पोस्ट कंटेंट फेसबुक से लिया गया है।
कॉमिक्स सेल ग्रुपस पर 'कालाबाजारी ' जोरो पर है ,सभी ब्लैक मार्किटिये जमा है वहा तो !
लम्बी लम्बी बाते छोड़कर कॉमिक्स ब्लैक में बेचने को सपोर्ट करते कई बोलबच्चन टाईप लोग भी मिल जायेंगे वहा ,
और अब तो नीलामी टाईप भी शुरू हो चुकी है !
क्या आपको नहीं लगता के यहाँ के सदस्य लम्बी लम्बी बाते छोड़कर सबको बरगला रहे है ! और लोग दुगुने तिगुने दाम में ऐसी रद्दी को खरीद रहे है जिसकी कोई वैल्यू नहीं है !
ऐसी कॉमिक्स जिनका कभी कोई मूल्य नहीं रहा जो आर्ट और कहानी दोनों के स्तर पर कभी भी कोई महत्व नहीं रखती ! उन्हें जानबूझकर रेयर कहकर प्रदर्शित किया जाता है ,जिन्हें दिलचस्पी न हो वो भी उसके पीछे पगला जाते है !
क्या यह सही है ?
आपको नहीं लगता के हम पैसे खर्च कर बेवकुफो की तरह कॉमिक्स फैन्स होने की शोबाजी करके कुछ भी कूड़ा करकट खरीद रहे है ?
दरअसल एक तरह से मार्केटिंग करके हमारे दिमाग में यह बात बैठाई जा रही है के ये कॉमिक्स जिसके पास हो वह खुशनसीब है ! सच्चा कॉमिक फैन है , लेकिन क्या यह सच है ?
क्या वाकई में हम वो रद्दी खरीद कर खुद को कॉमिक फैन होने का दर्जा प्राप्त कर लेते है ?
कॉमिक्स खरीदना या न खरीदना यह निजी विषय है ,किन्तु उन्हें ब्लैक में खरीदना ,बोली लगाकर लेना यह कहा की समझदारी है ?
इस से तो हम खुद ही अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार रहे है !
इंद्रजाल का नाम ही ले लो ..पाच सौ हजार के निचे कॉपी नहीं बिकेगी और लोग उसके लिए भी मरे जा रहे है ! हद है , अब किसके पास इतना पैसा फ़ालतू पड़ा है ?
छह रूपये की कॉमिक्स छह सौ रूपये में ,
आठ रूपये की आठ सौ रूपये ,
जिन्हें कभी किसी ने फ्री में भी लेना जरुरी नहीं समझा ऐसी रद्दी कॉमिक्स डेढ़ डेढ़ सौ रूपये में बिक रही है हद है !
जब ऐसे लोगो को राज कॉमिक्स के बढ़ते दामो के प्रति कुछ बोलते सुनता हु तो हंसी आती है इनकी मानसिकता पर .
फैन होना क्या है ? इस मानसिकता पर गौर कीजिये ..
दरअसल लोग कॉमिक्स शौक के लिए नहीं खरीद रहे ( ब्लैक वाली जी ) बल्कि खुद को ट्रू कॉमिक फैन साबित करने के लिए खरीद रहे है ! फेसबुक ग्रुप्स पर फोटोस शेयर करके खुद को अलग साबित करने के लिए खरीद रहे है ! किन्तु अपने शौक की खातिर इन काला बाजारियो को बढ़ावा देना कहा तक सही है ?
जहा तक मेरे निजी विचार है तो भाई मै इस रेयर रेयर के चक्कर में नहीं पड़ने वाला ,
इतनी बुद्धि अभी भी शेष है के मूर्खता और शौक में फरक कर सकू !
पोस्ट-फेसबुक के सौजन्य से