ही आता है। गौर कीजियेगा कि कई कॉमिक्स में उन्हें बाँके की करतूतों पर संदेह भी हुआ है, पर ऐसा कोमल दिल की ज़रा सी झूठी कहानी बनाते ही मोम(बत्ती) की भाँति फ़िर पिघल जाए! और फ़िर वही....'ओह्ह! मेरा प्यारा बांकेलाल! हम जानते थे तुम कभी गलत हो ही नहीं सकते। दे पुच्ची!' 😄😄 बस हो गयी कहानी पट! 😣 भला इतना भी भोला होता है कोई! 🙄🙄
और फ़िर उनके शानदार व्यक्तित्व की और झलकियाँ भी देखिए...राज्य पर किसी नए संकट (राक्षस, चुड़ैल, डायन, डाकू, आक्रमणकारी राजा) के आ धमकने की सूचना पाते ही बिजली की तरह सिंहासन से उठकर ललकार लगाते हैं....दुष्ट, तेरा ये दुस्साहस! हमारी निर्दोष प्रजा को कष्ट देता है। हम अभी तुझे यमलोक पठाते हैं! हम महावीर हैं! (कॉनफिडेंस देखिए) 😆😆😂
और स्वभाव से ऐसे मदमस्त(हाथी😋) और खुशमिजाज़ के छोटी-छोटी बातों पर जश्न मना लेते हैं। सैकड़ों तरह के पकवान, पूड़ी, छोले, अचार, शाही मिष्ठान्न खुद भी छक कर खाते हैं, बाकियों को भी खिलाते हैं! देखा है ऐसा उदार और प्रसन्नचित्त राजा कहीं? और तो और कभी उदास भी नहीं दिखते, चहरे पर हमेशा एक क्यूट सी मुस्कान सुहाती रहती है, माने जो दीदार कर ले उसका भी दिल गार्डन-गार्डन हो जाये!(मेरा तो होता ही है 😍) रानी स्वर्णलता से जलन होती है!☹️ (वो कुरूपलता ही ठीक थी!😠🙄😔)
और फ़िर सदके तो जांवाँ उनकी वीरता पर। 😍💕💕 मतलब बाँके बोल दे कि महाराज ये रहा वो आततायी राक्षस, इसका शीघ्र वध कर दीजिए। तो बिन एक पल भी सोचे समझे एकदम टूट पड़ते हैं तलवार म्यान से खींचकर! अपनी (सख़्त😀)जान की ज़रा परवाह नहीं कर्तव्य के आगे! ऐसी कर्तव्यपरायणता पर क्यों न नतमस्तक हों हम! 😄😄🙏 बड़े खुशकिस्मत हैं विशालगढ़वासी। बाँके ने तो अबतक सब को बेच खाया होता! 😁😁 😆
खैर, कँह लगि करौं बखान प्रभो! 😂😂
गुणों का सागर हैं, खुशियाँ छलकाती गागर हैं, प्रेमरत्न की खान हैं, धीर-वीर बलवान हैं, स्वभाव से एकदम गैया हैं, बाँके की किस्मत पर बैठी ढैय्या हैं, प्रजापाल-व्रतधारी हैं, हँसमुख हीहीकारी हैं, हृष्ट-पुष्ट बलवान हैं, सबके दयानिधान हैं, दानवीर उदार हैं, बाँके की छाती का भार हैं, मन से रंग-रंगीले हैं, अद्भुत छैल-छबीले हैं! (हीहीही) 😀😀😀🙏🙏💕 ऐसे हैं अपने प्यारे राजा विक्रमसिंह! 😊😊
मित्रो, ये क़िरदार हमारे हास्य-सम्राट बांकेलाल की कॉमिक्स का बेहद अहम पात्र हैं, जिसके बिना बांकेलाल की कॉमिक्स में हास्य और मनोरंजन का वो पिटारा नहीं हो सकता था जो केवल उनकी मौजूदगी से है! सही मायने में अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि इन दोनों में कौन नायक है और कौन खलनायक! बस इतना तय मानिए की ये दोनों किरदार एक दूसरे के पूरक हैं, और दोनों की जोड़ी से ही राज कॉमिक्स का हास्य जगत इतना लोटपोट है! 😊😊💐
आदरणीय बेदी जी द्वारा चित्रित बांकेलाल मेरा सर्वाधिक प्रिय है। और उन्होंने जो रूपरंग राजा विक्रमसिंह के किरदार को प्रदान किया है, वो भी उतना ही लाज़वाब है। एकदम राजसी शान झलकती है। मैंने एक कॉमिक(नाम याद नहीं) के पीछे शायद ग्रीन पेज पर देखा और पढ़ा था कि राजा विक्रमसिंह का रूपरंग काफ़ी कुछ बेदी जी ने अपने सुपुत्र से मिलता-जुलता बनाया था। उनकी वास्तविक तस्वीर भी कॉमिक्स में दी हुई थी, जिसे देखकर मुझे हैरानी हुई थी कि ये तो सचमुच वैसे ही दिखते हैं। बस मुच्छड़ मनहूस का टाइटल देने के लिए उन्हें मूंछें चिपका दी गईं। अब सच है या इत्तेफ़ाक़ ये तो बेदी जी जानें! 🤣🤣
किसी मित्र के पास उस कॉमिक का वह ग्रीन पेज और तस्वीर हो तो कृपया कॉमेंट्स में साझा करें। बड़ी कृपा होगी! 😊😊🙏
हंसते रहिये, और दूसरों को रुलाते रहिये! टेंशन न लीजिये क्योंकि कर बुरा, हो भला! जय भोले शंकर! 😊🙏💕
Tuesday, 5 August 2025
आलोक की कलम से
आयुर्वेद में जो नौ तरह के विकार बताये गये हैं उनमें नॉस्टैल्जिया को महाविकार कहा गया है। माना जाता है त्रिफला चूर्ण खाने से कब्ज़ दूर हो सकती है, मगर नॉस्टैल्जिया का कब्ज़ा नहीं छूटता। मैं खुद कई बार सिर्फ इसलिये लिखता हूँ, कि फिर से वो वक़्त जी सकूँ जो मैंने अपने बचपन के दोस्त बण्टी के साथ जिया है। मगर इस तरह की इच्छाओं के लिये काव्यश्रेष्ठों में श्रेष्ठ माने जानेवाले अल्ताफ राजा कह चुके हैं - “अरे वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है!”
अल्ताफ भाई की डिटेलिंग में बाद में जायेंगे पहले ये बता दें कि कॉमिक्स के कोकेन को सूँघ कर हमने जवानी की दहलीज पर कदम रक्खा ही था बस। भाड़े में सुपर कमाण्डो ध्रुव की किताबें पढ़के - नताशा, चण्डिका और ब्लैक कैट पे क्रश मारा करते थे, जबकि कुछ खतरों के खिलाड़ी टाईप के मित्र नगीना और सुप्रीमा जैसी गरलफ्रेण्ड्स को भी देख कर तरल हो लेते थे। पेरेण्ट्स का तब तक फेसबुक पर फ्रेण्ड्स बनने का चलन नहीं था ऐसे में घर में माँ बाप को कॉमिक्स के लिये कन्विन्स करने में जो पापड़ बेलने पड़ते थे उसके आधे एफर्ट में आजकल लव मैरिजें हो जाती हैं।
कॉमिक्स में चुम्बक के गुण और पाजिटिव निगेटिव के जुड़ने से फ्यूज उड़ता है जैसी बातें पढ़ के सबने खुद को वैज्ञानिक समझ लिया था. एक मित्र ने सन चौरानबे में कॉमिक ज्ञान का इस्तेमाल करके घर का फ्यूज उड़ाने जैसी अराजक हरकतों की वजह से बाप से अपनी कुत्ता कुटाई करवा के शकल डोगा की शकल जैसे काली और वायलेट करवा ली थी. उसकी इस हरकत के बाद उसके घर में हम पर बैन लग गया।
‘हरकत उसकी और बैन हम पे’ जैसी परिस्थितियाँ इसके बाद जीवन में कई दफ़ा आईं, मगर वो कहते हैं ना फर्स्ट वन इज़ ऑलवेज़ स्पेशल तो इस बात पर लम्बे वक़्त तक हम दुखी होते रहे कि नूब आदमी को, “तू घर पे ट्राई करके तो देख..” टाईप का ज्ञान नहीं देना चाहिये था। ऐसे में हमारी मुलाकात हुई बण्टी से, जो कि मुहल्ले के बाकी के घरों में बैन था। तमाम बाधाओं को पार करके घरवालों के पहरे में बैठे छोकरों तक कॉमिक्स पहुँचा देने की कला में दक्ष बण्टी से करीब करीब हर माँ-बाप के बीच दहशत का आलम था। हमारी दोस्ती एकदम से पक्की कैसे हुई इस पर इतिहासज्ञों के अलग-अलग मत हैं।
सन् छियानबे आ चुका था, तपती गर्मियों के दिन थे - कछुआ महल का सैट ले कर बण्टी लौटा था रेल्वे स्टेशन से. नागराज वर्ष था. शाम का धुंधलका छा रहा था और कैम्प एक की विश्वप्रसिद्ध धूल चहुँ ओर व्याप्त थी. दुनिया आज की तरह व्यस्त तो नहीं थी मगर लठंगर टाईप लोग एक टाँग साईकिल के ऊपर टाँगे ‘मैं तो अभी चल पड़ूंगा मोड’ की महाव्यस्त मुद्रा धरे घण्टों गपियाने की कला में महारथ हासिल कर चुके थे. कछुआ महल काफी जोरदार कॉमिक थी. ये वो वक्त था जब भोकाल की शादी हो चुकी थी, नागराज की कहानियों का अनुपमाना दौर शुरू हो गया था, डोगा का जीवन तंदूर मगरमच्छ से आगे बढ़ता हुआ कुछ महावायलेण्ट दौर से गुज़र रहा था. बाँकेलाल की तिकड़में बढ़ती जाती थीं। कॉमिक्सों के पिछवाड़ों पर डोगा की रोमाण्टिक तस्वीरें बनी होती थीं जिन पर ‘आई लव यू’ लिखा होता था. ये वो ज़माना था, जब अपन आई लव यू लिखी कॉमिक्स देख कर ही स्कैण्डलाईज़ हो लेते थे.
लाईब्रेरी में कॉमिक्स की सँख्या बढ़ती ही चली जा रही थी. मुहल्ले के हर नये पुराने बच्चे को कॉमिक-रूपी चरस सुँघाने की हमारी आदत की वजह से घबरा चुके कई माँ-बाप अपने बच्चों को हमसे दूर रहने की सलाह मय चप्पलों के दे चुके थे. मगर बिना व्हाट्सैप बिना इमेल की उस दुनिया में इन तमाम बँधनों को तोड़ कर किसी भोकाल प्रेमी बालक को भोकाल से मिलाने का पुण्य फिर भी अपन कमा ही लेते थे. इस पुण्य के बदले दो चार पैसों की जो कमाई हुई उसे हमने सदा प्रसाद की तरह ग्रहण किया. गरमी की छुट्टियों में जब वही माँ बाप कॉमिक्स अपने बच्चों को कॉमिक पढ़ने के वास्ते चिल्हर पैसे दे कर खुद को धन्ना सेठ समझने की फील देते देख, उस कच्ची उमर में ही हमें सामाजिक हिपोक्रेसी अर्थात् पाखण्ड का सही मायने समझ आ चुका था.
बण्टी और हमने दोस्ती की तो कॉमिक्स की वजह से और निभाई भी तो कॉमिक्स की वजह से. अब कॉमिक्सें ज़्यादा नहीं आतीं मगर बण्टी को अब भी नगीना से प्यार है।
- आलोक
Tuesday, 1 July 2025
शक्ति वर्ष 1998 -राज कॉमिक्स में स्त्रीत्व-7
- सभी दोस्तो का स्वागत है मेरी इस नई पोस्ट और राज कामिक्स के शक्ति वर्ष 1998 मे। इस बात से तो सभी लोग इत्तेफाक रखते होंगे कि 1997 Nagraj and Super Commando Dhruva Double Action Year काफी शानदार रहा। हमे बहुत सारे टू-इन-वन विशेषांक पढने को मिले। अपने सुपर हीरोज को एक साथ और एक दूसरे के खिलाफ लडते देखना सभी पाठकों के लिए बहुत ही रोमांचकारी अनुभव रहा होगा। अब राज कामिक्स रोमांच के इस सफर को और भी तेज रफ्तार देने वाली थी। बहुत सारी दिलचस्प कहानियो और क़िरदारो को पाठकों तक पहुंचाने के अलावा अब वो कुछ ऐसा करने जा रही थी जो कि भारतीय कामिक्सो मे बहुत ही कम देखने को मिलता है। भारतीय समाज की तरह ही पुरुष प्रधान भारतीय कामिक्स जगत मे किसी महिला किरदार को राज कामिक्स पहली बार उतारने जा रही थी। मतलब कि राज कामिक्स की पहली सुपर हीरोईन। जो कि प्रतिनिधित्व करेगी नारी का। यानी का टकराव तय था अब हमारे सुपर हीरोज और शक्ति मे। “शक्ति”। यही नाम दिया गया इस किरदार को और पूरा न्याय किया इस किरदार ने अपने नाम के साथ भी और उस उद्देश्य के साथ भी जिसे ध्यान मे रखकर इसे रचा गया। इस पोस्ट का केन्द्र बिंदु रहेगी शक्ति। तो शुरुआत करते है शक्ति वर्ष 1998 की।
- शक्ति वर्ष 1998 का पहला सैट था भोकाल की कपालिका कामिक का। अभी भोकाल की महारावण सीरिज चल ही रही थी। इस कामिक के ग्रीन पेज मे शक्ति वर्ष का जिक्र तो हुआ था लेकिन अभी यह नही बताया गया था कि ये शक्ति है कौन? शक्ति वर्ष के लोगो मे राज कामिक्स के 6 हीरोज बनाए गए थे और शुरुआत मे ऐसा ही लगता था कि इन्ही की एकजुटता को ध्यान मे रखकर 1998 को शक्ति वर्ष का नाम दिया गया है। लेकिन थोडे समय बाद ही प्रकाशित हुई “बांबी” कामिक मे शक्ति पहली बार नजर आई। बांबी कामिक के ही ग्रीन पेज मे शक्ति के बारे मे बहुत थोडा लिखा हुआ था। उसकी आने वाली कामिक्सो के नाम दे रखे थे। वैसे शक्ति को बांबी के कवर पर पहली बार देख कर ऐसा ही लगा था कि ये कोई नई सह किरदार (sidekick) है। उस वक्त तो किसी ने भी नही सोचा होगा कि ये भी राज कामिक्स परिवार का एक अहम हिस्सा बनेगी।

Maharavan Series
- खैर, अभी बात भोकाल की कपालिका और महारावण सीरिज की चल रही है तो उसे को आगे बढाते है। ये महारावण सीरिज की छठी कामिक थी। इसके बाद इस श्रंखला की तीन कामिक्से और आई और साल के मध्य तक इस सीरिज का समापन हो गया। ये श्रंखला बहुत ही कामयाब रही। आज, जब मैं ये पोस्ट यहाँ टाईप कर रहा हूँ तो, इस सीरिज को 15 साल हो गए है रिलीज हुए। और आज भी इस सीरिज की मांग पाठकों मे बहुत ज्यादा है। यही वजह है कि राज कामिक्स इस साल से शुरु हो रहेComic Fest India मे इस पूरी सीरिज का एक special edition release करने जा रही है। मुझे तो लगता है कि इस बार के कार्यक्रम कीUSP कही ये ही ना बन जाए।
- 1998 मे महारावण सीरिज के बाद भोकाल के general issues ही आते रहे। धरणीधर, विश्वरक्षक, लघुघाती, इत्यादि। ये साल भी भोकाल के लिए अच्छा रहा। अब उसके पास उसकी भोकाल शक्ति भी लौट आई थी।

Promo of Doga- Shakti

First Explosive 1
- शक्ति को ही ध्यान मे रखते हुए आगे बढते है। जैसा कि मैने ऊपर लिखा किशक्ति पहली बार बांबी नजर आई थी। लेकिन शक्ति “शक्ति” कैसे बनी इसका खुलासा हुआ डोगा-शक्ति मे। डोगा शक्ति का एड पहली बार खूनी पहेलिया कामिक मे आया था। और ये बहुत ही जबरदस्त एड था। डोगा जो कि मर्दानगी की पहचान है उसकी टक्कर थी नारी के प्रतीक शक्ति से। डोगा-शक्ति 1998 का डोगा का पहला विशेषांक भी था। और इस साल डोगा के ज्यादातर विशेषांक ही आए। रात की रानी, भूल गया डोगा, सावधान डोगा और कौन बडा जल्लाद। सारी कामिक्से बहुत अच्छी थी। रात की रानी का आर्टवर्क बहुत ही खूबसूरत बना है। इसकी वजह इसके कलर इफैक्टस है। साथ ही इस कामिक से डोगा का Letter Column एक्सपलोसिव भी शुरु हुआ।

First Explosive 2
- रात की रानी से मेरा एक अनुभव भी जुडा हुआ है। जब ये कामिक आने वाली थी तो मैं अक्सर एक बस स्टैंड की दुकान पर कामिक्से पढा करता था क्योंकि उसी के पास नया सैट सबसे पहले आता था। जब भी कोई नई कामिक आने वाली होती थी तो मैं इसी दुकान पर बार-बार जाकर पूछा करता था। ऐसे ही एक बार मैंने दुकानदार से पू्छा कि रात की रानी है क्या? तो वो खीज कर बोला “नही, दोपहर का राजा है।” ये सुनकर मैं हल्का सा मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला गया। अब इसे सोच कर भी हंसी आती है।

Parmanu-Shakti
- वापिस चलते है शक्ति के पास। डोगा-शक्ति मे दिखाया गया कि शक्ति को शक्तियाँ कैसे मिली। कैसे एक अबला नारी (चंदा) ने जब नारी जाति पर हो रहे अत्याचार की दुहाई काली माँ के मंदिर मे दी तो उसके जवाब मे खुद माँ काली ने अपनी सारी विध्वंसक शक्तियाँ उसे प्रदान की और उसे नारी जाति की सुरक्षा का दायित्व देकर शक्ति बना डाला। चंदा अब शक्ति के रुप मे तैयार थी। अपनी शक्तियों के बारे मे थोडी सी अवगत और थोडी सी अंजान। और तैयार थी नारी समाज के सम्मान की सुरक्षा के लिए और उस पर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए। लेकिन खुद चंदा पर हुए जुल्म का हिसाब शक्ति ने इस कामिक मे नही दिया। इसके लिए पाठकों और शक्ति को इंतजार करना पडा शक्ति के आगामी विशेषांक का। परमाणु-शक्ति का। परमाणु-शक्ति, शक्ति का तीसरा विशेषांक था। वैसे इसी बीच शक्ति भेडिया के साथ दो कामिक्सो मे भी नजर आई। आई शक्ति और जिंदा पत्थर। और कुल मिला कर अब तक शक्ति राज कामिक्स के चार सुपर हीरोज के साथ आ गई थी। और अभी तो आधा साल भी पूरी तरह से खत्म नही हुआ था। मतलब अभी शक्ति वर्ष के और भी धमाके बाकी थे।
- लेकिन फिलहाल के लिए परमाणु पर ही स्थिर रहते है और जानते है कि इस साल राज कामिक्स मे कितने परमाणु विस्फोट हुए। परमाणु के लिए साल की शुरुआत अच्छी रही। उसे अपना दूसरा सुपर विलेन इसी साल मिला। बात हो रही है “इतिहास” की। इतिहास परमाणु की इस साल की दूसरी कामिक थी। पहली कामिक थी “चट्टान”। इतिहास के बाद परमाणु तिरंगा के साथ टू-इन-वन कामिक विशेषांक “तुरुपचाल”मे नजर आया। तुरुपचाल की ख़ासियत उसके आर्टवर्क मे थी। एक ही कलाकार की पेन्सलिंग पर अलग-अलग कलाकारों ने इंकिग कर रखी थी। इसके बाद परमाणु शक्ति के अलावा परमाणु के 32 पन्नो वाले कामिक ही आए। घोंघा, स्टीमर और लिम्पेट बम। लिम्पेट बम मे प्रोफेसर को फिर से परमाणु के हाथो जेल मे पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन सबके अलावा परमाणु की एक कामिक और आई थी। इन सबसे अलग और इन सबसे बेहतरीन। उसका जिक्र आगे के लिए मैंने बचा रखा है।

Dhruva-Shakti
- फिर चलते है अब शक्ति के पास। शक्ति अब तक राज कामिक्स के चार बडे किरदारो के साथ दो-दो हाथ कर चुकी थी। और अब बारी थी एक ऐसे किरदार की जो इन चारो से एक साथ टकराने की काबलियत रखता है। बताने की जरूरत नही की बात हो रही है ध्रुव की।“ध्रुव-शक्ति”। सुनने और पढने मे बहुत अजीब लगता है। क्योंकि ध्रुव के सफर को देखते हुए हम पाते है कि उसके कामिक्सो के नाम बहुत ही आकर्षक और उपयुक्त होते है। और बाकी हीरोज की तरह ध्रुव के बहुत कम कामिक्स है जिसमे उसका खुद का नाम शामिल है। खैर नाम मे क्या रखा है। शेक्सपीयर जी की ये बात मानते हुए अपने शक्ति के कारवाँ को आगे बढाते है। वैसे ध्रुव के बारे मे ध्यान देने वाली एक बात ये भी है कि अब तक बहुत कम हीरोज को ध्रुव के साथ काम करने का मौका मिला था। डोगा और परमाणु अभी भी इस अवसर से वंचित थे। शक्ति ने इन दोनो से पहले बाजी मार ली। बांबी के बाद ध्रुव-शक्ति मे शक्ति को फिर मौका मिला अनुपम सिन्हा जी की पेन्सिल से बनने का। इससे पहले मनु जी और धीरज वर्मा जी भी शक्ति को बना चुके थे। और शायद राज कामिक्स मे ऐसा पहली बार हो रहा था कि एक ही समय मे एक ही किरदार को अलग-अलग लोग बना रहे थे। चलो, वापिस चलते है ध्रुव-शक्ति के पास। इस कामिक के जरिए ध्रुव और शक्ति दोनो के ही जीवन मे बडे परिवर्तन आने वाले थे। जहां डाक्टर तरुण के रुप मे शक्ति की दुनिया मे एक अहम किरदार की एंट्री हुई वही श्वेता द्वारा दी गई युटिलिटी बेल्ट, ब्रेसलेट और व्हील वाले बूट्स ने ध्रुव के पूरे लुक को ही बदल दिया। एक साल पहले ही कमांडो फोर्स की गिफ्ट की गई बेल्ट फिर किसी कामिक मे आज तक नजर नही आई।
- ध्रुव शक्ति से पहले इस साल अतीत आ चुकी थी और उसका जिक्र अपनी पिछली पोस्ट मे कर चुका हूँ। अतीत के बाद ध्रुव की जिग्सा आई थी जिसमे अंत मे ध्रुव अपने परिवार के बारे मे जान ही लेता है। इस कामिक के साथ ही ध्रुव को एक नया origin भी मिल जाता है। ध्रुव के इन सभी कामिक्सो को लेकर फैन्स बहुत उत्साहित थे। लेकिन उससे भी ज्यादा बेसब्री से लोग इंतजार कर रहे थे ध्रुव के कामिक “जंग” का। इस कामिक मे पहली बार ध्रुव को ये अहसास हुआ कि उसका मुकाबला खुद उसी से है। “नक्षत्र” को बिल्कुल ध्रुव की तरह ही बनाया गया था। सर्कस मे पला बढा। उसी की तरह हर एक कला मे माहिर और दिमाग भी ध्रुव के जैसा ही तेज। ये मुकाबला देखने के लिए हर कोई बैचेन था। अफसोस की बात ये रही की नक्षत्र फिर लम्बे समय तक किसी कामिक मे नजर नही आया। सिवाय ध्रुविष्य मे एक छोटे से मेहमान के रुप मे और भविष्य मे चल रही नागायण मे।

First Promo of Nisachar

Nisachar Promo by me
- अतीत, ध्रुव-शक्ति और जंग के अलावा ध्रुव का एक विशेषांक और आया था। उसका जिक्र बाद मे करेंगे। लेकिन इन सब कामिक्सो से बढकर भी एक चीज थी। एक कामिक एड। एक ऐसी कामिक का एड, जिसके बारे मे शायद ही किसी ने सोचा हो। कम से कम मैंने और मेरे कामिक्स दोस्तो ने तो बिल्कुल भी नही सोचा था। डोगा को अभी काफी लम्बा सफर तय करना था और नागराज के बाद राज कामिक्स मे ध्रुव का ही नम्बर आता था। तो इस हिसाब से ध्रुव और डोगा के स्तर मे काफी अंतर था। इसलिए इन दोनो का पहली बार कामिक मे आना सभी के लिए एक बहुत बडाsurprise था। “निशाचर” का एड पहली बार देखते ही इस कामिक को पाने के लिए मैं पागल से हो गया था। बडा ही जबरदस्त एड था और उससे भी जबरदस्त थे उस एड के शब्द। “जैसे-जैसे रात बढेगी, बढेगी दोनो की ताकत। क्योंकि दोनो है निशाचर।” उस वक्त मैं अपने आस-पास के कुछ लडको को कामिक्से किराए पर पढने के लिए देता था। उन्होने भी जब निशाचर का एड देखा तो कहा कि भाई ये कामिक तो हार हाल मे ला कर देना हमे। मैंने उनसे कहा अभी इसके आने मे एक साल का समय है। तो वो बोले कि तू अभी से इसके लिए पैसे का इंतजाम शुरु कर दे। वर्ना तू कामिक देर से लाएगा। ये आलम था निशाचर के पागलपन का। मुझे इसका वो एड इतना पसंद आया था कि मैंने उसे देख कर खुद बनाया और आज भी वो ड्राइंग मेरे पास रखी हुई है।

Dharporsankh
- देखा जाए तो ये पोस्ट अभी तक काफी गंभीर जा रहा है। हर नए paragraph मे कुछ विचार करने योग्य तथ्य है। तो फिलहाल इस गंभीर सफर को थोडी देर के लिए विश्राम देते है और थोडा मन को गुदगुदाते लेते है राज कामिक्स के हास्य किरदारो के बारे मे बातचीत कर के। शुरुआत करते है राज कामिक्स के सबसे लोकप्रिय हास्य किरदार बांकेलाल के साथ। बांकेलाल की इस साल की पहली कामिक थी “काटो-काटो।” और चूंकि अभी तक बांकेलाल की ज्यादातर कामिक्से 32 पन्नो वाली ही आती थी तो इस साल भी उसकी काफी कामिक्से आई। शाप का टोकरा (अभी हाल मे आई बांकेलाल की कामिक “हम सब पागल है” थोडी बहुत इसी से प्रेरित थी), जादूगर करारा, घुंघरु, दुमतारा, नागपंचमी, तीस मार खां, मोतियाबिंद, चोंचू, खोदा, शैतान, मुच्छड मनहूस, छुपन छुपाई और यम यम थी। साथ ही इस साल बांके का एक विशेषांक “ढपोरशंख”भी आया था। ये बांकेलाल का तीसरा विशेषांक था। ढपोरशंख मे ही बांकेलाल के एक और विशेषांक (जादुई मुहावरे) का एड था जो कि वर्ष 1999 मे आना था। यानि अब बांकेलाल के विशेषांक भी अब साल भर मे आने लगे थे। बांकेलाल के फैन्स के लिए ये बडी खुशी की बात थी।
- गमराज के बारे मे बताने के लिए मेरे पास ज्यादा कुछ नही है। क्योंकि अभी मैंने गमराज को नियमित रुप से पढना शुरु नही किया था। गमराज के सामान्य कामिक ही आ रहे थे। और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए अभी भी उन मे विभिन्न प्रकार की प्रतियोगितायें होती थी। इस साल गमराज की जितनी कामिक्से आई उन मे से कुछ के नाम मैं यहाँ बता देता हूँ। बुढिया के बाल, कमांडो, खोटा सिक्का, अडियल टट्टू, तुलातोड।

Cover page by Anupam Sinha
- फाइटर टोडस के बारे मे भी ज्यादा नही बता पाऊंगा। क्योंकि अभी भी उनके सामान्य कामिक (32 pages) ही आ रहे थे। बगैर अनुपम सिन्हा जी के। तो इस वक्त मैंने उनके कामिक पढना लगभग छोड ही दिया था। उनकी किसी भी नई कामिक मे अब मजा नही आता था। इस साल आई उनकी कुछ कामिक्सो के नाम है, टाइम मशीन, टोडस एक्शन, प्रोफेसर तामझाम, हैप्पी बर्थ डे, सब गायब और सायरन। इन सब मे से प्रोफेसर तामझाम की खाशियत ये थी कि उसका कवर पेज अनुपम सिन्हा जी ने बनाया था।

Soorma Promo
- एक बार फिर रूख करते है एक्शन हीरोज की तरफ। अभी तक इस पोस्ट मे राज कामिक्स के ज्यादातर प्रमुख हीरोज को कवर किया जा चुका है। लेकिन राज कामिक्स के सबसे ज्यादा प्रचलित किरदार का जिक्र तो हुआ ही नही। नागराज की बात करे तो इस साल उसकी शुरुआत बांबी से हुई। जिसमे शक्ति भी थी। नागराज ने पाताल लोक की यात्रा की और वहाँ के राजा तक्षक को हराया। इसके बाद नागराज दिखा ध्रुव के साथ तानाशाह मे। तानाशाह राज कामिक्स के ग्रीष्म अवकाश के दौरान प्रकाशित होने वाले सुपर स्पेशल विशेषांक श्रंखला का हिस्सा थी। नागराज और ध्रुव का सामना था हिटलर की अतृप्त आत्मा से जो पुरी दुनिया पर राज करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए नरक से वापिस पृथ्वी पर आती है। और अंत मे हमारे सुपर हीरोज से हार जाती है। कहानी बहुत अच्छी थी और नागराज ने काफी एक्शन किया था इस कामिक मे। साथ ही इस कामिक से रिचा उर्फ ब्लैक केट की वापसी हो गई थी जो कि राजनगर की तबाही मे गायब हो गई थी।
- तानाशाह के बाद नागराज का एक और सुपर स्पेशल विशेषांक आया। लेकिन इस बार उसके साथ ध्रुव नही बल्कि वंडर मैन परमाणु था। परमाणु के बारे मे लिखते हुए मैंने इसी खास कामिक का जिक्र किया था। इस कामिक की कई विशेषताए थी। जैसे नागराज अब तक सिर्फ ध्रुव, फाईटर टोडस, और भेडिया के साथ ही नजर आया था। परमाणु के साथ ये उसकी पहली कामिक थी। पहली बार अनुपम सिन्हा जी ने परमाणु को बनाया। पहली बार ध्रुव का कोई विलेन नागराज से टकराया। ये बाते थी जिन पर गौर करना ज्यादा मुश्किल नही था। लेकिन कामिक के अंदर भी बहुत सारे surprise थे। खास तौर पर परमाणु के लिए। कहानी थी डाक्टर वायरस की एक और खतरनाक वायरस को पैदा करने की ख्वाहिश को लेकर। ध्रुव के डर से अब डाक्टर वायरस दिल्ली मे काम कर रहा था। उस वायरस को बनाने के लिए जरुरत थी तेज जहर की। जहर यानी नागराज। नागराज और परमाणु के बीच गलतफहमी पैदा करने की साजिश इस जहर को पाने की योजना मे ही शामिल थी। अब टकराव निश्चिंत था और इस मे जीत उसी की होने थी जो था दूसरे से बडा “सूरमा”। इस कामिक से परमाणु की जिंदगी मे कुछ बदलाव आए। उसके मामा लम्बे समय के लिए कोमा मे चले गए। लेकिन कोमा मे जाने से पहले वो परमाणु को नई बेल्ट और प्रोबाट सोप गए। दोनो ही आज तक एकदम सही काम कर रहे है।
- सूरमा के बाद नागराज की सपेरा आई। ये इस साल की नागराज की आखिरी कामिक थी। ये साल नागराज के लिए काफी एक्शन पैक्ड रहा। 4 मे से 3 कामिक्सो मे हमे नागराज का खूब एक्शन देखने को मिला। सपेरा नागराज के Adventure कामिक्स मे आती है।
- नागराज के बाद बात करते है अब ऐसे किरदार की जिस पर अब तक का सबसे बडा प्रयोग हुआ और वो भारतीय कामिक्स के इतिहास मे एक मिसाल बन गया। ये साल राज कामिक्स के लिए काफी प्रयोगात्मक और बदलाव से भरपूर रहा। क़िरदारो के लुक्स मे बदलाव किए गए। उनकी शक्तियो मे बदलाव किए गए। उनके मूल मे बदलाव किए गए। साथ ही एक नए किरदार (शक्ति) को भी लाया गया। लेकिन अब जिस बदलाव और प्रयोग के बारे मे बताने वाला हूँ वो इन सबसे अनूठा है। 1998 से पहले सिर्फ भेडिया था। कोबी का जन्म अब होने वाला था। दो विपरीत शक्तियों, फोबोस और मोबोस को गुरुराज भाटिकी ने भेडिया के शरीर मे प्रविश्ट कराया ताकि वो उसमे से जानवार वाले कोबी रुप को अलग कर सके और फिर से वुल्फानो की स्थापना कर सके। इस सारी साजिश की तैयार पहले सी शुरु हो चुकी थी। जानवर कामिक से। फूजो और जेन भेडिया के हिंसक रवैये से हैरान और परेशान थे जिसकी वजह फोबोस की विनाशकारी ताकत थी।

First comic on Glossy Paper
- कोबी और भेडिया कामिक मे भेडिया के लिए ये दुविधा और बढ गई कि वो हिंसा के मार्ग का अपनाए या अहिंसा के। और उस की इसी अंदरुनी कशमकश और दोनो विपरीत शक्तियो ने उसके शरीर को ही दो भागो मे विभक्त कर दिया। खैर गुरुराज भाटिकी का कोबी को वापिस वुल्फानो मे ले जाने का सपना तो पूरा नही हुआ। कोबी को भेडिया के हाथों हार का सामना करना पडा। फिर भी कोबी जेन से शादी करने मे कामयाब हो गया था। इस कामिक की एक और विशेषता ये थी कि ये Raj Comics की पहली कामिक थी जो Glossy Paper मे आई थी।
- कोबी और भेडिया के अलावा भेडिया की और जो कामिक्से आई उनमे से एक प्रमुख कामिक है “आधे इंसान।” इस कहानी का शीर्षक बहुत ही वाजिब है। क्योंकि ये दो ऐसे हीरोज की कहानी है जो पूरी तरह से इंसान नही है। भेडिया जो कि आधा जानवर है और इंस्पेक्टर स्टील जो कि आधा मशीन है। इस कामिक मे इन दोनो के टकराव को तो दिखाया ही गया साथ ही उनकी अंदरुनी जद्दोजहद को भी दिखाया गया। काफी भावनात्मक कामिक है ये। फिलहाल ये कामिक मेरे पास नही है और मेरी हिट लिस्ट मे शामिल है। आधे इंसान के

Half Human
- अलावा कोबी और भेडिया के डोगा के साथ दो टू-इन-वन विशेषांक और आए। सावधान डोगा और कौन बडा जल्लाद। एक तरफ शहर का जल्लाद और दूसरी तरफ जंगल के जल्लाद। हम्म्म्म। ये मुकाबला था देखने लायक। सावधान डोगा मे कोबी और भेडिया को ज्यादा फ्रेम्स नही मिले। क्योंकि शहर से डोगा को जंगल मे लाने के लिए आधार इसी कहानी को बनाया गया। लेकिन कौन बडा जल्लाद मे कोबी और भेडिया ने खूब हाथ पांव चलाए। साथ ही डोगा ने भी जंगल के शैतानो से दो-दो हाथ किए। दोनो ही काफी मस्त कामिक है।
- इन विशेषांकों के अलावा इस साल भेडिया की ये कामिक्से आई। गजारा, मौत मेरे अंदर, इंद्रजाल, मुगांबो, अंधी धुंध, टोटमपोल, भुजंग, जाग कृत्या जाग, काला सोना और नीली लाशें।

The evolution of Bharat
- अब ये पोस्ट अपनी समाप्ति की ओर बढ रही है तो अब बात कर लेते है बाकी बचे हुए सुपर हीरोज के बारे मे। सबसे पहले जिक्र करेंगे फर्ज की मशीन इंस्पेक्टर स्टील का। इस साल स्टील की पहली कामिक थी हैमर। इस के बाद आई भेडिया के साथ आधे इंसान। इन दोनो के अलावा स्टील के जो कामिक आए वो है; आर्मर, आत्मघाती, फरसा, सरकलम, हादसा, दुश्मन कानून का, इलाका, सस्पैंड, मिस्टर फरार, प्लान चौपट, मेगागन और जेल ब्रेकर। इस साल शक्ति के साथ स्टील की कामिक नही आई। स्टील के बाद नम्बर आता है जिंदा मुर्दे एंथोनी का। एंथोनी इस साल किसी विशेषांक मे नजर नही आया लेकिन शक्ति के साथ उसकी दो कामिक्से जरुर आई। “अमानुष” और “आधी औरत।” इन दोनो कामिक्सों मे चित्रांकन था सुरेश डीगवाल।

Some good comics of Anthony. Year 1998
- अब शक्ति को बनाने वाले चित्रकारों की संख्या चार हो गई थी। इन दोनो कामिक्सो के अलावा एंथोनी के जो और ज्यादातर कामिक्से सीरीज मे आई जो कि बहुत अच्छी थी। जैसे मौत चुन लो और जीवनदाता। अंतिम संस्कार और अर्थी और ताबूत। तीन सांप और आया कंकाल। कोयला और दहकता शहर। और प्रोफेसर जानडाल, मेरे पाप, गलियाँ सुनसान और डान। अब आते है देशभक्त डिटेक्टिव तिरंगा पर। तिरंगा की शुरुआत बहुत ही शानदार रही। इस साल उसकी पहली कामिक थी सुरक्षा चक्र और उसके बाद आई उसकी दो कामिक्से अनुपम सिन्हा जी ने बनाई। खूनी एपिसोड और डिवाइसर। इसके अलावा तिरंगा की 3 कामिक्सो की एक जबरदस्त सीरिज भी आई जिसने तिरंगा के पूरे वजूद को ही बदल कर रख दिया। ये तीन कामिक्से थी X File, RDX और चेहरा कहाँ छुपाऊं। इनके अलावा तिरंगा के ये कामिक्से इस साल आई। नकलची, अरैस्ट हिम, रोजी रोटी, नारेबाज, फुलस्टाप, सी एन एन, बेनकाब, आखिरी हत्यारा, सब मरेंगे बारी-बारी और पुतलीबाई।
- कामिक्सो के अलावा अब राज कामिक्स बच्चो के लिए एक मासिक पत्रिका “फैंग” भी प्रकाशित करने लगी थी। मुझे सही से मालूम नही कि ये कौन से साल मे शुरु हुई। शायद 1997 के आखिरी महिनों मे इसका पहला अंक आ गया था। ये किताब भी मैं बहुत चाव से पढता था। अनाडी के कारनामे इस पत्रिका का सबसे अच्छा भाग होते थे।

Here comes Shakti. First Solo Comic of Shakti
- अब शक्ति से इस पोस्ट की शुरुआत करी थी तो शक्ति से ही इस पोस्ट का अंत भी करते है। ऊपर बताई गई शक्ति की कामिक्सो के अलावा ये और कामिक्से आई इस साल। आई शक्ति, वर्दी वाली औरत, पवन पुत्री, मौत के दीवाने, जोकर, खबरदार शहरी। अगला साल भी शक्ति के लिए काफी अच्छा होने वाला था क्योंकि अब वो 96 पन्नो वाले विशेषांक मे भी आने वाली थी। नागराज और ध्रुव के साथ “कलयुग” मे। निशाचर और कलयुग 1999 के दो बेहतरीन विशेषांक थे। अगली पोस्ट मे इनका जिक्र होगा और साथ ही जिक्र होगा 1999 मे प्रकाशित हुई अन्य कामिक्सो, उनसे जुडी खास बातों और राज कामिक्स के नए प्रयोगों का। फिलहाल के लिए अभी बहुत लिख चुका हूँ। अब आप लोगो से मुलाकात होगी 1999 मे। आप लोगो को ये समय यात्रा कैसी लग रही है। कृप्या अपने सुझावों से अवगत कराए।
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| Maharavan Series |
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| Promo of Doga- Shakti |
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| First Explosive 1 |
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| First Explosive 2 |
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| Parmanu-Shakti |
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| Dhruva-Shakti |
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| First Promo of Nisachar |
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| Nisachar Promo by me |
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| Dharporsankh |
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| Cover page by Anupam Sinha |
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| Soorma Promo |
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| First comic on Glossy Paper |
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| Half Human |
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| The evolution of Bharat |
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| Some good comics of Anthony. Year 1998 |
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| Here comes Shakti. First Solo Comic of Shakti |
*बिग साइज कॉमिक्स की सूचि*
02. डबल अँगारा (अँगारा)
03. कमांडो नंबर 1 (अँगारा)
04. G-18 की वापसी (तौसी)
05. तौसी के पुत्र का नामकरण संस्कार (तौसी)
06. टनी द ग्रेट (तौसी)
07. ट्रिपल टी (तौसी)
08. नागबाबा की हत्या (तौसी)
09. हॉरर शो (तौसी)
10. सरकंडा (जम्बू)
11. जस्टिस जम्बू (जम्बू)
12. शुक्राणु का आक्रमण (जम्बू)
13. ब्लैक बॉक्स (जम्बू)
14. जम्बू का मायाजाल (जम्बू)
15. बाज़ (बाज़)
16. बाज़ का आतंक (बाज़)
17. बाज़ और बाज़ (बाज़)
18. मि. इंडिया (मि. इंडिया)
19. मि. इंडिया का बदला (मि. इंडिया)
20. मि. इंडिया की खूनी जंग (मि. इंडिया)
21. योगा (योगा)
22. योगा की कहानी (योगा)
23. योगा का इंतकाम (योगा)
24. आग का बेटा योशो (योशो)
25. प्रलयंकारी योशो (योशो)
26. योशो की जंग (योशो)
27. फाइटर टोड्स (फाइटर टोड्स)
28. खून चोर (फाइटर टोड्स)
29. जाली नोट (फाइटर टोड्स)
30. चैंपियन (फाइटर टोड्स)
31. प्रेत अंकल (प्रेत अंकल)
32. हउआ (प्रेत अंकल)
33. भूत राजा (प्रेत अंकल)
34. थोडांगा का प्रेत (प्रेत अंकल)
35. खलनायक (अश्वराज-गोजो-भोकाल)
36. महानायक (अश्वराज-गोजो-भोकाल)
37. नागराज-प्रतिशोध की ज्वाला (सिल्वर जुबली एडिशन)
38. कॉमिक 2000 - 1
39. कॉमिक 2000 - 2
40. कॉमिक 2000 - 3
41. युगांधर (युगांधर)
42. युगांधर और काखा (युगांधर)
43. युगांधर और नागबाज़ (युगांधर)
44. महानायक किड्स (महानायक किड्स)
45. हम हैं असली नायक (महानायक किड्स)
46. आइसक्रीम गैंग (महानायक किड्स)
47. खूनी दानव (महाबली शेरा)
तौसी और नागराज का तुलनात्मक अध्ययन
तौसी का जन्म पाताल लोक में दिखाया गया है,जबकि नागराज का पृथ्वीलोक पर।तौसी के गुरु नागबाबा है,जबकि नागराज के गुरु गोरखनाथ है।
तौसी पूर्णत सांप है,जबकि नागराज मानव सांप है।तौसी के इष्ट देवता भगवान शिव है, जबकि नागराज के इष्ट देवता देव कालजयी है।
तौसी की वेशभूषा धोती सलवार है,जबकि नागराज केवल अंडरवीयर 😁😁😁में रहना पसंद करता है,और केवल अपना रूप छुपाने के लिए ही पैंट कोट का सहारा लेता है।
तौसी को अपना इच्छाधारी रूप भगवान शिव की मदद से मिला था,जबकि नागराज को अपना इच्छाधारी रूप जन्म से है प्राप्त था,जो देव कालज्यी की शक्ति थी।
तौसी के पास रूप बदलने के आलावा ब्रह्मास्त्र,अग्नि,पानी,वायु जैसे शस्त्र और अष्टर है,इनके अलावा तौसी द्वंद युद्ध करने में भी एक्सपर्ट है।,जबकि नागराज के पास अपना खतरनाक जहर है,और उसको सम्मोहन करना भी आता है।
तौसी के मुख्य सहायक नाग्बाबा,कालू जिन्न, गिद्ध और शेषनाग से प्राप्त शक्तियां थी,जबकि नागराज के सहायक सौड़ांगी,गुरु गोरखनाथ, कालदुत,भारती, विशर्पी ,और उसके अंदर बसने वाले इच्छाधारी सांप थे।
तौसी का विवाह अप्सरा से हो गया,जिससे दोनों को टनी नाम का पुत्र भी हुआ।जबकि नागराज का विवाह राज पब्लिकेशन वाले अभी तक नहीं करवा सके।😆😆😆😆
नागराज को चाहने वाली में विषरपी,भारती,सौडांगी ,और नाग रानी थी,और नाग रानी से नागराज को एक पुत्र भी पैदा हुआ,जिसका नाम विशंक रखा गया।(कुछ हिंदी नाम में गलती हो सकती है,क्योंकि keypad Hindi नाम को नहीं ले रहा है।)
तौसी के कुछ शत्रु में नेवला, कंगारू,गिद्ध, ज़ी -18,त्रिकुला और सरोपी थे,जिनमें से वो कुछ अपने दुश्मनों को मार देता है,और कुछ उसके दोस्त बन जाते है।
जबकि नागराज के दुश्मन में नागमणि,थोड़ागा,मिस किलर, नागदत, तुतान खामेन,युसुफ अली , बुलडोग थे,जिनमें से कुछ को परमानेंट मार दिया था,और कुछ मारने पर दुबारा जिंदा हो कर वापिस आ जाते थे (इसमें नागराज का कोई दोष नहीं था,क्योंकि राज कॉमिक्स वाले उनको नहीं मारना चाहते थे 😁😁😁😁)
तौसी कोई भी रूप धारण कर के उड़ सकता था,जबकि नागराज को यह शक्ति जरूरत के हिसाब से मिली।
तौसी की कहानियां एक दूसरे की पूरक होती थी,मतलब कि पहली कॉमिक्स को पढ़े बिना दूसरी कॉमिक्स की स्टोरी समझ नहीं आती थी,जबकि नागराज की कॉमिक्स में ऐसा नहीं था,एक ही कॉमिक्स में स्टोरी को समझा जा सकता था।
तौसी का युद्ध हमेशा तांत्रिक, सपेरों, राक्षस,और दूसरे नागो से होता रहता था,जबकि नागराज के शत्रु आधुनिक थे,जो नागराज को मारने के लिए गोली बारूद का इस्तेमाल करते थे।और नगीना जैसे ही कुछ शत्रु तांत्रिक शक्तियों का इस्तेमाल कर पाते थे।
तौसी के दुश्मन में सबसे शक्तिशाली ज़ी-18 था,लेकिन उसके बाद वो उसका मित्र बन गया था।जबकि नागराज के दुश्मन उसके दोस्त नहीं बन सके।(अगर ऐसा हो जाता तो राज कॉमिक्स कैसे कॉमिक्स निकालता 😁😁😁😁)
बाद में तौसी के कुछ मित्रों में अंगारा और जम्बू को उसका सहयोगी दिखाया गया,जबकि नागराज के सहयोगी में सबसे ऊपर नाम सुपर कमांडो ध्रुव का था।
तौसी को केवल जुगनू ही वश में कर सकता था,और नागराज को भी कई विलेन आसानी से काबू में कर लेते थे।
अंत में यही कहना चाहुगा की,दोनों करैक्टर ने ही कॉमिक्स प्रेमियों का खूब मनोरंजन किया है,अगर दोनों क लिए कुछ लिखना बाकी रह गया हो तो कमैंट्स में अपना सुझाव दे सकते है।



























